मध्य प्रदेश के सीहोर जिले का शरबती गेहूं अपनी अलग पहचान रखता है। इसके सुनहरे, बड़े और हल्की मिठास वाले दाने इसे “गोल्डन ग्रेन” या “प्रीमियम व्हीट” बनाते हैं। मुलायम रोटी और बेहतर स्वाद के लिए मशहूर यह गेहूँ बाजार में आम गेहूँ से ज्यादा कीमत पाता है। यह कम पानी में भी अच्छी फसल देता है, जो जल संकट के दौर में किसानों के लिए वरदान है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की सलाह और GI टैग के साथ यह किस्म मध्य प्रदेश के किसानों की शान है। आइए, रबी 2025 के लिए शरबती गेहूं की खेती की हर बात विस्तार से जानें, जिसमें बुवाई, खाद, पानी, रोग नियंत्रण, उपज और बाजार की पूरी जानकारी शामिल है।
उपयुक्त क्षेत्र और जलवायु
शरबती गेहूं खासतौर पर सीहोर, विदिशा, रायसेन और भोपाल जिलों में शानदार फसल देता है। यह मध्यम से भारी काली मिट्टी (ब्लैक सॉयल) में सबसे अच्छा उगता है, जो मध्य प्रदेश की खासियत है। बुवाई के समय तापमान 10 से 25 डिग्री सेल्सियस और कटाई के समय 25 से 40 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। यह किस्म बारिश पर निर्भर या कम पानी वाले खेतों में भी अच्छी है। लेकिन ज्यादा नमी या जलभराव वाले खेतों से बचें, क्योंकि इससे फसल खराब हो सकती है। अगर आपके खेत में काली मिट्टी और सीमित पानी है, तो शरबती गेहूँ आपके लिए बेस्ट है। स्थानीय कृषि केंद्र से मिट्टी और जलवायु की सलाह लें।
बुवाई का सही समय और बीज की तैयारी
शरबती गेहूं की बुवाई 15 अक्टूबर से 10 दिसंबर तक करें। इस समय ठंड शुरू होती है, जो फसल के लिए बेस्ट है। प्रति हेक्टेयर 100-125 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है। बीज को 4-5 सेंटीमीटर गहराई पर बोएं और पंक्तियों के बीच 20-22 सेंटीमीटर की दूरी रखें। अच्छी किस्में जैसे C-306 (शरबती), HI-1544, HI-1500 और GW-322 चुनें। बुवाई से पहले बीज को थायरम या कार्बेन्डाजिम (2.5 ग्राम प्रति किलो बीज) से उपचारित करें, ताकि बीज से होने वाली बीमारियों से बचाव हो। प्रमाणित बीज स्थानीय कृषि केंद्र से लें। समय पर बुवाई और बीज की सही तैयारी से फसल की शुरुआत मजबूत होगी, जो ज्यादा उपज देगी।
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खाद और पोषण
शरबती गेहूं की अच्छी फसल के लिए मिट्टी को सही खाद देना जरूरी है। प्रति हेक्टेयर 120 किलो नाइट्रोजन (आधा बुवाई के समय, आधा पहली सिंचाई पर), 60 किलो फॉस्फोरस और 40 किलो पोटाश (दोनों बुवाई के समय) दें। हर 2-3 साल में 25 किलो जिंक सल्फेट और जरूरत हो तो 20 किलो सल्फर डालें। जैविक खेती करने वाले 5 टन वर्मी कम्पोस्ट प्रति हेक्टेयर और आधी रासायनिक खाद डालें। इससे फसल की गुणवत्ता और उपज बढ़ती है। मिट्टी का टेस्ट करवाकर खाद की सही मात्रा तय करें। सही पोषण से शरबती गेहूं के दाने चमकदार और बड़े होंगे, जो बाजार में अच्छा भाव लाएंगे।
सिंचाई
शरबती गेहूं सूखा सहन कर सकता है, लेकिन अच्छी उपज के लिए 4-5 बार पानी देना जरूरी है। पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें। दूसरी सिंचाई 20-25 दिन बाद, जब पौधे में टिलरिंग शुरू हो। तीसरी 45-50 दिन पर बूटिंग अवस्था में, चौथी 70 दिन पर फूल आने के समय और पाँचवीं 90-100 दिन पर दाना भरने की अवस्था में दें। हर बार 6-8 सेंटीमीटर पानी काफी है। ज्यादा पानी देने से दाने सिकुड़ सकते हैं। अगर आपके खेत में पानी कम है, तो सावधानी से सिंचाई करें। बारिश पर निर्भर खेतों में मिट्टी की नमी जांचें। यह किस्म कम पानी में भी अच्छी फसल देती है।
रोग और कीट
