किसानों की पहली पसंद बनी श्रीराम सुपर 5 SR-05, रोग और मौसम दोनों पर भारी ये गेहूं किस्म

श्रीराम सुपर 5 SR-05: नवंबर की शुरुआत हो चुकी है और उत्तर भारत के खेतों में गेहूं की बुआई का सिलसिला तेजी से चल पड़ा है। ठंडी हवाओं के बीच किसान भाई ट्रैक्टर चलाकर खेत जोत रहे हैं, बीज की बोरी उठा रहे हैं, लेकिन दिल में एक ही चिंता घूम रही पानी की किल्लत, रतुआ रोग का डर और मौसम का उलटफेर। सांस लेने वाली खबर ये है कि श्रीराम फार्म सॉल्यूशंस की SR-05 यानी श्रीराम सुपर 5 ने इन सब मुश्किलों का सामना करने का तरीका ढूंढ लिया है। DCM श्रीराम लिमिटेड का ये ब्रांड 134 साल पुराना है, जो किसानों की जमीनी हकीकत को समझकर बीज तैयार करता है।

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और हरियाणा के लाखों किसान इसे अपना चुके हैं। हाल के ट्रायल्स में ये 22-25 क्विंटल प्रति एकड़ दे रही है, जो पुरानी किस्मों से 5 क्विंटल ज्यादा। कल्ले 12-15 तक फूटते हैं, दाने मोटे-चमकदार, और रतुआ जैसी बीमारियों से लड़ने की ताकत ऐसी कि दवा का खर्चा आधा बच जाता है। सही बुआई और देखभाल से ये न सिर्फ पैदावार बढ़ाएगी बल्कि बाजार में 100-150 रुपये प्रति क्विंटल ऊपरी दाम भी दिलाएगी।

किसानों की दिक्कतों से जन्मी ये वैरायटी

श्रीराम फार्म सॉल्यूशंस के वैज्ञानिकों ने SR-05 को उत्तर भारत की सख्त जलवायु को ध्यान में रखकर बनाया। जहां कभी सूखा सताता है, कभी गर्मी अचानक चढ़ आती है, वहां ये फसल मजबूती से खड़ी रहती है। नाम सुपर 5 इसलिए पड़ा क्योंकि इसमें पांच खास गुण हैं उच्च उपज, मजबूत बालियां, पीली-भूरी रतुआ सहनशीलता, तेज विकास दर, और हवा-बारिश में न गिरना। 98 दिन में बालियां निकल आती हैं, 120-125 दिन में कटाई के लिए तैयार। पौधे की ऊंचाई 90-95 सेंटीमीटर रहती है, न इतनी लंबी कि हवा से झुक जाए, न छोटी कि उपज कम हो।

दाने कठोर, मोटे, चमकदार चक्की वालों को ऐसे दाने पसंद आते हैं जहां मैदा और सूजी की रिकवरी 75-80 प्रतिशत तक हो। ये दोमट, काली या रेतीली मिट्टियों में अच्छी तरह फलती-फूलती है, बस जल निकासी सही हो। राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों से उत्तर प्रदेश की उपजाऊ मैदानों तक, हर जगह ये अपनी ताकत दिखा रही। श्रीराम के R&D सेंटर्स में वर्षों की रिसर्च से ये बीज बना, जो अब एक मिलियन से ज्यादा किसानों तक पहुंच चुका। रबी में MSP 2425 रुपये प्रति क्विंटल होने से SR-05 जैसे बीजों की मांग और तेज हो जाएगी।

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बुआई की पूरी तैयारी

SR-05 की कामयाबी सही जमीन और बीज की तैयारी से शुरू होती है। दोमट या मध्यम काली मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी रहती है। खेत को रोटावेटर से दो-तीन बार जोतें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। पुरानी फसल के बचे हुए अवशेष साफ कर दें, वरना रोग फैलने का खतरा बढ़ जाता है। बुआई 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक करें ये समय सबसे आदर्श है क्योंकि ठंड सही आती है और अंकुरण मजबूत होता है। देर से बुआई करने पर उपज 10-15 प्रतिशत तक कम हो सकती है।

