किसान भाइयों, खेत की खाली मेढ़ों को सेमल के पेड़ से सजाएँ और हर साल अतिरिक्त कमाई पाएँ। सेमल (बॉम्बैक्स सेइबा), जिसे शाल्मली या सिल्क कॉटन ट्री भी कहते हैं, भारत में आसानी से उग जाता है। इसके फूल, फल, छाल और रुई न सिर्फ औषधीय हैं, बल्कि सब्जी, अचार और गद्दे-तकिए के लिए भी बिकते हैं। ये पेड़ कम पानी, कम देखभाल में बढ़ता है और 3-4 साल में कमाई शुरू हो जाती है। खेत की मेढ़ों पर लगाने से जगह भी बचती है और फसल को कोई नुकसान नहीं होता। मार्च-अप्रैल में रोपें और मेहनत को मुनाफे में बदलें।
सेमल की विशेषताएँ
सेमल का पेड़ 20-30 मीटर तक बढ़ता है, इसके लाल फूल वसंत में खिलते हैं, जो बाजार में 50-100 रुपये प्रति किलो बिकते हैं। फूलों से सब्जी, अचार बनता है, जो ग्रामीण इलाकों में खूब पसंद किया जाता है। इसका फल केले जैसा होता है, जिसमें रुई निकलती है, ये रुई गद्दे-तकिए में भरने के लिए 200-300 रुपये प्रति किलो बिकती है। छाल और जड़ आयुर्वेद में खांसी, मुंहासे, रक्तशोधन के लिए इस्तेमाल होती है, जिसकी माँग दवा कंपनियों में रहती है। पेड़ 25-35 डिग्री तापमान और 500-1500 मिमी बारिश में अच्छा उगता है। ये दोमट, रेतीली मिट्टी में बिना ज्यादा खाद के बढ़ता है।
खेत की मेढ़ों की तैयारी
खेत की मेढ़ों पर सेमल लगाने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं चाहिए। मेढ़ को साफ करें, खरपतवार हटाएँ। 2 फीट गहरा, 2 फीट चौड़ा गड्ढा खोदें। हर गड्ढे में 5 किलो गोबर की खाद, 5 किलो मिट्टी मिलाएँ। गड्ढों में 6-8 फीट की दूरी रखें, ताकि पेड़ फैल सके। मार्च-अप्रैल में रोपाई करें, जब बारिश शुरू होने वाली हो। मॉनसून का पानी पौधों को जल्दी बढ़ाता है। शुरुआती 2 हफ्ते रोज हल्का पानी दें। सही तैयारी से पौधे 3-4 साल में फूल-फल देने लगते हैं।
रोपण और देखभाल
सेमल के पौधे नर्सरी से 20-30 रुपये में मिलते हैं। स्वस्थ, 1-2 फीट लंबा पौधा चुनें। गड्ढे में पौधा लगाकर मिट्टी दबाएँ और हल्का पानी दें। पहले साल हर 7-10 दिन में सिंचाई करें। बारिश में अतिरिक्त पानी की जरूरत नहीं। हर 6 महीने में 2-3 किलो गोबर की खाद प्रति पेड़ डालें। नीम का तेल (5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी) छिड़कें, ताकि कीट न लगें। पौधे को सहारा देने के लिए बाँस का डंडा लगाएँ। तीसरे साल से फूल और फल आने शुरू होते हैं। देखभाल आसान है, और मेढ़ पर होने से खेत की फसल सुरक्षित रहती है।
कमाई का हिसाब
एक बीघा खेत की मेढ़ पर 50-60 सेमल के पेड़ लग सकते हैं। तीसरे साल से हर पेड़ 3-4 किलो फूल और 2-3 किलो रुई देता है।
फूल: 50 पेड़ x 3.5 किलो x 80 रुपये/किलो = 14,000 रुपये/साल।
रुई: 50 पेड़ x 2.5 किलो x 350 रुपये/किलो = 43,750 रुपये/साल।
छाल/जड़: आयुर्वेदिक कंपनियों को बेचने पर 2000-3000 रुपये/साल अतिरिक्त।
कुल कमाई 15,000-60,000 रुपये सालाना हो सकती है। लागत सिर्फ 2000-3000 रुपये (पौधे, खाद, मजदूरी) है। 5-6 साल बाद एक पेड़ की लकड़ी 1000-1500 रुपये में बिकती है, जो बोनस देती है।
बाजार और मुनाफा
सेमल के फूल, रुई, छाल की माँग लोकल बाजार, दवा कंपनियों, गद्दा-तकिया बनाने वालों में रहती है। गाँवों में फूलों की सब्जी, अचार 150-250 रुपये प्रति किलो बिकता है। IndiaMART जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर रुई, छाल बेच सकते हैं। 10-20 पेड़ों से छोटे स्तर पर शुरू करें। सरकार की वृक्षारोपण योजनाओं से सब्सिडी मिल सकती है। सेमल का पेड़ मेढ़ों पर लगाकर पर्यावरण बचाएँ और हर साल बिना मेहनत के 15 हजार तक की कमाई पाएँ। ये खेत को हरा-भरा रखता है और जेब को भारी बनाता है।
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