किसान भाइयों, धान की रोपाई का वक्त आते ही डीएपी (डाइअमोनियम फॉस्फेट) की किल्लत शुरू हो जाती है। दुकानों पर लंबी लाइनें लगती हैं, और कई बार खाली हाथ लौटना पड़ता है। इससे खेती अटकती है और टेंशन बढ़ती है। डीएपी में 18% नाइट्रोजन और 46% फॉस्फोरस होता है, जो धान की जड़ों और बढ़त के लिए जरूरी है। लेकिन जब ये न मिले तो घबराने की जरूरत नहीं। कई दूसरी खादें हैं, जो डीएपी की जगह ले सकती हैं। तो चलिए, अपनी आसान भाषा में जानते हैं कि डीएपी के बिना धान में कौन सी खाद डालें और परेशानी से कैसे बचें।
डीएपी की कमी और विकल्प की जरूरत
हर साल खरीफ और रबी में डीएपी की कमी आम बात है। सुबह से शाम तक इंतज़ार के बाद भी कई बार हाथ खाली रहता है। ऐसे में समझदारी ये है कि दूसरी खादों का इस्तेमाल करें। धान को नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश चाहिए, और ये डीएपी के बिना भी मिल सकता है। सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP), एनपीके या जैविक खाद जैसे विकल्प आसानी से मिलते हैं। ये सस्ते हैं, मिट्टी को नुकसान नहीं करते और फसल को ताकत देते हैं। हमारे यहाँ ये तरीके मेहनत को बेकार नहीं जाने देते।
SSP और यूरिया का देसी जोड़ा
डीएपी न मिले तो सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) बढ़िया है। इसमें 16% फॉस्फोरस, 11% सल्फर और कैल्शियम होता है। रोपाई से पहले प्रति बीघा 60-70 किलो SSP खेत में बिखेरें। इसमें नाइट्रोजन नहीं है, तो 20-25 किलो यूरिया मिलाएँ, जो 46% नाइट्रोजन देता है। ये जोड़ा डीएपी जैसा काम करता है। खेत में अच्छे से मिलाकर हल्का पानी दें, ताकि जड़ों तक पोषण पहुँचे। SSP सस्ता पड़ता है और डीएपी की तरह इसकी किल्लत कम रहती है। इससे धान की जड़ें मज़बूत होती हैं और फसल लहलहाती है।
एनपीके से पूरा पोषण
अगर SSP न मिले तो एनपीके खाद भी शानदार है। ये नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश तीनों देती है। एनपीके 10:26:26 या 12:32:16 जैसे ग्रेड लें। प्रति बीघा 50-60 किलो रोपाई से पहले डालें। ये डीएपी से थोड़ी महँगी हो सकती है, लेकिन पोटाश की वजह से दाने भारी होते हैं। इसे बराबर बिखेरकर हल्की जुताई करें। अगर मिट्टी में पोटाश पहले से हो तो कम मात्रा भी चल जाएगी। हमारे यहाँ ये खाद धान को शुरू से ताकत देती है, और डीएपी की कमी खलने नहीं देती।
जैविक खाद का पुराना नुस्खा
डीएपी और रासायनिक खाद कम पड़ें तो जैविक खाद भी बढ़िया है। गोबर की सड़ी खाद या वर्मीकम्पोस्ट हर खेत में मिल जाता है। प्रति बीघा 2-3 टन गोबर खाद डालें और 5-10 किलो फॉस्फोरस सॉल्यूबलाइज़िंग बैक्टीरिया (PSB) मिलाएँ। ये मिट्टी में फॉस्फोरस को घोलता है। नीम की खली डालें, जो कीटों से बचाती है। ये तरीका सस्ता है और मिट्टी को सालों तक फायदा देता है। रोपाई से 10-15 दिन पहले तैयार करें, तो फसल शानदार होगी।
फायदा और टेंशन से राहत
इन विकल्पों से डीएपी की किल्लत की परेशानी खत्म हो सकती है। SSP और यूरिया का खर्च प्रति बीघा 1,000-1,200 रुपये है, जो डीएपी से सस्ता है। एनपीके से दाने भारी होते हैं, और जैविक खाद मिट्टी की सेहत बढ़ाती है। धान की पैदावार 20-25 क्विंटल प्रति बीघा तक हो सकती है। बाजार में 2,000 रुपये क्विंटल मिले तो मुनाफा अच्छा। तो किसान भाइयों, डीएपी न मिले तो घबराएँ नहीं। SSP, एनपीके या जैविक खाद आजमाएँ, खेती को आसान बनाएँ और मेहनत का फल पूरा पाएँ। खेत लहलहाएगा!