Rose Plants Care Tips: गुलाब के फूलों का नाम सुनते ही मन में रंग-बिरंगे बगीचे की तस्वीर उभर आती है। लेकिन गर्मियों की तपती धूप में ये खूबसूरत पौधे मुरझा सकते हैं। गर्मी का मौसम गुलाब के पौधों के लिए बड़ी चुनौती लाता है। तेज धूप और गर्म हवाएं पौधों को सुखा सकती हैं। लेकिन थोड़ी सी समझदारी और मेहनत से गुलाब के पौधों को हरा-भरा और फूलों से लदा रखा जा सकता है। भारतीय गांवों और छोटे शहरों में गुलाब की खेती आम है, और देसी मालियों के पास इन्हें बचाने के पुराने नुस्खे हैं। आइए जानते हैं कि गर्मियों में गुलाब के पौधों को कैसे जिंदा और तंदुरुस्त रखा जाए।
सही समय पर पानी देना
गर्मियों में गुलाब के पौधों को पानी की सही मात्रा और सही समय पर देना बहुत जरूरी है। सुबह जल्दी या शाम ढलने के बाद पानी देना सबसे अच्छा रहता है, क्योंकि इस समय धूप कम होती है और पानी मिट्टी में अच्छे से समा जाता है। दोपहर की तेज धूप में पानी देने से बचना चाहिए, क्योंकि पानी जल्दी सूख जाता है और जड़ों तक नहीं पहुंचता। पौधे की जड़ों के पास मिट्टी को हल्का गीला रखना चाहिए, लेकिन ज्यादा पानी भी नुकसान कर सकता है। अगर मिट्टी में पानी जमा हो जाए, तो जड़ें सड़ सकती हैं। छोटे गमलों में 1-2 लीटर और बड़े पौधों में 3-4 लीटर पानी हर दिन काफी होता है।
मल्चिंग एक देसी नुस्खा है, जो गुलाब के पौधों को गर्मी से बचाता है। पौधे की जड़ों के आसपास सूखी घास, पत्तियां, या गन्ने की खोई डाल देने से मिट्टी की नमी बनी रहती है। ये परत धूप से मिट्टी को बचाती है और पानी को जल्दी सूखने से रोकती है। देसी मालियों में गन्ने की खोई या सूखी पत्तियों का इस्तेमाल आम है, क्योंकि ये आसानी से मिल जाती हैं और सस्ती भी हैं। मल्चिंग की परत 2-3 इंच मोटी होनी चाहिए, ताकि मिट्टी ठंडी रहे और पौधे की जड़ें सुरक्षित रहें।
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पौधों को छाया देना
गर्मियों में तेज धूप गुलाब के पौधों की पत्तियों को जला सकती है। अगर पौधा गमले में है, तो उसे ऐसी जगह रखना चाहिए, जहां सुबह की हल्की धूप मिले और दोपहर की तेज धूप से बचाव हो। गांवों में माली अक्सर पौधों के ऊपर बांस की टट्टियां या पुरानी साड़ी से छाया बनाते हैं। ये देसी तरीका सस्ता और कारगर है। अगर पौधा जमीन में है, तो उसके पास बड़े पौधों की छाया का फायदा उठाया जा सकता है। लेकिन ध्यान रहे कि हवा का बहाव रुके नहीं, वरना पौधे को नुकसान हो सकता है।
गर्मियों में गुलाब के पौधों को ताकत देने के लिए देसी खाद का इस्तेमाल करना चाहिए। गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट पौधों को पोषण देता है और मिट्टी को उपजाऊ बनाता है। हर 15-20 दिन में थोड़ी सी खाद मिट्टी में मिलानी चाहिए। रासायनिक खाद से बचना चाहिए, क्योंकि गर्मी में ये पौधे की जड़ों को जला सकता है। देसी खाद सस्ती भी है और पौधे को गर्मी से लड़ने की ताकत देती है। अगर पत्तियां पीली पड़ रही हों, तो थोड़ा सा नीम की खली डालना भी फायदेमंद होता है।
कीटों और बीमारियों से बचाव
गर्मियों में गुलाब के पौधों पर कीट और बीमारियां जल्दी हमला करते हैं। चींटियां, मकड़ी के जाले, और फफूंदी गर्मी में बढ़ जाते हैं। देसी मालियों का पुराना नुस्खा है कि नीम का तेल पानी में मिलाकर पौधे की पत्तियों पर छिड़क दिया जाए। ये कीटों को भगाता है और पौधे को नुकसान नहीं पहुंचाता। हफ्ते में एक बार पौधे की पत्तियों की जांच कर लेनी चाहिए। अगर कोई पत्ता सड़ा या पीला दिखे, तो उसे तुरंत हटा देना चाहिए, ताकि बीमारी न फैले।
गर्मियों में गुलाब के पौधों की हल्की छंटाई जरूरी है। सूखी और मरी हुई टहनियों को काट देना चाहिए, ताकि पौधा अपनी ताकत नए फूल और पत्तियों पर लगाए। देसी माली अक्सर सुबह के ठंडे समय में छंटाई करते हैं, ताकि पौधे को कम नुकसान हो। ज्यादा छंटाई से बचना चाहिए, क्योंकि गर्मी में पौधा कमजोर हो सकता है। हल्की छंटाई से पौधा हरा-भरा और तंदुरुस्त रहता है।
गर्मी से बचाव का देसी नुस्खा
गर्मियों में गुलाब के पौधों को बचाने का सबसे बड़ा देसी नुस्खा है उनकी देखभाल में नियमितता। पानी, खाद, और छाया का सही तालमेल पौधे को जिंदा रखता है। गांवों में माली मिट्टी की जांच के लिए उंगली से मिट्टी छूकर देखते हैं कि वो गीली है या सूखी। ये आसान तरीका पौधे की जरूरत समझने में मदद करता है। थोड़ी सी मेहनत और देसी नुस्खों से गुलाब का पौधा गर्मियों में भी फूलों से लदा रहेगा।
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