बीज का ट्रीटमेंट कभी न भूलें। प्रति एकड़ 40 किलो बीज लें, श्रीराम के प्रमाणित डीलर से ही। इसे ट्राइकोडर्मा वीरिडे 5 ग्राम प्रति किलो या कार्बेंडाजिम 50 WP 2 ग्राम प्रति किलो पानी में घोलकर उपचारित करें। इससे मिट्टी की फफूंद बीज को नुकसान नहीं पहुंचा पाएगी। सीड ड्रिल से 20 सेंटीमीटर की लाइनों पर बोएं, गहराई 4-5 सेंटीमीटर रखें। ज्यादा गहराई से अंकुरण में देरी हो जाती है, कम गहराई से पक्षी नुकसान पहुंचा सकते हैं। बोते समय ही 80-100 किलो नाइट्रोजन का पहला हिस्सा डाल दें। इससे पौधा शुरुआत से ही ताकतवर निकलता है।

कई किसान मिट्टी की जाँच करवाते हैं, जो बहुत फायदेमंद साबित होता है। अगर जिंक की कमी हो तो 25 किलो जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर मिला लें। श्रीराम के विशेषज्ञों का कहना है कि ये छोटी सी सावधानी उपज को 2-3 क्विंटल बढ़ा देती है। बुआई के बाद खेत पर हल्का रोलर चलाएं, ताकि नमी अच्छे से लॉक हो जाए। इस तरह की तैयारी से SR-05 में 12-15 कल्ले आसानी से फूट जाते हैं, जो दूसरी किस्मों से 20 प्रतिशत ज्यादा होते हैं। 2025 में रबी का MSP बढ़ने से किसानों को दोगुना फायदा होगा, लेकिन सही बीज से ही।

4-5 बार पानी से ही लहलहाएगा खेत

SR-05 कम पानी वाली किस्म है, लेकिन अच्छी पैदावार के लिए 4-5 सिंचाई जरूरी। पहला पानी 20-22 दिन बाद टिलरिंग स्टेज पर दें ये कल्ले फूटने का समय होता है। दूसरा सिंचाई बालियां निकलते वक्त, तीसरा दूधिया अवस्था में जब दाने भरने लगें। अगर मौसम सूखा हो तो चौथा-पांचवां भी दें, लेकिन ज्यादा पानी से जड़ें सड़ सकती हैं। अंकुरण के लिए 20-22 डिग्री तापमान बेस्ट रहता है, पकाव के लिए 25 डिग्री से कम।

2024 के रबी में मार्च में गर्मी 35 डिग्री तक चढ़ गई थी, लेकिन SR-05 ने नमी को अच्छे से पकड़ लिया और उपज पर असर नहीं पड़ा। असिंचित इलाकों में भी ये 18-20 क्विंटल दे देती है। पानी बचाने के लिए ड्रिप या स्प्रिंकलर का इस्तेमाल करें, इससे 20 प्रतिशत पानी की बचत हो जाती है। श्रीराम के ट्रायल फील्ड्स में साबित हो चुका है कि सही सिंचाई से उपज 25 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। 2025 के बदलते मौसम में ये किस्म किसानों का सबसे बड़ा सहारा बनेगी।

खाद का सही बैलेंस

SR-05 उच्च उपज वाली किस्म है, इसलिए खाद का सही डोज बहुत महत्वपूर्ण। प्रति एकड़ 80-100 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फॉस्फोरस और 20 किलो पोटाश डालें। नाइट्रोजन को तीन हिस्सों में बांटें एक तिहाई बोते समय, एक तिहाई पहली सिंचाई पर, और बाकी दूधिया स्टेज में। फॉस्फोरस और पोटाश बोते समय ही मिट्टी में मिला दें। अगर सल्फर की कमी हो तो 10 किलो बेंटोनाइट सल्फर प्रति एकड़ मिलाएं, इससे दाने की चमक बढ़ जाती है।

