देशभर में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025’ किसानों के बीच नई उम्मीद जगा रहा है। इस अभियान का मकसद खेती को आधुनिक और मुनाफेदार बनाना है, ताकि किसानों की जेब भरे और भारत कृषि के क्षेत्र में नई ऊँचाइयों को छूए। बिहार के पूर्वी चम्पारण के पीपराकोठी में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं को सुना। उन्होंने नए बीज, कोल्ड स्टोरेज, और इथेनॉल नीति जैसे कदमों की जानकारी दी, जो किसानों की कमाई को दोगुना करने में मदद करेंगे।
पीपराकोठी में किसानों से सीधी बात
पूर्वी चम्पारण के पीपराकोठी में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के साथ खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि ये ऐतिहासिक धरती है, जहाँ से महात्मा गांधी ने सत्याग्रह शुरू किया था। आज उसी धरती पर कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) जैसे संस्थान किसानों की तरक्की के लिए काम कर रहे हैं। चौहान ने खुद को किसानों का ‘सेवक’ बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए विकसित कृषि और समृद्ध किसान ज़रूरी हैं। उन्होंने किसानों की समस्याएँ सुनीं और सरकार की योजनाओं के बारे में बताया, जैसे नई तकनीकों और बीजों का इस्तेमाल।
लीची किसानों के लिए कोल्ड स्टोरेज की सौगात
बिहार में लीची की खेती करने वाले किसानों को अक्सर ये दिक्कत होती है कि उनकी फसल जल्दी खराब हो जाती है, जिससे सही दाम नहीं मिलता। चौहान ने इस समस्या का हल निकालने का वादा किया। उन्होंने बताया कि सरकार कोल्ड स्टोरेज की संख्या बढ़ाने पर काम कर रही है, ताकि लीची लंबे समय तक ताज़ा रहे। साथ ही, वैज्ञानिकों को नई तकनीकों पर शोध करने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे लीची की शेल्फ लाइफ बढ़े और किसानों को अच्छा मुनाफा मिले। ये कदम बिहार के लीची किसानों के लिए बड़ी राहत लेकर आएगा, जो अब अपनी फसल को दूर के बाज़ारों में बेच सकेंगे।
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मक्का और इथेनॉल से बढ़ रही कमाई
बिहार में मक्का की खेती ने नया रंग दिखाया है। पहले मक्का की पैदावार 23-24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी, जो अब बढ़कर 50-60 क्विंटल हो गई है। चौहान ने बताया कि सरकार की इथेनॉल नीति ने मक्का की माँग बढ़ाई है, क्योंकि इसका इस्तेमाल अब इथेनॉल बनाने में भी हो रहा है। इससे मक्का की कीमतों में इजाफा हुआ है, और किसानों को ज़्यादा मुनाफा मिल रहा है। मिसाल के तौर पर, पूर्णिया और पूर्वी चम्पारण के किसान अब मक्का से दोगुनी कमाई कर रहे हैं। सरकार मक्का की नई किस्मों पर भी काम कर रही है, जो और ज़्यादा पैदावार देंगी।
चावल की नई किस्में
कृषि मंत्री ने बताया कि वैज्ञानिकों ने चावल की दो नई किस्में विकसित की हैं, जो 20% कम पानी में उगती हैं और 30% ज़्यादा पैदावार देती हैं। ये किस्में बिहार जैसे राज्यों के लिए वरदान हैं, जहाँ पानी की कमी एक बड़ी चुनौती है। चौहान ने वैज्ञानिकों को और उन्नत बीज विकसित करने का निर्देश दिया, ताकि छोटे खेतों में भी किसान बंपर उपज ले सकें। ये नई किस्में न सिर्फ लागत घटाएँगी, बल्कि किसानों की आय भी बढ़ाएँगी। अगर आप इन बीजों के बारे में जानना चाहते हैं, तो नज़दीकी KVK से संपर्क करें।
छोटे खेत बड़ा मुनाफा
चौहान ने बिहार के किसानों की तारीफ करते हुए कहा कि उनके पास भले ही छोटे-छोटे खेत हों, लेकिन उनकी मेहनत से वो ज़मीन से सोना उगा रहे हैं। सरकार की योजनाएँ, जैसे विकसित कृषि संकल्प अभियान, इन किसानों को और मज़बूत करेंगी। मिसाल के तौर पर, पूर्वी चम्पारण के किसान लीची, मक्का, और धान की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। सरकार की सब्सिडी योजनाएँ, जैसे कृषि यंत्रों पर 40-80% अनुदान, भी छोटे किसानों की मदद कर रही हैं। इन योजनाओं की जानकारी के लिए अपने ज़िला कृषि कार्यालय से संपर्क करें।
नकली कीटनाशकों पर सख्ती
किसानों को नकली कीटनाशकों से बचाने के लिए सरकार सख्त कदम उठा रही है। चौहान ने कहा कि नकली कीटनाशक बेचने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। इसके लिए सरकार ने जाँच को और मज़बूत किया है, ताकि किसानों की फसल सुरक्षित रहे और उनकी मेहनत बेकार न जाए। अगर आपको नकली कीटनाशक की शिकायत है, तो अपने ज़िला कृषि अधिकारी को तुरंत सूचित करें।
वैज्ञानिकों की ‘लैब से लैंड’ यात्रा
विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत देशभर की 16,000 से ज़्यादा कृषि प्रयोगशालाएँ सक्रिय हैं। वैज्ञानिक अब सीधे किसानों तक जा रहे हैं और उन्हें नई तकनीकों, जैसे ड्रोन, जैविक खाद, और उन्नत बीजों की जानकारी दे रहे हैं। ये अभियान 29 मई से 12 जून 2025 तक चलेगा, जिसमें 700 जिलों में 2000 से ज़्यादा वैज्ञानिक टीमें काम करेंगी। बिहार में भी ये टीमें किसानों की समस्याएँ सुनेंगी और उनके खेतों में नई तकनीकों को लागू करेंगी।
एक राष्ट्र एक कृषि एक टीम
चौहान ने ‘एक राष्ट्र, एक कृषि, एक टीम’ का मंत्र दिया और किसानों से अपील की कि वो इस अभियान से जुड़ें। उन्होंने कहा कि अगर किसान सुखी होगा, तो देश सुखी होगा। ये अभियान न सिर्फ खेती को आधुनिक बनाएगा, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर भी बनाएगा। अगर आप इस अभियान का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो अपने नज़दीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या ज़िला कृषि कार्यालय से संपर्क करें। वहाँ आपको नई तकनीकों, बीजों, और सरकारी योजनाओं की पूरी जानकारी मिलेगी।
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