फरवरी माह में करें 45 दिनों में तैयार होने वाली शलगम के इस खास किस्म की खेती, कम समय में होगी डबल कमाई

Shalgam Ki Kheti: फरवरी का महीना चल रहा है, और इस समय किसान अपने खेतों में कई तरह की फसलें उगा रहे हैं। अगर आप भी कम समय में अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है। आज हम आपको शलजम की खेती के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे फरवरी महीने में लगाकर आप मार्च के अंत तक अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

शलजम की खेती क्यों है फायदेमंद? (Shalgam Ki Kheti Benefits) 

शलजम एक ऐसी फसल है जिसकी सालभर बाजार में मांग बनी रहती है। यह सर्दियों के मौसम में उगाई जाने वाली सब्जी है, जो कम समय में तैयार हो जाती है। फरवरी महीने में इसकी रोपाई करने पर यह मार्च के अंत तक तैयार हो जाती है, और आप इसे बाजार में बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

शलजम की अगेती प्रजाति: पूसा स्वेती

शलजम की कई प्रजातियां होती हैं, लेकिन पूसा स्वेती प्रजाति फरवरी महीने में उगाने के लिए सबसे उपयुक्त है। यह प्रजाति कम समय में तैयार होती है और इसकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है। इसके अलावा, यह प्रजाति कई फायदों के लिए जानी जाती है, जिससे यह किसानों की पहली पसंद बन गई है।

खेत की तैयारी और बुवाई का तरीका

शलजम की खेती के लिए खेत को अच्छी तरह तैयार करना जरूरी है। खेत की गहरी जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरा बना लें। बलुई, दोमट या रेतीली मिट्टी इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त होती है। साथ ही, खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए।

बुवाई के समय ध्यान रखें कि शलजम की बुवाई पंक्तियों में की जाती है। पंक्ति से पंक्ति के बीच की दूरी 20 से 25 सेंटीमीटर रखें। बीज को ज्यादा गहराई में न बोएं, ताकि इसकी जड़ें अच्छी तरह विकसित हो सकें।

सिंचाई और खाद प्रबंधन

शलजम की खेती के लिए ठंडी जलवायु सबसे उपयुक्त होती है, इसलिए फरवरी महीने में इसकी बुवाई की जाती है। पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें। इसके बाद, मिट्टी की नमी के हिसाब से सिंचाई करते रहें। खाद के रूप में प्रति हेक्टेयर 20-25 टन गोबर की खाद डालें। इसके अलावा, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की उचित मात्रा का भी प्रयोग करें।

रोग और कीट नियंत्रण

शलजम की फसल को कीट और रोगों से बचाने के लिए समय-समय पर कीटनाशकों का छिड़काव करना जरूरी है। फसल में लगने वाले प्रमुख कीटों में तना छेदक और दीमक शामिल हैं। इनसे बचाव के लिए नीम का तेल या ट्राइकोडर्मा का उपयोग कर सकते हैं। अगर रोग का प्रकोप ज्यादा हो, तो कृषि विशेषज्ञ की सलाह लेकर उचित कीटनाशक का छिड़काव करें।

कटाई और बाजार में मांग

शलजम की फसल 40 से 60 दिन में तैयार हो जाती है, जो अन्य फसलों की तुलना में बहुत कम समय है। जब शलजम का आकार सही हो जाए और उसका रंग चमकदार हो, तब इसकी कटाई करें। बाजार में शलजम की अच्छी मांग होती है, और यह 50 से 60 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बिकता है। लोग इसे सलाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं, और इसके पोषक तत्वों के कारण यह औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है।

क्यों चुनें शलजम की खेती?

शलजम की खेती (Shalgam Ki Kheti) कम समय और कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसल है। यह न सिर्फ किसानों की आय बढ़ाती है, बल्कि बाजार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। अगर आप फरवरी महीने में पूसा स्वेती प्रजाति की बुवाई करते हैं, तो मार्च के अंत तक आपकी फसल तैयार हो जाएगी और आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

किसानों के लिए सलाह

किसान भाइयों, अगर आप शलजम की खेती करना चाहते हैं, तो खेत की तैयारी और बुवाई के तरीके का विशेष ध्यान रखें। समय-समय पर फसल की देखभाल करें और कीटनाशकों का उपयोग सही समय पर करें। अगर आपके पास कोई सवाल है, तो कृषि विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

शलजम की खेती करके आप न सिर्फ अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, बल्कि बाजार में इसकी मांग को देखते हुए यह आपकी आय का एक बेहतर स्रोत बन सकता है। तो, इस फरवरी महीने में शलजम की खेती करें और कम समय में अधिक मुनाफा कमाएं!

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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