Seed Priming: किसान भाइयों, खेत में फसल की शुरुआत ही उसकी कामयाबी की नींव होती है। अगर बीज मज़बूत और तेज़ी से उग आए, तो फसल भी लहलहाएगी। इसके लिए एक देसी और साइंटिफिक तरीका है बीज प्राइमिंग। यह बुवाई से पहले बीज को तैयार करने का ऐसा नुस्खा है, जो अंकुरण को तेज़ करता है, फसल को एकसमान बनाता है, और मुश्किल मौसम में भी खेत को हरा-भरा रखता है। चाहे गर्मी हो, सूखा हो, या ठंड, प्राइमिंग से बीज ताकतवर बनते हैं। आइए, जानते हैं कि यह जादुई तरीका कैसे काम करता है और आप इसे अपने खेत में कैसे आज़मा सकते हैं।
बीज प्राइमिंग क्या है (What is Seed Priming)
बीज प्राइमिंग का मतलब है बुवाई से पहले बीज को इस तरह तैयार करना कि वह जल्दी और मज़बूती से उगने लगे। पुराने ज़माने में हमारे दादा-परदादा बीजों को पानी में भिगोकर या देसी तरीकों से तैयार करते थे यह उसी का नया और बेहतर रूप है। इसमें बीज को पानी, नमक, या खास घोल में कुछ देर के लिए भिगोया जाता है, ताकि अंकुरण की शुरुआती प्रक्रिया शुरू हो जाए। लेकिन ध्यान रहे, बीज को पूरी तरह अंकुरित नहीं होने देना, बस उसे जगा देना है। यह तरीका गेहूं, चावल, मक्का, सब्जियों, और दालों के बीजों के लिए कमाल करता है। इससे बीज तेज़ी से उगते हैं, और फसल एकसमान और तंदुरुस्त आती है।
प्राइमिंग के फायदे
किसान भाइयों, बीज प्राइमिंग आपके खेत को कई तरह से चमकाता है। सबसे बड़ा फायदा यह है कि बीज जल्दी और एक साथ उगते हैं, जिससे फसल की लंबाई-चौड़ाई एक जैसी रहती है। अगर पानी कम हो या गर्मी ज़्यादा हो, तो भी प्राइम किए बीज डटकर मुकाबला करते हैं। यह तरीका बीजों को सूखे और तापमान की मार से बचाता है। साथ ही, फसल की पैदावार बढ़ती है, क्योंकि ज़्यादा बीज मज़बूत पौधों में बदलते हैं। प्राइमिंग से बीजों को स्टोर करने की ताकत भी बढ़ती है, यानी आप उन्हें बाद में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यह एक सस्ता और आसान नुस्खा है, जो छोटे से लेकर बड़े किसानों तक के लिए फायदेमंद है।
पानी में भिगोने का तरीका
सबसे आसान प्राइमिंग का तरीका है हाइड्रो प्राइमिंग। इसमें बीजों को उनकी मात्रा से दोगुना पानी में कुछ घंटों के लिए भिगोया जाता है। उदाहरण के लिए, अगर आपके पास 1 किलो बीज हैं, तो 2 लीटर साफ पानी में उन्हें डालें। पानी बीजों को अंदर तक जज़्ब करना चाहिए, ताकि अंकुरण की प्रक्रिया शुरू हो। लेकिन ज़्यादा देर न भिगोएँ, वरना बीज खराब हो सकते हैं। भिगोने के बाद बीजों को छाँव में सुखाएँ, ताकि वे बुवाई के लिए तैयार हों।
यह तरीका गेहूं, मक्का, या सब्जियों जैसे लौकी-भिंडी के बीजों के लिए बहुत अच्छा है। बस इतना ध्यान रखें कि पानी साफ हो और भिगोने का समय बीज के हिसाब से सही हो छोटे बीजों को कम, बड़े बीजों को थोड़ा ज़्यादा।
और भी हैं प्राइमिंग के तरीके
हाइड्रो प्राइमिंग के अलावा कुछ और तरीके भी हैं, जो खास फसलों के लिए काम आते हैं। हेलोप्राइमिंग में बीजों को हल्के नमक के घोल (जैसे NaCl) में भिगोया जाता है, जो सूखे इलाकों में फसल को ताकत देता है। ऑस्मोप्राइमिंग में खास घोल (जैसे PEG) का इस्तेमाल होता है, जो बीजों को मुश्किल मौसम में उगने के लिए तैयार करता है। सैंड मेट्रिक प्राइमिंग में नम रेत में बीज रखे जाते हैं, जो बड़े बीजों जैसे कद्दू या मक्का के लिए अच्छा है। इन तरीकों को आज़माने से पहले अपने गाँव के कृषि केंद्र या अनुभवी किसानों से सलाह लें, ताकि सही विधि चुन सकें। छोटे खेतों के लिए हाइड्रो प्राइमिंग सबसे आसान और सस्ता है।
आसान शुरुआत
प्राइमिंग शुरू करने से पहले कुछ छोटी बातें ध्यान रखें। हमेशा अच्छी क्वालिटी के बीज चुनें, क्योंकि खराब बीज प्राइमिंग से भी ठीक नहीं होंगे। भिगोने के लिए साफ पानी या घोल इस्तेमाल करें, और समय का खास ध्यान रखें ज़्यादा भिगोने से बीज सड़ सकते हैं। अगर पहली बार प्राइमिंग कर रहे हैं, तो छोटी मात्रा में बीज आज़माएँ। अपने गाँव के उन किसानों से बात करें, जो यह तरीका पहले से इस्तेमाल करते हैं। गर्मियों में लौकी, भिंडी, या मिर्च की बुवाई से पहले प्राइमिंग करें, ताकि फसल तेज़ी से बढ़े। बीजों को छाँव में सुखाएँ और बुवाई में देर न करें। यह छोटा सा कदम आपके खेत को मुनाफे का खज़ाना बना देगा।
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