Sesame Variety Super Sona 51: तिल की खेती का नाम सुनते ही किसानों की आँखें चमक उठती हैं,और जब बात इस शानदार बीज की हो, तो खेतों में बंपर पैदावार की उम्मीद और बढ़ जाती है। ये नई तिल की किस्म कम पानी और कम खर्च में ज़्यादा मुनाफा देती है। सूखे-सहिष्णु होने के कारण ये हर तरह की ज़मीन में उगाई जा सकती है, चाहे खरीफ हो या रबी। Super Sona 51 की खेती ने कई किसानों की जेब भरी है, क्योंकि इसके बीज तेल और स्वाद से भरपूर होते हैं। आइए,जानते हैं कि इस बीज की खेती कैसे करें, कितना खर्च आएगा, और कैसे ये आपकी कमाई को नई उड़ान दे सकता है।
खेत को तैयार करें तिल की चमक के लिए
Super Sona 51 की खेती शुरू करने से पहले खेत को अच्छे से तैयार करना ज़रूरी है। ये बीज हल्की दोमट या बलुई मिट्टी में सबसे अच्छा उगता है, जिसका pH 5.5 से 8 के बीच हो। खेत को दो-तीन बार हल चलाकर भुरभुरा कर लें। गोबर की खाद या वर्मी-कम्पोस्ट डालें, ताकि मिट्टी को पोषण मिले और फसल मज़बूत हो। अगर खेत में पानी जमा होने की दिक्कत हो, तो छोटी-छोटी नालियाँ बना लें, जिससे बारिश का पानी निकल जाए। बुआई से पहले बीज को थिरम (3 ग्राम प्रति किलो बीज) से उपचारित करें, ताकि फफूंद और कीटों से बचाव हो। बीज को रातभर पानी में भिगोकर बोएँ, इससे अंकुरण तेज़ी से होता है।
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सही समय पर बुआई और देखभाल
की बुआाई का सही समय खरीफ में जुलाई से अगस्त और रबी में फरवरी से मार्च है। ये किस्म 21-32 डिग्री सेल्सियस तापमान में अच्छी तरह बढ़ती है, जो इसे गर्म और मध्यम जलवायु के लिए उपयुक्त बनाती है। बुआई के बाद खेत को हल्का पानी दें, ताकि मिट्टी नम रहे, लेकिन ज़्यादा गीलापन न हो। ड्रिप इरिगेशन इस फसल के लिए सबसे अच्छा है, क्योंकि ये पानी बचाता है और पौधों को सही मात्रा में नमी देता है। फूल आने और फलियाँ बनने के समय पानी की ज़रूरत बढ़ जाती है, इसलिए मिट्टी की नमी पर नज़र रखें। खरपतवार को रोकने के लिए बुआई के 4-5 हफ्तों बाद हल्की निराई-गुड़ाई करें।
कम खर्च में बड़ी कमाई का मौका
Super Sona 51 की खेती में लागत बहुत कम लगती है, जो छोटे और बड़े दोनों तरह के किसानों के लिए फायदेमंद है। एक एकड़ के लिए 2-2.5 किलो बीज काफी हैं, जिनकी कीमत 500-700 रुपये पड़ती है। खाद, बुआई, और सिंचाई का खर्च जोड़कर कुल लागत 10,000-15,000 रुपये तक आती है। अगर ड्रिप इरिगेशन लगाएँ, तो शुरू में 20,000-30,000 रुपये अतिरिक्त लग सकते हैं, लेकिन सरकार की 50% सब्सिडी इसे सस्ता कर देती है। इस किस्म से एक हेक्टेयर में 800-1200 किलो तिल मिल सकता है। बाज़ार में तिल 150-200 रुपये प्रति किलो बिकता है, यानी एक एकड़ से 50,000-80,000 रुपये का मुनाफा हो सकता है।
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बाज़ार में तिल की चमक और भविष्य
Super Sona 51 की फसल 90-100 दिन में पककर तैयार हो जाती है। जब पत्तियाँ और फलियाँ पीली पड़ने लगें, तो पौधों को ज़मीन से काट लें और 7-10 दिन धूप में सुखाएँ। इसके बाद थ्रेशिंग से बीज निकालें। ये बीज सफेद, चमकदार, और तेल से भरपूर होते हैं, जो बाज़ार में अच्छा दाम दिलाते हैं। स्थानीय मंडी, तेल मिलों, या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर इन्हें बेच सकते हैं। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में तिल की मांग बढ़ रही है, खासकर होली और दीवाली जैसे त्योहारों में। सरकार के कृषि केंद्रों से ट्रेनिंग और सब्सिडी लेकर खेती को और बेहतर बनाएँ।
किसानों के लिए अंतिम सलाह
Super Sona 51 की खेती शुरू करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखें। सबसे पहले, नज़दीकी कृषि विज्ञान केंद्र से बीज और खेती की पूरी जानकारी लें। वहाँ मुफ्त ट्रेनिंग और मिट्टी जाँच की सुविधा मिलती है। बुआई से पहले मिट्टी की जाँच करवाएँ, ताकि सही खाद और बीज का चयन हो। अगर पानी की कमी हो, तो ड्रिप इरिगेशन अपनाएँ और सरकार की सब्सिडी का फायदा लें। फसल तैयार होने पर स्थानीय मंडी, तेल मिलों, या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बेचें।
जैविक खाद और नीम के तेल का इस्तेमाल करें, ताकि फसल स्वस्थ रहे और लागत कम हो। छोटे स्तर पर, जैसे आधा एकड़ से, शुरुआत करें, ताकि अनुभव मिले और नुकसान का डर न रहे। Super Sona 51 की खेती न सिर्फ़ जेब भरती है, बल्कि खेतों को भी मज़बूत बनाती है। इसे आजमाएँ और बंपर फसल का मज़ा लें!
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