Sem Farming: आजकल किसान भाई पारंपरिक फसलों से थक चुके हैं और ऐसी सब्जियों की ओर रुख कर रहे हैं जो कम समय में ज्यादा मुनाफा दें। ऐसी ही एक फसल है सेम, जो साल भर बाजार में बिकती है और अच्छी कीमत दिलाती है। बाराबंकी के जिला कृषि अधिकारी राजित राम बताते हैं कि हरी सब्जियों में सेम का खास स्थान है, खासकर अक्टूबर के मौसम में इसकी बुवाई करने से किसान अच्छी पैदावार ले सकते हैं। उन्नत किस्में चुनकर कीट-पतंगों से कम नुकसान होता है, लागत बचती है और जेब में ज्यादा पैसे आते हैं। उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यह खेती छोटे किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।
पूसा सेम-3
पूसा सेम-3 सेम की एक बेहतरीन उन्नत किस्म है, जो लता के रूप में बढ़ती है। इसके पौधे मजबूत होते हैं और फलियां चौड़ी, नरम व रसीली निकलती हैं, बिना किसी रेशे के। हर फली की लंबाई करीब 15-16 सेंटीमीटर होती है, जो बाजार में खूब बिकती है। इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 170 क्विंटल तक हरी फलियां मिल सकती हैं और फसल सिर्फ 80-90 दिनों में तैयार हो जाती है। राजित राम की सलाह है कि ऐसी किस्में चुनें जो मौसम के हिसाब से फिट हों, ताकि मेहनत का पूरा फल मिले।
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कल्याणपुर-टाइप
उत्तर प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों के लिए कल्याणपुर-टाइप सेम की किस्म सबसे उपयुक्त है। यह भी लता वाली किस्म है, जिसकी लताएं 4-5 मीटर लंबी हो जाती हैं और पौधा हरा-भरा रहता है। फूल और फलियां गुच्छों में लगती हैं, हर गुच्छे में 8-12 फलियां आती हैं। फलियां सफेद, चौड़ी व चपटी होती हैं, जो रस से भरी रहती हैं। इससे प्रति हेक्टेयर 160-170 क्विंटल पैदावार आसानी से हो जाती है। किसान इसे अक्टूबर में बोकर सर्दियों में अच्छा बाजार पा सकते हैं।
रजनी
रजनी नाम की यह उन्नत किस्म उत्तर प्रदेश में खूब चल रही है। इसके पौधे लता के रूप में फैलते हैं, तना शुरू में बैंगनी और बाद में हरा हो जाता है। फलियां गहरे हरे रंग की, 12 सेंटीमीटर लंबी और 1.2-1.5 सेंटीमीटर चौड़ी होती हैं। बाजार में इनकी डिमांड रहती है क्योंकि ये ताजगी भरी लगती हैं। प्रति हेक्टेयर 140-150 क्विंटल हरी फलियां मिलना कोई बड़ी बात नहीं। कृषि अधिकारी कहते हैं कि सही देखभाल से यह किस्म किसानों की आय को दोगुना कर सकती है।
काशी खुशहाल वी.आर. सेम-3
काशी खुशहाल वी.आर. सेम-3 एक अगेती किस्म है, जो अनगिनत बढ़वार वाली होती है। बुवाई के 95-100 दिनों में ही फलियां तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती हैं। ये फलियां तने की गांठों पर लगती हैं, गहरे हरे और चपटी आकार की, लंबाई 15 सेंटीमीटर व चौड़ाई 2.5 सेंटीमीटर। इससे प्रति हेक्टेयर 357 क्विंटल तक पैदावार संभव है, जो किसानों के लिए खुशी का सबब है।
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जवाहर सेम-53
जवाहर सेम-53 एक अगेती और बेहतर किस्म है, जो जे.बी.पी.-2 का उन्नत रूप है। इसके पौधे लता वाले होते हैं, तना गहरे बैंगनी रंग का। फलियां हरे-सफेद रंग की निकलती हैं, किनारों पर बैंगनी निशान दिखते हैं। हर फली 8-10 सेंटीमीटर लंबी और 3-7 सेंटीमीटर चौड़ी होती है, जिसमें 3-4 बीज होते हैं। प्रति हेक्टेयर 140-150 क्विंटल हरी फलियां मिलती हैं। यह किस्म कम समय में अच्छा उत्पादन देती है।
सफल सेम खेती के आसान टिप्स
सेम की खेती के लिए अक्टूबर का समय बिल्कुल सही है। अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी चुनें, बीजों को पहले उपचारित करें और जैविक खाद का इस्तेमाल करें। नियमित सिंचाई और खरपतवार हटाने से फसल स्वस्थ रहेगी। राजित राम सलाह देते हैं कि उन्नत किस्में ही बोएं, ताकि रोगों से बचाव हो और मुनाफा बढ़े। इन तरीकों से अपनाकर किसान न केवल अपनी जेब भर सकते हैं, बल्कि बाजार में अपनी पहचान भी बना सकते हैं।
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