Musturd Farming: उत्तर प्रदेश के खेतों में सरसों की बुवाई का आखिरी हफ्ता चल रहा है, लेकिन मंडियों में कीमतें 6500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुँच गई हैं। ठंड की शुरुआत से किसान भाइयों की चिंता बढ़ रही है कि रोगों से फसल न बचे। लखनऊ के कृषि बाजार से खबर आई कि पछली फसल में तिल्ली रोग से 20-25 प्रतिशत नुकसान हुआ, लेकिन आईसीएआर और पंतनगर विश्वविद्यालय की ताजा सिफारिशें बता रही हैं कि पंत पियूष, वर्धन, पूसा तारक, RH-749 और NRCHB-101 जैसी किस्में न सिर्फ 18-24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देंगी बल्कि तेल की मात्रा 40 प्रतिशत तक रखेंगी।
ये किस्में यूपी की दोमट मिट्टी और ठंडी जलवायु के लिए बिल्कुल फिट हैं। अगर अभी बुवाई कर ली तो फरवरी-मार्च में कटाई से 1-1.5 लाख प्रति हेक्टेयर का मुनाफा आसानी से हो जाएगा। देरी हुई तो सिर्फ 3-4 कटाई ही बचेंगी, यानी 5-7 हजार का नुकसान। आज ही बीज मँगवा लें, क्योंकि नवंबर का ये आखिरी मौका है।
1. पंत पियूष
पंत पियूष सरसों की वो किस्म है जो यूपी के किसानों को सबसे ज्यादा पसंद आ रही है, खासकर जब धान की कटाई के तुरंत बाद बुवाई का समय हो। ये 115-120 दिनों में ही पक जाती है और प्रति हेक्टेयर 18-20 क्विंटल तक पैदावार दे देती है। इसमें तेल की मात्रा 38-40 प्रतिशत तक रहती है, जो तेल मिलों में ऊँचा दाम दिलाती है। पंतनगर विश्वविद्यालय ने इसे खास तौर पर पूर्वी यूपी के लिए तैयार किया है, जहाँ नमी ज्यादा रहती है। रोगों से लड़ने की ताकत भी इसमें भरपूर है, इसलिए कम देखभाल में भी फसल हरी-भरी रहती है। बुवाई के लिए 8-10 किलो बीज प्रति हेक्टेयर लें और मिट्टी में 10-12 टन गोबर खाद मिला दें। सिंचाई दो-तीन बार ही काफी, लेकिन पहली बुवाई के तुरंत बाद पानी जरूर दें।
2. वर्धन
वर्धन (RGN-48) सरसों की वो किस्म है जो यूपी के मध्य और पश्चिमी इलाकों में कमाल कर रही है। ये 120-125 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 20-22 क्विंटल उपज देती है। तेल की मात्रा 39 प्रतिशत रहती है, जो बाजार में अच्छी कीमत सुनिश्चित करती है। सबसे बड़ी खासियत ये कि ये तिल्ली रोग और अन्य फफूंदों से खुद बचाव करती है, इसलिए दवा का खर्च बच जाता है। राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय ने इसे विकसित किया है, जो यूपी की बदलती जलवायु के लिए एकदम सही है। बुवाई नवंबर के मध्य में करें, दूरी 30×10 सेंटीमीटर रखें। खाद में 40 किलो नाइट्रोजन और 20 किलो फॉस्फोरस डालें। अगर बारिश कम हो तो दो सिंचाई अतिरिक्त दें, वरना फूल झड़ सकते हैं।
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3. पूसा तारक