मिट्टी की जाँच न करवाने वाले किसान अक्सर ज्यादा खाद डाल देते हैं, जिससे पौधा लंबा होकर गिर जाता है। लेकिन SR-05 की मजबूत संरचना इसे बचाती है। राजस्थान के एक ट्रायल में संतुलित खाद से 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिला। वर्मीकम्पोस्ट 2-3 टन प्रति एकड़ मिलाने से मिट्टी की उर्वरता लंबे समय तक बनी रहती है। फसल चक्र अपनाएं धान-गेहूं-मूंग या मक्का-गेहूं-उड़द। इससे रोग कम लगते हैं और मिट्टी स्वस्थ रहती है।

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रोग-कीट से बचाव

SR-05 पीली और भूरी रतुआ से सहनशील है, लेकिन पूरी तरह रोगमुक्त नहीं। पत्तियों पर पीले धब्बे दिखें तो प्रोपिकोनाजोल 25 EC 1 मिली प्रति लीटर पानी में स्प्रे करें। भूरी रतुआ पर मैनकोजेब 75 WP 2.5 ग्राम प्रति लीटर। तना छेदक या थ्रिप्स के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL 0.3 मिली प्रति लीटर का छिड़काव। शुरुआती निगरानी रखें, छोटा हमला बड़ा नुकसान न कर दे।

2024 में उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में रतुआ फैला, लेकिन SR-05 वाले खेत हरे-भरे रहे। दवा का खर्चा 50 प्रतिशत कम हो गया। नीम आधारित स्प्रे भी आजमाएं, ये पर्यावरण के लिए अच्छा है। श्रीराम के फंगीसाइड जैसे श्रीराम सुपर के साथ मिलाकर इस्तेमाल करें तो रिजल्ट और बेहतर आता है।

मौसम की चुनौतियां

उत्तर भारत का मौसम अनिश्चित रहता है कभी कम ठंड, कभी अचानक गर्मी। SR-05 इन्हें झेलने के लिए बनी है। 20-22 डिग्री में अंकुरण तेज, 25 डिग्री से कम में पकाव अच्छा। सिंचित खेतों में तो कमाल, लेकिन असिंचित में भी 18-20 क्विंटल दे देती। 2024 की गर्मी में मार्च में तापमान 35 डिग्री चढ़ गया, लेकिन SR-05 की फसल सूखी नहीं। जलवायु परिवर्तन के दौर में ये किस्म जैसे किसानों का सहारा बनी हुई है। श्रीराम के वैज्ञानिकों ने इसे अलग-अलग एग्रो-क्लाइमेटिक जोन्स में टेस्ट किया, जहां 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का रिकॉर्ड आया।

गुणवत्ता का ध्यान रखें

मार्च के आखिर में बालियां सुनहरी पड़ने लगें तो कटाई शुरू करें। देर करने से दाने झड़ने लगते हैं। कटाई के बाद दानों को खुले में फैलाकर सुखाएं, नमी 12 प्रतिशत तक लाएं। SR-05 के कठोर दाने भंडारण में कीड़े कम लगते हैं। चक्की में मैदा की रिकवरी 75-80 प्रतिशत, सूजी की 20 प्रतिशत ये बाजार मूल्य बढ़ा देता है। किसान बताते हैं कि ऐसे दाने 100-150 रुपये प्रति क्विंटल महंगे बिकते हैं।

फसल चक्र का ध्यान रखें। धान के बाद गेहूं, फिर मूंग इससे मिट्टी की सेहत बनी रहती है। अरहर-गेहूं भी अच्छा संयोजन। ये चक्र रोगों को कंट्रोल करता है और अगली फसल को ताकत देता है।

SR-05 मजबूत है लेकिन सावधानी बरतें। दिसंबर के बाद बुआई न करें, उपज घट सकती है। नाइट्रोजन ज्यादा न डालें, पौधा लंबा होकर गिर सकता है। रोग के संकेत मिलें तो तुरंत स्प्रे करें। पकने पर खेत में फसल न छोड़ें, दाने झड़ने लगते हैं। बीज हमेशा श्रीराम के अधिकृत डीलर से ही लें, नकली से बचें। ज्यादा घनत्व वाली बुआई से पौधे कमजोर पड़ सकते हैं।

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  • Shashikant

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