शरबती गेहूं पर पत्ती झुलसा, काला दाना और रस्ट जैसी बीमारियाँ आ सकती हैं। पत्ती झुलसा में पत्तियों पर भूरे धब्बे दिखते हैं, इसके लिए 0.1% कार्बेन्डाजिम का छिड़काव करें। काला दाना रोग में बालियों में काले बीज बनते हैं, इसे रोकने के लिए बीज उपचार और रोग-रोधी किस्म चुनें। ब्राउन या येलो रस्ट में पत्तियों पर जंग जैसे धब्बे दिखते हैं, इसके लिए मैन्कोजेब या प्रोपिकोनाजोल छिड़कें। दीमक से पौधे सूखने लगते हैं, इसके लिए बुवाई से पहले क्लोरपायरीफॉस से उपचार करें। गेहूँ के बाद चना या तिलहन की फसल उगाएँ, इससे बीमारियाँ कम होंगी। नियमित खेत की जाँच करें।
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खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार फसल को नुकसान पहुँचाते हैं। बुवाई के 25-30 दिन बाद पहली निराई करें। अगर खरपतवार ज्यादा हों, तो बुवाई के एक दिन बाद पेंडिमेथालिन (1 लीटर प्रति हेक्टेयर) का छिड़काव करें। इससे फसल को पूरा पोषण मिलेगा और उपज बढ़ेगी। खेत को साफ रखने के लिए समय-समय पर निगरानी करें। खरपतवार कम होंगे, तो शरबती गेहूं के दाने बड़े और चमकदार होंगे। स्थानीय कृषि केंद्र से खरपतवार दवाइयों की सलाह लें।
उपज और गुणवत्ता
शरबती गेहूं की औसत उपज 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। अच्छे पानी और देखभाल में यह 35 क्विंटल तक जा सकती है। इसके दाने सुनहरे, बड़े और चमकदार होते हैं, जिनमें 12-13% प्रोटीन और हल्की मिठास होती है। इससे बनी रोटी मुलायम और स्वादिष्ट होती है। बाजार में यह आम गेहूँ से 250-400 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा भाव लाता है। GI टैग की वजह से इसकी मांग आटा मिलों और बेकरी उद्योग में ज्यादा है। सही प्रबंधन और मार्केटिंग से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
शरबती गेहूं के लिए खेत में मूंग, उड़द या सोयाबीन जैसी फसल पहले उगाएँ। इसके बाद चना या सूरजमुखी बोएँ। इससे मिट्टी की ताकत बनी रहती है और बीमारियाँ कम होती हैं। खेत को समतल करें और पानी की निकासी का ध्यान रखें। अच्छी जुताई से जड़ें मजबूत होंगी। फसल चक्र अपनाने से शरबती गेहूँ की गुणवत्ता और उपज बढ़ती है।
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किसानों के लिए खास सुझाव
शरबती गेहूं की खेती शुरू करने से पहले प्रमाणित बीज लें। समय पर बुवाई करें, ताकि ठंड का पूरा फायदा मिले। खाद और पानी का संतुलन बनाएँ। जैविक खाद डालकर दानों की चमक और स्वाद बढ़ाएँ। बीमारियों और कीटों की नियमित जाँच करें। कटाई के बाद दानों को अच्छे से सुखाएँ और एयरटाइट ड्रम या बोरी में रखें, ताकि फफूंदी न लगे। “शरबती गेहूं सीहोर का गोल्डन ग्रेन” के नाम से ब्रांडिंग करें, इससे बाजार में अलग पहचान बनेगी।
कटाई और भंडारण
कटाई तब करें जब बालियाँ सुनहरी हो जाएँ और दानों में नमी 12% से कम हो। मड़ाई के बाद दानों को धूप में अच्छे से सुखाएँ। भंडारण के लिए एयरटाइट ड्रम या बोरी में रखें। ज्यादा नमी से फफूंदी लग सकती है, इसलिए सूखे और हवादार स्थान पर स्टोर करें। सही भंडारण से शरबती गेहूं की क्वालिटी और कीमत बनी रहेगी।
शरबती गेहूँ मध्य प्रदेश की शान
शरबती गेहूं सिर्फ़ फसल नहीं, बल्कि सीहोर की पहचान है। इसके सुनहरे दाने और बेहतरीन स्वाद इसे प्रीमियम बनाते हैं। भले ही उपज थोड़ी कम हो, लेकिन सही देखभाल और मार्केटिंग से किसान बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं। कम पानी और मध्यम मिट्टी वाले खेतों में यह किस्म शानदार है। रबी 2025 में शरबती गेहूं उगाएँ और बाजार में अपनी अलग पहचान बनाएँ।
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