कीजिए इस गुच्छे वाली सरसों की खेती, एक हेक्टेयर में 25 कुंतल उत्पादन, झड़ने का भी टेंशन नही

किसान भाइयों, आपके खेतों की मेहनत ही देश को तेल और स्वाद देती है। सरसों की खेती में अगर सही किस्म चुनें, तो फायदा दोगुना हो सकता है। “शिवांश” एक ऐसी उन्नत सरसों की किस्म है, जो गुच्छों में फल देती है, बंपर पैदावार लाती है, और फलियों के झड़ने की टेंशन को खत्म करती है। अक्टूबर-नवंबर में बुवाई करें, तो फरवरी-मार्च में शानदार फसल काट सकते हैं। ये किस्म न सिर्फ उपज बढ़ाती है, बल्कि मेहनत को भी सही दिशा देती है। आइए, जानें कि शिवांश सरसों की खेती कैसे करें और फायदा कैसे पाएँ।

शिवांश सरसों क्या है और क्यों खास

शिवांश एक हाइब्रिड सरसों की किस्म है, जिसे भारतीय कृषि वैज्ञानिकों ने तैयार किया है। इसकी खासियत है इसके गुच्छे एक डंठल पर कई फलियाँ बनती हैं, जो मजबूत होती हैं और आसानी से नहीं झड़तीं। सामान्य सरसों से 20-30% ज्यादा पैदावार देती है। एक हेक्टेयर से 20-25 क्विंटल तक उपज मिल सकती है। इसमें तेल की मात्रा 40-42% होती है, जो बाजार में अच्छा दाम दिलाती है। ठंडी जलवायु में ये शानदार बढ़ती है और कीट-रोगों से भी कम प्रभावित होती है। अप्रैल में अगले सीजन की योजना बनाएँ, ताकि अक्टूबर में बुवाई शुरू हो सके।

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खेत तैयार करने का आसान तरीका

शिवांश सरसों के लिए दोमट या बलुई मिट्टी बेस्ट है, जहाँ पानी जमा न हो। अप्रैल में खेत की मिट्टी जाँच लें, ताकि अक्टूबर से पहले तैयारी पूरी हो। खेत को हल से 2-3 बार जोतें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। प्रति हेक्टेयर 8-10 टन गोबर की खाद डालें। मिट्टी का pH 6-7.5 रखें। खेत को समतल करें और जल निकासी की व्यवस्था करें। बुवाई से पहले 50 किलो DAP और 25 किलो यूरिया बेसल डोज के रूप में डालें। खेत में नमी बनी रहे, ताकि बीज अच्छे से अंकुरित हों। ये तैयारी फसल को मजबूत नींव देगी।

बुवाई का सही समय और तरीका

शिवांश सरसों की बुवाई अक्टूबर से नवंबर के बीच करें। प्रति हेक्टेयर 1.5-2 किलो बीज काफी हैं। बीज को 2-3 सेमी गहरा बोएँ, कतार से कतार 45 सेमी और पौधे से पौधे 15-20 सेमी की दूरी रखें। ड्रिल से बोना बेहतर है, ताकि बीज बराबर फैलें। बुवाई से पहले बीज को थीरम (2 ग्राम प्रति किलो) से उपचारित करें, ताकि फफूंद से बचाव हो। बुवाई के बाद हल्का पानी दें। 5-7 दिन में अंकुर निकल आएँगे। ठंड शुरू होते ही ये तेजी से बढ़ती है और फरवरी-मार्च में कटाई के लिए तैयार होती है। सही समय पर बोएँ, तो झड़ने की चिंता नहीं रहेगी।

देखभाल और खाद-पानी की व्यवस्था

शिवांश सरसों को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं। पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिन बाद करें, फिर फूल आने (दिसंबर-जनवरी) और फलियाँ बनने (फरवरी) पर पानी दें। ड्रिप सिस्टम से पानी बचता है। 30 दिन बाद 25 किलो यूरिया टॉप ड्रेसिंग करें। खरपतवार को 20-25 दिन पर गुड़ाई से हटाएँ। माहू (एफिड्स) कीट लगे, तो नीम का तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) छिड़कें। फलियाँ गुच्छों में मजबूत होती हैं, तो हवा से झड़ने का डर कम रहता है। पौधों को धूप और हवा मिले, ताकि फसल स्वस्थ रहे। सही देखभाल से पैदावार बढ़ेगी।

कटाई और कमाई का हिसाब

फरवरी-मार्च में जब फलियाँ पीली पड़ जाएँ और बीज सख्त हो जाएँ, तो कटाई करें। पौधों को जड़ से काटें, सुखाएँ, और बीज अलग करें। एक हेक्टेयर से 20-25 क्विंटल उपज मिलती है। लागत 15,000-20,000 रुपये (बीज, खाद, मजदूरी) आती है। बाजार में सरसों 50-60 रुपये किलो बिकती है, तो 1-1.5 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। तेल की मात्रा ज्यादा होने से तेल मिलों में भी अच्छा दाम मिलता है। गुच्छे वाली मजबूत फलियों की वजह से नुकसान कम होता है। अभी अप्रैल में बीज और खाद का इंतजाम शुरू करें।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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