प्रति एकड़ से छापने हैं नोट, तो कीजिए RVS 18 सोयाबीन वरायटी की खेती, एक एकड़ में उत्पादन होगा 10 कुंतल

Rvs 18 Soybean Variety: किसान साथियों, सोयाबीन भारत की प्रमुख खरीफ फसलों में से एक है, जो तिलहन और प्रोटीन का महत्वपूर्ण स्रोत है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और राजस्थान जैसे राज्यों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर होती है। RVS 18, जिसे प्रज्ञा के नाम से भी जाना जाता है, एक हाइब्रिड सोयाबीन किस्म है, जो उच्च पैदावार, रोग प्रतिरोधक क्षमता, और अनुकूलनशीलता के लिए प्रसिद्ध है। 2025 में, जब अच्छे मानसून और सरकारी योजनाओं का समर्थन है, यह किस्म किसानों के लिए लाभकारी विकल्प है। यह लेख RVS 18 सोयाबीन की खेती, देखभाल, और मुनाफे की पूरी जानकारी देगा।

RVS 18 सोयाबीन का परिचय

RVS 18 (प्रज्ञा) को राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय (RVSKVV), ग्वालियर ने 2017 में विकसित किया। इसकी परिपक्वता अवधि 90-92 दिन है, जो इसे मध्यम अवधि की फसल बनाती है। यह मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए अनुशंसित है। इसके दाने छोटे और चमकीले होते हैं, जो बाजार में मांग बढ़ाते हैं। यह किस्म 6-8 क्विंटल प्रति एकड़ (25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर) तक पैदावार दे सकती है, जो पारंपरिक किस्मों (जैसे JS 335) से 18-28% अधिक है।

RVS 18 पीला मोजैक वायरस, चारकोल रॉट, और बैक्टीरियल पस्ट्यूल जैसे रोगों के प्रति प्रतिरोधी है। इसकी मजबूत जड़ प्रणाली अधिक वर्षा में जड़ सड़न को रोकती है। यह किस्म कम बीज दर पर भी अधिक उत्पादन देती है, जिससे लागत कम होती है।

मिट्टी और जलवायु की आवश्यकताएं

Rvs 18 Soybean Variety की खेती के लिए मध्यम से भारी दोमट मिट्टी, जिसका pH 6.5-7.5 हो, उपयुक्त है। अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी जरूरी है, क्योंकि जलभराव जड़ों को नुकसान पहुंचाता है। खेत की तैयारी के लिए 2-3 गहरी जुताई करें और 8-10 टन गोबर की खाद या 2-3 टन वर्मीकम्पोस्ट प्रति हेक्टेयर मिलाएं। मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए रोटावेटर का उपयोग करें।

जलवायु के लिए 25-30 डिग्री सेल्सियस तापमान और 600-800 मिमी वार्षिक वर्षा आदर्श है। RVS 18 खरीफ मौसम (जून-जुलाई) में बोई जाती है। 2025 में सामान्य से बेहतर मानसून की भविष्यवाणी के कारण यह किस्म उच्च पैदावार दे सकती है। उच्च तापमान (35 डिग्री से अधिक) फूल गिरने का कारण बन सकता है, इसलिए बुवाई समय पर करें।

बीज चयन और नर्सरी प्रबंधन कैसे करें

RVS 18 के लिए उच्च गुणवत्ता वाले प्रमाणित बीज चुनें, जो नर्सरी या विश्वसनीय आपूर्तिकर्ताओं (जैसे KISANeSTORE) से मिल सकते हैं। प्रति हेक्टेयर 65-70 किलो बीज (25-30 किलो प्रति एकड़) पर्याप्त है। बीज की बुवाई दर 13-15 किलो प्रति बीघा रखें। बीज को राइजोबियम और फॉस्फेट सॉल्यूबिलाइजिंग बैक्टीरिया (PSB) से उपचारित करें। रासायनिक उपचार के लिए थाइरम (3 ग्राम/किलो बीज) या मेटालेक्सिल (2 ग्राम/किलो बीज) का उपयोग करें।

बुवाई से पहले मिट्टी की नमी जांचें। लाइन से लाइन की दूरी 45 सेमी (18 इंच) और पौधे से पौधे की दूरी 10-15 सेमी रखें। बुवाई 3-5 सेमी गहराई पर करें। यदि नर्सरी तैयार कर रहे हैं, तो 25-30 दिन पुराने पौधों की रोपाई करें। रोपाई शाम को करें और तुरंत हल्की सिंचाई करें।

आधुनिक खेती तकनीकों का उपयोग

RVS 18 की खेती में ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग पैदावार बढ़ाते हैं। ड्रिप सिस्टम 30-40% पानी बचाता है और खरपतवार को नियंत्रित करता है। गर्मियों में 5-7 दिन और मानसून में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। फूल और फल बनने के समय (40-60 दिन) नियमित पानी दें। मल्चिंग के लिए 25-30 माइक्रोन मोटी सिल्वर-ब्लैक प्लास्टिक शीट का उपयोग करें, जो नमी बनाए रखती है और पैदावार 20-30% बढ़ाती है।

