सितंबर-अक्टूबर में सब्जी की खेती शुरू करने का सही समय है। बंपर मुनाफे के लिए खेत की सही तैयारी और मृदा उपचार जरूरी है। पेस्ट मैनेजमेंट सेंटर, मुरैना के असिस्टेंट प्लांट प्रोटक्शन ऑफीसर अभिषेक सिंह बादल ने बताया कि रासायनिक खादों से होने वाली फसल बीमारियों को रोकने के लिए ट्राइकोडर्मा रामबाण है। यह मृदा, बीज, और पौध उपचार में इस्तेमाल होकर पैदावार दोगुनी करता है। आइए जानें खेती के टिप्स और ट्राइकोडर्मा के फायदे।
खेत की तैयारी
सितंबर के अंत या अक्टूबर की शुरुआत में खेत की जुताई करें और मिट्टी को समतल बनाएं। अगर सब्जियों की नर्सरी तैयार कर रहे हैं, तो बेड बनाएं। गोबर की सड़ी खाद डालकर मिट्टी को उपजाऊ करें। पानी की निकासी का ध्यान रखें, ताकि बारिश से फसल को नुकसान न हो। उन्नत किस्मों के बीज चुनें और बुवाई से पहले मिट्टी में नमी सुनिश्चित करें।
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ट्राइकोडर्मा: फसलों का रक्षक
ट्राइकोडर्मा फफूंद जनित बीमारियों जैसे टमाटर की स्टेमरोड को रोकता है। यह पौधों की ग्रोथ बढ़ाता है और पैदावार में सुधार करता है। इसके इस्तेमाल के तरीके:
बीज उपचार: 1 किलो बीज में 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा मिलाएं।
मृदा उपचार: 1 किलो सड़ी गोबर खाद में 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा मिलाकर 10-12 दिन छोड़ दें, फिर मिट्टी में डालें।
पौध उपचार: 1 लीटर पानी में 5-10 ग्राम ट्राइकोडर्मा घोलकर पौधों की जड़ों को 15-20 मिनट डुबोएं, फिर छाया में रखकर रोपाई करें।
ट्राइकोडर्मा कृषि अनुसंधान केंद्रों या कार्यालयों से 20 रुपये के कैप्सूल में मिलता है। किसान इसे खुद भी बना सकते हैं।
फायदे और मुनाफा
ट्राइकोडर्मा से सब्जियों की फसल रोगमुक्त रहती है, पौधे मजबूत होते हैं, और उपज बढ़ती है। टमाटर, बैंगन, मिर्च जैसी फसलों में फफूंद जनित रोगों का खतरा कम होता है। सही खेती और प्रोसेसिंग से किसान दो से तीन गुना मुनाफा कमा सकते हैं। सितंबर में बुवाई से नवंबर-दिसंबर में फसल तैयार होकर बाजार में अच्छा दाम लाती है।
किसान भाइयों, सितंबर में सब्जी की खेती शुरू करें। खेत को जुताई और खाद से तैयार करें। ट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल बीज, मृदा, और पौध उपचार के लिए करें। अपने नजदीकी कृषि केंद्र से ट्राइकोडर्मा और उन्नत बीज लें। फसल चक्र अपनाएं और रासायनिक खादों का कम इस्तेमाल करें। इससे आपकी फसल स्वस्थ रहेगी और मुनाफा दोगुना होगा!