संतरे की खेती आज के समय में किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प बन रही है। इस फल की मांग न सिर्फ देश में, बल्कि निर्यात बाजार में भी बढ़ रही है, जो अच्छा मुनाफा दिला सकती है। संतरे में विटामिन सी और अन्य पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है, जिससे इसका उपयोग जूस, सलाद, और प्रोसेस्ड प्रोडक्ट्स में होता है। अगर आप अपनी जमीन का सही इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो संतरे की खेती शुरू करने का यह सही समय है। यह फसल कम रखरखाव के साथ लंबे समय तक पैदावार देती है, बशर्ते आप सही तकनीक और देखभाल अपनाएँ। आइए, जानते हैं कि संतरे की खेती कैसे करें और इसे सफल बनाएँ।
सही जगह और मिट्टी का चुनाव
संतरे की खेती (Santra Ki Kheti Kaise Karen) के लिए सबसे पहले सही स्थान चुनना जरूरी है। यह फसल गर्म और शुष्क जलवायु में अच्छी बढ़ती है, जहाँ तापमान 10-40 डिग्री सेल्सियस के बीच रहे। ऊँचाई वाले इलाके, जहाँ हवा का प्रवाह अच्छा हो, इसके लिए उपयुक्त हैं। मिट्टी की बात करें, तो दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी, जिसमें अच्छी जल निकासी हो, सबसे बेहतर होती है। मिट्टी का पीएच 5.5-7.5 के बीच होना चाहिए। खेत की तैयारी के लिए 2-3 बार जुताई करें और प्रति हेक्टेयर 20-25 टन गोबर की खाद मिलाएँ। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी और पौधों की जड़ें मजबूत होंगी।
संतरे के पौधे लगाने का समय आमतौर पर मानसून के शुरू होने से पहले, यानी जून-जुलाई, या फरवरी-मार्च होता है। स्वस्थ और प्रमाणित नर्सरी से 1-2 साल के पौधे खरीदें, जैसे नागपुर संतरा या मसुंबी किस्म। पौधों के बीच 5-6 मीटर की दूरी रखें, ताकि सूरज की रोशनी और हवा सभी को मिले। गड्ढे 1x1x1 मीटर के बनाएँ और इनमें खाद के साथ थोड़ी मिट्टी मिलाकर पौधे रोपें। रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करें और पौधों के चारों ओर मिट्टी को दबाएँ, ताकि जड़ें स्थिर रहें। शुरुआती 2-3 साल तक नियमित देखभाल से पौधे मजबूत होते हैं।
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पानी और पोषण की देखभाल
संतरे के पौधों को पानी की सही मात्रा चाहिए, लेकिन जलभराव से बचें। रोपाई के बाद हर 10-15 दिन में हल्की सिंचाई करें, और फल आने के मौसम में इसे बढ़ाकर 7-10 दिन पर करें। गर्मियों में सुबह या शाम को पानी दें, ताकि जड़ों को नुकसान न हो। उर्वरक के लिए प्रति पौधे 500 ग्राम नाइट्रोजन, 250 ग्राम फॉस्फोरस, और 250 ग्राम पोटाश सालाना दें, जिसे दो हिस्सों में बाँटकर दें। इसके साथ, जैविक खाद और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स जैसे जिंक और मैग्नीशियम का छिड़काव करें। इससे फलों की गुणवत्ता और पैदावार बढ़ती है।
इसकी की खेती में कीट जैसे फल मक्खी और सिट्रस लीफ माइनर, और रोग जैसे सिट्रस कैंकर चुनौती बन सकते हैं। इनसे बचने के लिए नियमित रूप से पौधों की जाँच करें। नीम का तेल या जैविक कीटनाशक का छिड़काव करें, और प्रभावित शाखाओं को काटकर नष्ट करें। सिट्रस कैंकर से बचाव के लिए कॉपर-आधारित फफूंदनाशक का इस्तेमाल करें। खरपतवार को समय-समय पर हटाएँ और पौधों के नीचे मल्चिंग करें, ताकि नमी बनी रहे और खरपतवार नियंत्रित हों। साफ-सफाई और सही समय पर छंटाई से पौधे स्वस्थ रहते हैं।
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पैदावार और मुनाफे का गणित
संतरे के पौधे 3-4 साल में फल देना शुरू कर देते हैं, और पूरी पैदावार 6-7 साल में मिलती है। एक हेक्टेयर में 100-120 पौधे लगाकर प्रति पौधे 200-300 फल मिल सकते हैं, यानी कुल 20,000-30,000 फल सालाना। अगर एक फल की कीमत 5-10 रुपये हो, तो 1-3 लाख रुपये की कमाई संभव है। लागत (बीज, खाद, और मेहनत) को घटाने के बाद भी 50,000-2 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा हो सकता है। निर्यात बाजार में अच्छी गुणवत्ता वाले संतरे 20-30 रुपये प्रति किलो तक बिकते हैं, जो मुनाफे को दोगुना कर सकते हैं।
संतरे का पौधा नर्सरी से कैसे प्राप्त करें
संतरे का पौधा नर्सरी से प्राप्त करना खेती की सफलता की पहली सीढ़ी है। सबसे पहले, अपने क्षेत्र के नजदीकी सरकारी या प्रमाणित नर्सरी की सूची कृषि विभाग से लें। अच्छी नर्सरी में बीमारी-रहित और मजबूत पौधे मिलते हैं, जैसे नागपुर संतरा, मसुंबी, या कोसला। पौधे चुनते समय 1-2 साल के उन पौधों को प्राथमिकता दें, जिनकी जड़ें स्वस्थ और हरी हों। नर्सरी से पौधा लेने से पहले उसकी गुणवत्ता चेक करें—पत्तियाँ चमकदार और तने सीधे होने चाहिए। कीमत 50-100 रुपये प्रति पौधा हो सकती है, जो किस्म और क्षेत्र पर निर्भर करती है। ऑनलाइन ऑर्डर करने से बचें; सीधे नर्सरी जाकर पौधा लेना बेहतर है।
संतरे की खेती न सिर्फ आय का साधन है, बल्कि यह आपको स्वरोजगार और सम्मान भी देती है। सही मिट्टी, समय पर पानी, और कीट नियंत्रण से आप इस फसल को सफल बना सकते हैं। नर्सरी से स्वस्थ पौधा लेकर शुरू करें और अपनी मेहनत को मुनाफे में बदलें। अपने नजदीकी कृषि विशेषज्ञ से सलाह लें और प्रमाणित पौधे चुनें। यह मेहनत आपको लंबे समय तक फल और मुनाफा देगी। तो देर किस बात की, आज से संतरे की खेती शुरू करें और अपनी जिंदगी को रंगीन बनाएँ!
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