हरियाणा के करनाल जिले में धान की फसल पर इस बार भारी संकट मंडरा रहा है। फिजी वायरस, जिसे साइंटिफिक भाषा में सदर्न राइस ब्लैक स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस कहते हैं, ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। इस वायरस की वजह से धान के पौधे बौने रह जाते हैं और पैदावार आधी से भी कम हो रही है। करनाल में अब तक 550 एकड़ से ज्यादा खेत इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं।
कई किसानों को अपनी खड़ी फसल को ट्रैक्टर से नष्ट करना पड़ा है, और कुछ ने दोबारा रोपाई की, जिससे उनकी लागत दोगुनी हो गई। इस संकट से परेशान किसानों ने हरियाणा किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा के साथ मिलकर करनाल में जोरदार प्रदर्शन किया और अपनी माँगें सरकार के सामने रखीं।
किसानों का गुस्सा, सड़कों पर प्रदर्शन
करनाल के किसानों ने अपनी आवाज़ बुलंद करने के लिए सड़कों पर उतरकर ज़बरदस्त प्रदर्शन किया। उन्होंने जिला सचिवालय पहुँचकर मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में किसानों ने फिजी वायरस से बर्बाद फसलों के लिए मुआवजे की माँग की। किसान नेता अमृत बुग्गा ने बताया कि इस वायरस ने धान के पौधों को बौना कर दिया है, जिससे पैदावार में 50 से 75 फीसदी तक नुकसान हो रहा है।
किसानों ने कृषि विभाग से कई बार शिकायत की, लेकिन अभी तक न तो इस वायरस की कोई दवा मिली है और न ही कोई ठोस जाँच हुई है। किसानों ने माँग की है कि सरकार हर एकड़ के लिए 60 हजार रुपये मुआवजा दे और वैज्ञानिकों की एक टीम बनाकर इस वायरस का इलाज ढूँढे।
ये भी पढ़ें- Stray Cow: अब छुट्टा पशुओं से नहीं होगी किसान की परेशानी, NDRI और IVRI ने निकला रास्ता
15 सितंबर से धान खरीद की माँग
किसानों ने सरकार से यह भी माँग की है कि धान की खरीद 15 सितंबर से शुरू हो। किसान नेता सुखविंदर सिंह ने कहा कि सरकार किसानों को कम समय में तैयार होने वाली धान की किस्में लगाने को कहती है, जो 15 सितंबर तक पक जाती हैं। लेकिन मंडियों में खरीद 10 अक्टूबर से शुरू होती है, जिससे फसल खराब होने का डर रहता है।
इस बार फिजी वायरस की मार के बाद किसानों का नुकसान पहले ही बहुत हो चुका है। अगर खरीद जल्दी शुरू हो, तो किसान कुछ हद तक अपनी मेहनत बचा सकते हैं। इसके अलावा, किसानों ने यूरिया की कमी का मुद्दा भी उठाया। इस बार उन्हें लाइनों में लगकर सिर्फ दो-दो कट्टे यूरिया मिले, जो खेती के लिए काफी नहीं हैं।

फिजी वायरस का असर और नुकसान
फिजी वायरस की वजह से करनाल के किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसान ईशम सिंह ने बताया कि पहले उनके खेत से एक एकड़ में 28-30 क्विंटल धान निकलता था, लेकिन इस बार मुश्किल से 14 क्विंटल की उम्मीद है। कई किसानों को अपनी पूरी फसल नष्ट करनी पड़ी, जिससे लाखों रुपये का घाटा हुआ।
कृषि उप निदेशक वजीर सिंह ने बताया कि विभाग को शिकायतें मिली हैं और टीमें खेतों का दौरा कर रही हैं। लेकिन किसानों का कहना है कि दवाइयों का कोई असर नहीं हो रहा। यह वायरस 2022 में भी हरियाणा के कुछ जिलों में देखा गया था, और अब तीन साल बाद फिर से 5 से 15 फीसदी खेतों को प्रभावित कर रहा है।
ये भी पढ़ें- जानिए स्वामीनाथन की 100वीं जयंती पर प्रधानमंत्री का नया संदेश, अब भारत की खेती देगी सेहत और समृद्धि दोनों
कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि वे अपने खेतों का नियमित दौरा करें और फिजी वायरस के लक्षण दिखते ही तुरंत नजदीकी कृषि केंद्र को सूचित करें। लक्षणों में पौधों का बौना रह जाना, पत्तियों का काला पड़ना, और फसल की ग्रोथ रुकना शामिल है। किसान भाई अपनी फसल का बीमा जरूर करवाएँ, ताकि नुकसान होने पर कुछ मुआवजा मिल सके। साथ ही, सरकार की योजनाओं जैसे फसल बीमा योजना का लाभ उठाने के लिए अपने नजदीकी कृषि कार्यालय से संपर्क करें। अगर मंडी में धान की खरीद में देरी हो रही है, तो स्थानीय किसान संगठनों के साथ मिलकर अपनी आवाज़ उठाएँ।
सरकार से उम्मीद
करनाल के किसानों का कहना है कि अगर सरकार उनकी माँगों पर ध्यान दे, तो उनका नुकसान कुछ कम हो सकता है। 60 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजे की माँग इसलिए है, क्योंकि एक एकड़ धान की खेती में 25-30 हजार रुपये की लागत और मेहनत लगती है। फिजी वायरस ने इस बार कई किसानों का पूरा भविष्य छीन लिया है। किसान चाहते हैं कि सरकार तुरंत विशेष गिरदावरी करवाए और नुकसान का सही आकलन करे। साथ ही, 15 सितंबर से धान की खरीद शुरू करने से उनकी फसल को मंडी तक पहुँचाने में आसानी होगी। यह समय है कि सरकार और कृषि विभाग मिलकर किसानों के साथ खड़े हों, ताकि उनकी मेहनत बर्बाद न जाए।
ये भी पढ़ें- IMD: फसलों को नुकसान से बचाएगी ये एग्रोमेट सलाह, भारी बारिश से पहले किसानों को सतर्क रहने की जरूरत
