साहीवाल गाय भारत और पाकिस्तान की सबसे अच्छी डेयरी नस्लों में से एक मानी जाती है। इसकी शुरुआत पाकिस्तान के साहिवाल जिले से हुई थी। आज ये गाय अपनी खूबियों और ज्यादा दूध देने की वजह से किसानों के लिए मुनाफे का खजाना बन चुकी है। कम खर्च में इसे पालना आसान है और दूध भी अच्छा मिलता है। आइए, साहीवाल गाय की खासियतें, दूध की मात्रा और पालने का तरीका जानते हैं।
साहीवाल गाय की शारीरिक बनावट
साहीवाल गाय का शरीर गहरा और मांसल होता है। इसकी चमड़ी ढीली होती है, जिसकी वजह से गाँव में लोग इसे लोला भी कहते हैं। ये गाय लाल या गहरे भूरे रंग की होती है। कई बार इसके शरीर पर सफेद चमकदार धब्बे भी दिखते हैं। इसका सिर छोटा और सींग भी छोटे होते हैं। टांगें छोटी लेकिन मजबूत होती हैं। पूंछ पतली और छोटी सी होती है। नर साहीवाल की पीठ पर बड़ा कूबड़ होता है। नर की ऊंचाई करीब 136 सेंटीमीटर और मादा की 120 सेंटीमीटर के आसपास रहती है।
वजन की बात करें तो नर का वजन 450 से 500 किलो और मादा का 300 से 400 किलो तक होता है। स्वभाव में ये गाय थोड़ी आलसी लेकिन शांत होती है, जिससे पालना आसान रहता है। खाल चिकनी और मुलायम होती है।
साहीवाल गाय का दूध उत्पादन
साहीवाल गाय दूध देने में देसी नस्लों में सबसे आगे है। ये एक दिन में 10 से 16 लीटर तक दूध दे सकती है। पूरे दुग्धकाल में, जो करीब 305 दिन का होता है, ये औसतन 2270 लीटर दूध देती है। इसके दूध में वसा की मात्रा अच्छी होती है, जो इसे खास बनाता है। विदेशी गायों से तुलना करें तो ये कम दूध देती है, लेकिन खर्चा इतना कम होता है कि मुनाफा ज्यादा मिलता है।
ग्रामीण इलाकों में ये एक दुग्धकाल में 1350 किलोग्राम और व्यावसायिक फार्म में 2100 किलोग्राम दूध देती है। वैज्ञानिक इसे देसी गायों में सबसे अच्छा मानते हैं। इसकी घटती संख्या को देखते हुए वैज्ञानिक ब्रीडिंग से नस्ल सुधार रहे हैं। इसके तहत देसी गाय की पांचवीं पीढ़ी को साहीवाल में बदलने में कामयाबी मिली है।
साहीवाल गाय की खास खूबियां
साहीवाल गाय का शरीर गर्मी, परजीवियों और किलनी से लड़ने में सक्षम है। इस वजह से इसे पालने में ज्यादा मेहनत नहीं लगती। डेयरी किसानों को कम खर्च में अच्छा मुनाफा मिलता है। ये गाय ज्यादा दूध देती है और प्रजनन में भी आसानी होती है। सूखा झेलने की ताकत रखती है। इसका स्वभाव शांत है, जिससे इसे कहीं भी पाला जा सकता है। गर्मी सहने की अच्छी क्षमता और ज्यादा दूध की वजह से इसे एशिया, अफ्रीका और कैरेबियाई देशों में भी भेजा जाता है।
भारत में ये खास तौर पर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार और मध्य प्रदेश में पाई जाती है। प्रजनन की बात करें तो पहली बार ये 32 से 36 महीने की उम्र में बछड़ा देती है। दो प्रजनन के बीच 15 महीने का अंतर रहता है।
साहीवाल गाय का पालन और देखभाल
साहीवाल गाय को पालना आसान है। इसके लिए हवादार और साफ गोशाला बनानी चाहिए। गर्मी से बचाने के लिए छायादार जगह और पंखे लगाएं। खाने में हरा चारा जैसे बर्सिम, लूसर्न और सूखा चारा जैसे भूसा देना चाहिए। रोजाना 2 से 3 किलो दाना, जिसमें गेहूं, मक्का, चोकर हो, देना ठीक रहता है। खनिज मिश्रण और नमक भी खाने में मिलाएं। साफ और ताजा पानी हमेशा रखें। एक गाय को दिन में 40 से 50 लीटर पानी चाहिए। स्वास्थ्य के लिए नियमित टीकाकरण जैसे FMD, HS और ब्रुसेलोसिस करवाएं। किलनी और परजीवियों से बचाने के लिए दवाइयों का छिड़काव करें। दूध निकालते समय साफ बर्तन और तरीके अपनाएं, ताकि दूध की गुणवत्ता बनी रहे।
लागत और मुनाफा
साहीवाल गाय की कीमत उसकी उम्र और दूध देने की क्षमता पर निर्भर करती है। एक अच्छी गाय 50,000 से 1,00,000 रुपये में मिल सकती है। पालने का खर्चा महीने में 3,000 से 5,000 रुपये प्रति गाय आता है। अगर गाय रोज 12 लीटर दूध दे और दूध का भाव 50 रुपये प्रति लीटर हो, तो महीने में 18,000 रुपये की कमाई हो सकती है। खर्चा निकालने के बाद 12,000 से 15,000 रुपये का मुनाफा मिलता है। अगर 10 गायों का डेयरी फार्म हो, तो साल में 1.5 से 2 लाख रुपये का मुनाफा हो सकता है।
साहीवाल गाय कहाँ से खरीदें
साहीवाल गाय को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश के पशु मेलों से खरीदा जा सकता है। सरकारी पशु प्रजनन केंद्र और निजी डेयरी फार्म भी इसे बेचते हैं। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्र शुद्ध नस्ल की गाय देते हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे IndiaMART पर भी विक्रेता मिल सकते हैं। खरीदने से पहले गाय की सेहत और नस्ल की शुद्धता चेक करें। नजदीकी पशु चिकित्सालय या कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें। वहाँ गाय की उपलब्धता और सरकारी योजनाओं की जानकारी मिलेगी।
साहीवाल गाय क्यों खास है
साहीवाल गाय कम खर्च में ज्यादा दूध देती है। इसका शरीर गर्मी और बीमारियों से लड़ सकता है। प्रजनन आसान है और ये सूखे में भी टिक सकती है। इसका शांत स्वभाव पालने में मदद करता है। भारत में ये देसी नस्लों में सबसे अच्छी मानी जाती है। वैज्ञानिक इसकी नस्ल को बचाने और बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं।
पालने के आसान नुस्खे
साहीवाल गाय को पालने के लिए शुद्ध नस्ल चुनें। खाने में हरा चारा, दाना और खनिज मिश्रण दें। नियमित टीकाकरण और कृमिनाशक दवाएँ दें। गोशाला और दूध के बर्तनों को साफ रखें। प्रजनन के लिए साहीवाल नस्ल का अच्छा सांड चुनें। नाबार्ड और सरकारी योजनाओं का फायदा उठाएँ।
साहीवाल गाय डेयरी किसानों के लिए सोने का अंडा है। कम खर्च में ये अच्छा दूध देती है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में इसे पालकर महीने में 12,000 से 15,000 रुपये प्रति गाय कमा सकते हैं। इसे खरीदने के लिए राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान या कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें। साहीवाल गाय आपके डेयरी कारोबार को चमका सकती है।
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