Sapota cultivation In Hindi: अगर आप बागवानी में दिलचस्पी रखते हैं तो आपके लिए चीकू की बागवानी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। ये मौसम भी चीकू की बागवानी के लिए शानदार है। खास बात है कि एक बार इसका फल आना शुरू होगा तो इसका पेड़ 50 साल तक फल देता है। इस तरह किसान एक बार इसे लगाकर कई सालों तक इसके फल बेचकर अच्छी खासी कमाई कर सकता है। मौजूदा रेट के हिसाब से इसकी बागवानी से किसान प्रति वर्ष 7 से 8 लाख रुपए की कमाई आसानी से कर सकते हैं।
चीकू की बागवानी के लिए मिट्टी और जलवायु- Sapota cultivation In Hindi
चीकू की बागवानी के लिए बलुई दोमट व मध्यम काली मिट्टी जिसका पीएच मान करीब 6 से 8 के बीच हो अच्छी रहती है। जबकि चीकू की खेती के लिए उथली चिकनी मिट्टी उपयुक्त नहीं होती है। चीकू एक उष्णकटिबंधीय फल है, इसलिए इसकी वृद्धि और विकास के लिए गर्म, आर्द्र जलवायु की जरूरत होती है। चीकू का पेड़ एक वर्ष में दो बार फल देता है। पहला, जनवरी से फरवरी और दूसरी बार मई से जुलाई तक। इस तरह किसान चीकू के एक पेड़ से साल में दो बार फल प्राप्त करके अच्छी कमाई कर सकते हैं।
चीकू की उन्नत किस्में
भारत में चीकू की 41 से अधिक किस्में पाई जाती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख किस्में हैं:
- पीकेएम 2 हाइब्रिड: यह संकर किस्म अधिक उत्पादन देती है।
- भूरी पत्ती और पीली पत्ती: ये पछेती किस्में हैं, जो देर से तैयार होती हैं।
- काली पत्ती, क्रिकेट बाल, बारहमासी और पोट सपोटा: ये किस्में भी बेहतर उत्पादन देती हैं।
चीकू की बागवानी की प्रक्रिया- Sapota cultivation In Hindi
चीकू की बागवानी शुरू करने के लिए सबसे पहले नर्सरी में पौधे तैयार किए जाते हैं। नर्सरी में स्वस्थ और उन्नत किस्म के बीजों का चयन करें। पौधे तैयार होने के बाद खेत में गड्ढे खोदे जाते हैं। हर गड्ढे का आकार 1 मीटर लंबाई X 1 मीटर चौड़ाई X 1 मीटर गहराई होना चाहिए। इन गड्ढों को कुछ दिनों तक खुला छोड़ दें, ताकि धूप और हवा लगने से हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाएँ।
गड्ढों को भरने के लिए मिट्टी में गोबर की खाद, बालू और केंचुआ खाद मिलाएँ। इस मिश्रण को गड्ढे में डालकर अच्छी तरह दबा दें। बारिश के मौसम में मिट्टी के बैठ जाने के बाद पौधों की रोपाई की जाती है। एक हेक्टेयर खेत में लगभग 156 पौधे लगाए जा सकते हैं। पौधों के बीच 8 मीटर की दूरी रखें, ताकि पेड़ों को फैलने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके।

खाद और उर्वरक प्रबंधन
रोपाई के एक साल बाद से प्रति पेड़ 4 से 5 टोकरी गोबर की खाद, 2 से 3 किलोग्राम अरंडी या करंज की खली और 50:25:25 ग्राम एनपीके प्रति पौधा प्रति वर्ष देना चाहिए। इस मात्रा को 10 साल तक बढ़ाते रहना चाहिए। इसके बाद 500:250:250 ग्राम एनपीके की मात्रा प्रति वर्ष देनी चाहिए। खाद व उर्वरक देने का सबसे सही समय जून व जुलाई का महीना होता है। खाद को पेड़ के फैलाव की परिधि के नीचे 50 से 60 सेंटीमीटर चौड़ी और 15 सेंटीमीटर गहरी नाली बनाकर देना चाहिए। इससे पेड़ को अधिक लाभ होता है।
सिंचाई प्रबंधन
सर्दियों के मौसम में चीकू के पेड़ों की 30 दिन के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए। वहीं गर्मियों में 12 दिन के अंतराल में इसकी सिंचाई की जानी चाहिए। इसके लिए ड्रिप सिंचाई का उपयोग किया जा सकता है। शुरुआती अवस्था में पहले दो साल के दौरान, पेड़ के 50 सेंटीमीटर के फासले पर 2 ड्रिपर लगाने चाहिए। इसके बाद 5 साल तक पेड़ से एक मीटर की दूरी पर 4 ड्रिपर लगाए जा सकते हैं।
चीकू की पैदावार से कमाई का अनुमान
चीकू का पेड़ करीब चार साल बाद फल देना शुरू कर देता है। पांच साल बाद इसके पेड़ से 30 से 50 किलोग्राम फल मिलना शुरू हो जाता है। इसके बाद 9 से 10 साल बाद इसके पौधे से एक क्विंटल फल मिलने लग जाते हैं। इसके बाद इसका पेड़ करीब 3 क्विंटल से अधिक फल दे सकता है। इसका पेड़ 50 साल तक फल दे सकता है। चीकू के दो सीजन होते हैं। पहला जनवरी से मार्च तक और दूसरा अप्रैल से मई के बीच का सीजन होता है जिसमें इससे फल प्राप्त किए जा सकते हैं।
इस तरह चीकू का पेड़ साल में दो बार फल देता है। अगर किसान एक हेक्टेयर में इसकी बागवानी करे तो इससे पांच महीने में छह लाख रुपए और एक साल में करीब 8 लाख रुपए की कमाई कर सकता है।
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