खेत के चारों ओर मक्का या ज्वार की 2-3 कतारें लगाएं, जो कीटों से सुरक्षा देती हैं। इंटरक्रॉपिंग के लिए मूंग या उड़द उपयुक्त हैं, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं। रिज और फरो विधि से बुव मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए, मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए, मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए, मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए, मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए।

उर्वरक और सही पोषण प्रबंधन

मिट्टी परीक्षण के आधार पर उर्वरक डालें। सामान्यतः 20-25 किलो नाइट्रोजन, 60-80 किलो फॉस्फोरस, और 20-30 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर दें। पूरी फॉस्फोरस और पोटाश बुवाई के समय और नाइट्रोजन को दो बार (बुवाई और फूल आने के समय) में डालें। जैविक खाद, जैसे राइजोबियम और PSB, मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं।जिंक की कमी होने पर जिंक सल्फेट (20 किलो/हेक्टेयर) बुवाई से पहले डालें। फूल और फल गिरने से रोकने के लिए बोरॉन (0.5 किलो/हेक्टेयर) का छिड़काव करें। फसल की वृद्धि के लिए 0.5% यूरिया का छिड़काव 30 और 50 दिन बाद करें।

कीट और रोग प्रबंधन का तरीका

RVS 18 पीला मोजैक वायरस, चारकोल रॉट, और बैक्टीरियल पस्ट्यूल के प्रति प्रतिरोधी है, लेकिन अन्य कीटों और रोगों की निगरानी जरूरी है। थ्रिप्स और सफेद मक्खी के लिए इमिडाक्लोप्रिड (0.5 मिली/लीटर पानी) का छिड़काव करें। पर्ण चित्ती रोग के लिए मैनकोजेब (2 ग्राम/लीटर पानी) का उपयोग करें।खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के 20-25 दिन बाद पेंडीमेथालिन (1 किलो/हेक्टेयर) छिड़कें। फसल की नियमित निगरानी करें और प्रभावित पौधों को हटाकर मिट्टी में दबाएं। जैविक कीट नियंत्रण के लिए नीम तेल (2 मिली/लीटर पानी) का छिड़काव करें।

कटाई और भंडारण की प्रक्रिया

RVS 18 की कटाई 90-92 दिन बाद शुरू होती है, जब 95% फलियां भूरी हो जाएं। कटाई सुबह करें और मशीन या हस्तचालित हार्वेस्टर का उपयोग करें। कटाई के बाद दानों को सुखाएं और नमी 8-10% तक लाएं। दानों को जूट या पॉलीथिन की थैलियों में स्टोर करें। भंडारण से पहले दानों को साफ करें और फ्यूमिगेशन (एल्यूमिनियम फॉस्फाइड) करें।

RVS 18 सोयाबीन की खेती: कम लागत, ज्यादा मुनाफा

RVS 18 सोयाबीन किस्म किसानों के लिए एक भरोसेमंद और लाभकारी विकल्प बनकर उभरी है। इसकी खेती में प्रति एकड़ औसतन ₹15,000 से ₹20,000 तक की लागत आती है, जिसमें बीज, खाद, सिंचाई और मजदूरी जैसे प्रमुख खर्च शामिल होते हैं। यदि उचित तकनीकों और वैज्ञानिक विधियों का उपयोग किया जाए तो प्रति एकड़ 6 से 8 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है। वर्तमान बाजार भाव ₹3,500 से ₹4,000 प्रति क्विंटल होने पर किसान एक एकड़ से ₹21,000 से ₹32,000 तक की आमदनी अर्जित कर सकते हैं।

इस प्रकार शुद्ध मुनाफा लगभग ₹10,000 से ₹15,000 प्रति एकड़ तक हो सकता है। यदि जैविक खेती की जाए या उत्पाद का निर्यात किया जाए तो यह लाभ 20% तक बढ़ सकता है। RVS 18 की प्रमुख विशेषता यह है कि यह न केवल उच्च उत्पादन देती है, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर होती है, जिससे किसानों की जोखिम लागत भी कम होती है।

सही बीज चयन, मिट्टी की उर्वरता का विश्लेषण, संतुलित पोषण प्रबंधन और सिंचाई की आधुनिक विधियों का उपयोग कर किसान प्रति हेक्टेयर 25 से 30 क्विंटल तक की उपज भी ले सकते हैं। साथ ही, केंद्र और राज्य सरकार की कृषि योजनाओं का लाभ उठाकर किसान अपनी उत्पादन लागत कम कर सकते हैं और अतिरिक्त लाभ अर्जित कर सकते हैं।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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