महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ ट्रैक्टर रैली: शिवसेना (UBT) ने किसानों के साथ किया प्रदर्शन, अधूरे वादों की दिलाई याद

छत्रपति संभाजीनगर की सड़कों पर किसान भाइयों ने अपने ट्रैक्टरों की गड़गड़ाहट से सरकार को झकझोर दिया। शिवसेना (उद्धव बाळासाहेब ठाकरे) के साथ मिलकर गाँव के सैकड़ों मेहनती किसानों ने एक धाँसू ट्रैक्टर रैली निकाली। ये रैली उन किसानों की पुकार थी, जो खेतों में दिन-रात पसीना बहाते हैं, लेकिन सरकार के वादे उनके लिए बस हवा-हवाई साबित हुए। रैली में किसान भाई अपने ट्रैक्टरों पर सवार थे, और शिवसेना के कार्यकर्ता उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे थे। सबका एक ही सवाल था – सरकार, हमारे हक का क्या हुआ?

‘क्या हुआ तेरा वादा’ – किसानों की चीख

इस रैली का नाम रखा गया ‘क्या हुआ तेरा वादा’। ये कोई साधारण रैली नहीं थी, बल्कि सरकार को उसके खोखले वादों की याद दिलाने का एक ज़ोरदार तरीका था। क्रांति चौक से शुरू होकर दिल्ली गेट तक गई इस रैली में शिवसेना के बड़े नेता अंबादास दानवे ने खुद ट्रैक्टर की स्टेयरिंग थामी। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों से कर्ज़ माफी, फसलों का सही दाम, और मज़बूत फसल बीमा का वादा किया था। लेकिन अब न तो कर्ज़ माफ हुआ, न ही फसलों का दाम बढ़ा। किसान भाई कर्ज़ के बोझ तले दबे हैं, और सरकार बहाने बनाकर टालमटोल कर रही है। इस रैली ने सरकार की नाकामी को सबके सामने ला दिया।

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कर्ज़ और वादों का बोझ

किसान भाई खेत में बीज बोते हैं, खाद डालते हैं, और फसल उगाने के लिए जी-जान लगाते हैं। लेकिन जब फसल तैयार होती है, तो उसे बेचने का सही दाम नहीं मिलता। सरकार ने कहा था कि वो किसान सम्मान निधि को 15,000 रुपये सालाना करेगी। फसलों का लाभकारी मूल्य देने और फसल बीमा को आसान करने की भी बात हुई थी। लेकिन ये सब वादे सिर्फ़ जुबानी जमा-खर्च निकले।

अंबादास दानवे ने रैली में कहा कि सरकार के बड़े-बड़े नेता अब कहते हैं कि पैसा नहीं है, या फिर कागज़ी दिक्कतें आड़े आ रही हैं। किसान भाई सोच में पड़ गए कि आखिर उनका हक कब मिलेगा। इस रैली में किसानों ने साफ़ कर दिया कि वो अपने हक के लिए अब चुप नहीं बैठेंगे।

गाँव-गाँव तक फैली आवाज़

ये रैली सिर्फ़ छत्रपति संभाजीनगर की सड़कों तक नहीं रुकी। मराठवाड़ा के हर तहसील में ऐसी ही ट्रैक्टर रैलियाँ निकलीं। गाँव-गाँव के किसान अपने ट्रैक्टर लेकर सड़कों पर उतरे और सरकार को अपनी तकलीफ बताई। दानवे ने कहा कि ये आंदोलन तब तक नहीं रुकेगा, जब तक सरकार अपने वादों को पूरा नहीं करती। किसान भाइयों ने एकजुट होकर दिखा दिया कि वो अब अपने हक की लड़ाई में पीछे नहीं हटेंगे। ये रैली सिर्फ़ एक शुरुआत थी, जिसने सरकार को बता दिया कि किसान की आवाज़ को दबाना आसान नहीं है।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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