पराली प्रबंधन पर बड़ी बैठक 12 अक्टूबर को शिवराज सिंह चौहान खुद करेंगे सीधी बुवाई, किसानों को देंगे मिसाल

दिल्ली में पराली जलाने से फैलने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने कमर कस ली है। मंगलवार को कृषि भवन में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने चर्चा की अगुवाई की। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के कृषि व पर्यावरण मंत्रियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हिस्सा लिया। बैठक में पराली प्रबंधन के वैकल्पिक तरीकों, किसानों को आर्थिक मदद, जागरूकता अभियान और सख्त निगरानी पर जोर दिया गया। यह बैठक रबी सीजन शुरू होने से ठीक पहले हुई, ताकि पराली जलाने की घटनाएं कम हों और दिल्ली-एनसीआर का आसमान साफ रहे।

राज्यों ने साझा की अपनी तैयारी

बैठक में राज्यों के मंत्रियों ने अपनी स्थिति बताई। हरियाणा के कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य में किसानों को पराली न जलाने के लिए पैसे दिए जा रहे हैं, जिससे अच्छे नतीजे आ रहे हैं। पंजाब और यूपी के मंत्रियों ने भी बताया कि उनके यहां कृषि विभाग और प्रशासन पूरी ताकत से जुटा है। किसानों को मशीनें उपलब्ध कराई जा रही हैं और जागरूकता कैंप लगाए जा रहे हैं। लेकिन चुनौतियां अभी बाकी हैं, खासकर छोटे किसानों के लिए।

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यों के प्रयासों की तारीफ की। उन्होंने कहा, “पंचायत और गांव स्तर पर जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों को ज्यादा सक्रिय करना होगा।” चौहान ने एक बड़ा ऐलान किया कि 12 अक्टूबर को वे खुद अपने खेत में धान काटने के बाद गेहूं की सीधी बुवाई (डायरेक्ट सीडिंग) करेंगे। उनका कहना है, “यह किसानों के लिए मिसाल बनेगा। देखो, मंत्री जी भी पराली जलाए बिना फसल बुआ रहे हैं।” उन्होंने ट्रेनिंग, जागरूकता और रीयल-टाइम मॉनिटरिंग पर जोर दिया। चौहान ने विश्वास जताया कि केंद्र-राज्य मिलकर पराली जलाने को काफी हद तक रोक लेंगे, जिससे पर्यावरण सुरक्षित रहेगा।

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वैकल्पिक तरीकों पर फोकस

बैठक का मुख्य मुद्दा पराली का सही निपटान था। चौहान ने रोटावेटर, चॉपर, बायो-डीकंपोजर, मल्चिंग जैसी मशीनों को बढ़ावा देने की बात कही। इसके अलावा बायो-सीएनजी प्लांट, इथनॉल यूनिट और कंपोस्ट बनाने की इकाइयों को प्रोत्साहन दिया जाए। उन्होंने राज्यों से फंड का सही इस्तेमाल करने और फसल विविधीकरण को प्राथमिकता देने को कहा। मतलब, धान-गेहूं के चक्र से बाहर निकलकर अन्य फसलें अपनाएं, ताकि पराली की समस्या कम हो।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा, “अगले 10 दिनों में कृषि मंत्रालय और राज्यों के तालमेल से बड़ा सुधार लाएंगे।” उन्होंने पराली इकट्ठा करने, स्टोर करने और ईंट भट्टों व थर्मल प्लांट्स में इस्तेमाल करने की योजना बनाने पर जोर दिया। यादव का मानना है कि इससे किसानों को आय का नया स्रोत भी मिलेगा।

बैठक में मौजूद प्रमुख अधिकारी

बैठक में कृषि सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के महानिदेशक डॉ. मांगी लाल जाट और विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारी उपस्थित रहे। ICAR ने पराली प्रबंधन के लिए नई तकनीकों पर रिसर्च के बारे में बताया। बैठक के बाद राज्यों को एक्शन प्लान बनाने के निर्देश दिए गए।

यह बैठक दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण को कम करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। हर साल अक्टूबर-नवंबर में पराली जलाने से स्मॉग की समस्या बढ़ जाती है, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए खतरा है। सरकार का यह प्रयास किसानों को लाभ पहुंचाएगा और साफ हवा का सपना साकार करेगा। किसान भाई, अगर आपके क्षेत्र में पराली प्रबंधन की समस्या है, तो नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें। सरकार सबकी मदद के लिए तैयार है।

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  • Shashikant

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