पूसा तारक सरसों की किस्म यूपी के उन किसानों के लिए वरदान है जहाँ सफेद गेरूआ और तिल्ली रोग आम समस्या हैं। आईएआरआई ने इसे तैयार किया है, जो 120-125 दिनों में पकती है और प्रति हेक्टेयर 18-20 क्विंटल देती है। तेल की मात्रा 40 प्रतिशत तक पहुँच जाती है, जो तेल निकालने वालों को सबसे ज्यादा आकर्षित करती है। ये किस्म मिट्टी की किसी भी स्थिति में चल जाती है, चाहे दोमट हो या रेतीली। बुवाई के लिए 6-8 किलो बीज लें और मिट्टी में जिप्सम 50 किलो डालकर सल्फर की कमी पूरी करें। गुड़ाई दो बार करें ताकि खरपतवार न दबा दें। रोग दिखने पर मैनकोजेब का हल्का स्प्रे कर दें, लेकिन ये किस्म खुद ही ज्यादातर बचाव कर लेती है।
4. RH-749
अगर बुवाई दिसंबर में हो गई है तो RH-749 सरसों की किस्म ही आपका साथ देगी। ये 135-140 दिनों में तैयार होती है और प्रति हेक्टेयर 22-24 क्विंटल तक उपज दे देती है। तेल 38-39 प्रतिशत रहता है, जो बाजार में अच्छा दाम दिलाता है। पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी ने इसे विकसित किया है, जो यूपी के पूर्वांचल जैसे गाजीपुर, जौनपुर और वाराणसी में खूब चल रही है। इसकी मजबूत जड़ें सूखे को सहन करती हैं, इसलिए कम पानी वाले इलाकों में फिट है। बुवाई के समय 20 किलो जिंक सल्फेट डालें ताकि फूल अच्छे बनें। सिंचाई तीन-चार बार करें और फलियाँ बनते समय अतिरिक्त पानी दें।
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5. NRCHB-101
एनआरसीएचबी ने NRCHB-101 सरसों की किस्म को यूपी की मिट्टी के लिए खास बनाया है। ये 130-135 दिनों में पकती है और प्रति हेक्टेयर 20-22 क्विंटल उपज देती है। तेल की मात्रा 40 प्रतिशत तक होती है, जो तेल उद्योग के लिए सबसे अच्छी है। तिल्ली और सफेद गेरूआ रोगों से मजबूत लड़ाई लड़ती है, इसलिए दवा का खर्च बच जाता है। बुवाई के लिए प्रमाणित बीज लें और मिट्टी में 15 टन गोबर खाद मिला दें। नाइट्रोजन 50 किलो बेसल डोज में डालें। गुड़ाई नियमित करें और फूल आने पर जिंक का स्प्रे करें ताकि दाने भरपूर भरें।
तुलना तालिका
| किस्म का नाम | अवधि (दिन) | औसत उपज (क्विं./हे.) | तेल प्रतिशत | विशेषता |
|---|---|---|---|---|
| पंत पियूष | 115-120 | 18-20 | 38-40% | अगेती बोनी के लिए श्रेष्ठ |
| वर्धन (RGN-48) | 120-125 | 20-22 | 39% | जल्दी पकने वाली, रोग प्रतिरोधक |
| पूसा तारक | 120-125 | 18-20 | 40% | रोग प्रतिरोधक, स्थिर पैदावार |
| RH-749 | 135-140 | 22-24 | 38-39% | पछेती बोनी में सफल |
| NRCHB-101 | 130-135 | 20-22 | 40% | रोग प्रतिरोधक, ज्यादा तेल वाली |
किसानों के लिए सलाह
यूपी के किसान भाई, सरसों की खेती में किस्म का चुनाव ही आधा खेल जीत देता है। अगेती बुवाई के लिए पंत पियूष, मध्यम के लिए वर्धन या पूसा तारक और पछेती के लिए RH-749 या NRCHB-101 चुनें। मिट्टी की जाँच करवाकर सल्फर-जिंक की कमी पूरी करें। बुवाई नवंबर के आखिर तक पूरी कर लें, दूरी 30×10 सेंटीमीटर रखें। सरकारी केंद्रों से बीज लें, 50 प्रतिशत सब्सिडी मिल रही है। रोग दिखने पर तुरंत स्प्रे करें। इन किस्मों से न सिर्फ पैदावार बढ़ेगी बल्कि तेल की गुणवत्ता से बाजार में ऊँचा दाम मिलेगा। अभी शुरू करें, फरवरी में मुस्कुराएँगे।
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