भारत अब दूध क्षेत्र में दूसरी क्रांति की ओर बढ़ रहा है। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) ने योजना बनाई है कि देशभर की दुग्ध सहकारी समितियों को मजबूत करके रोजाना 10 करोड़ लीटर दूध खरीदा जाए। NDDB के चेयरमैन मिनेश सी. शाह ने कहा कि यह कदम किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगा और दूध की गुणवत्ता व पारदर्शिता बढ़ाएगा। वर्तमान में 8 करोड़ से ज्यादा किसान डेयरी से जुड़े हैं, जिन्होंने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बनाया। अब समय है कि इस सफलता को अगले स्तर पर ले जाया जाए।
सहकारी समितियों को बनाएँगे आत्मनिर्भर
शाह ने केरल में एक सेमिनार में बताया कि दूसरी दुग्ध क्रांति का मकसद सिर्फ उत्पादन बढ़ाना नहीं, बल्कि सहकारी समितियों को टिकाऊ बनाना है। दूध में मिलावट रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएँगे। अभी संगठित दूध बाजार का हिस्सा सिर्फ 32-35 प्रतिशत है, जिसे बढ़ाकर किसानों और उपभोक्ताओं को फायदा पहुँचाया जाएगा। यह योजना लागू होने पर भारत दूध उत्पादन, गुणवत्ता और निर्यात में दुनिया का लीडर बन सकता है। पशुपालक भाई अब नई तकनीकों से जुड़कर अपनी आय बढ़ा सकेंगे।
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मिलमा का 2030 तक बड़ा लक्ष्य
केरल कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (मिलमा) के चेयरमैन के. एस. मणि ने कहा कि 2024-25 में मिलमा का कारोबार 4,327 करोड़ रुपये रहा। 2030 तक इसे 10,052 करोड़ तक ले जाने का प्लान है, जिसमें हर साल 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। नई परियोजनाएँ सहकारी समितियों को मजबूत करेंगी और दूध की गुणवत्ता सुधारेंगी। मिलमा के उत्पाद जल्द क्रूज़ शिप, बंदरगाहों, हवाई अड्डों और कोच्चि मेट्रो के 25 स्टेशनों पर वेंडिंग मशीनों से मिलेंगे। यह विस्तार पशुपालकों के लिए नई बाजार खोलेगा।
केरल बनेगा सबसे बड़ा दूध उत्पादक राज्य
केरल की पशुपालन और डेयरी मंत्री जे. चिन्चुराणी ने सेमिनार का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि केरल के पास देश का सबसे बड़ा दूध उत्पादक राज्य बनने की पूरी क्षमता है। राज्य सरकार कई योजनाएँ चला रही है, जो दूध उत्पादन बढ़ाएँगी और किसानों की आय सुधारेंगी। वर्तमान में केरल पंजाब के बाद दूसरे स्थान पर है। भूमि की कमी से चारे की दिक्कत है, लेकिन चरागाह क्षेत्र बढ़ाकर इसे हल किया जा रहा है। मंत्री ने जोर दिया कि दूध उत्पादन की लागत कम करनी होगी और उत्पादकता बढ़ानी होगी। आधुनिक तकनीक और मजबूत विपणन से टिकाऊ विकास संभव है।
पशुपालकों के लिए सुनहरा मौका
दूसरी दुग्ध क्रांति से पशुपालक भाई नई सुविधाएँ पाएँगे। सहकारी समितियाँ मजबूत होंगी, मिलावट रुकेगी और बाजार बढ़ेगा। यह योजना किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी। पशुपालक भाइयों को चाहिए कि वे सहकारी समितियों से जुड़ें और नई तकनीकों को अपनाएँ। आने वाले वर्षों में दूध क्षेत्र नई ऊँचाइयों को छुएगा।
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