Snap Melon Cultivation In Hindi : किसान भाइयों, हमारे देश में फल-सब्जियों की ऐसी भरमार है कि कुछ तो जंगली पौधों की तरह अपने आप उग आते हैं। आज हम बात करेंगे एक ऐसी खास सब्जी की, जो सूखे रेगिस्तानी इलाकों में भी आसानी से पनप जाती है—फूट ककड़ी। इसे काकड़ी, काकड़िया, काचरा, डांगरा जैसे कई नामों से जाना जाता है। इसका खट्टा-मीठा स्वाद ऐसा है कि लोग इसे सब्जी, सलाद, या रायते में बड़े चाव से खाते हैं। अब बाजार में इसकी नई-नई किस्में भी आ गई हैं, जिससे खेती करना आसान हो गया है और मुनाफा भी बढ़िया मिल रहा है।
अगर आप भी कम पानी वाले इलाके में रहते हैं और अच्छी कमाई की सोच रहे हैं, तो फूट ककड़ी की खेती आपके लिए शानदार मौका हो सकती है। आइए, इसके बारे में सबकुछ विस्तार से जानते हैं खेती का तरीका, उन्नत किस्में, और बाजार में बिक्री तक।
फूट ककड़ी क्या है और क्यों खास है?
फूट ककड़ी एक देसी सब्जी है, जो गर्म और सूखे मौसम में भी उगने की ताकत रखती है। इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है, जो इसे खाने में मजेदार बनाता है। हमारे गाँवों में लोग इसे कच्चा खाते हैं, या फिर सब्जी, सलाद और रायते में डालकर इसका लुत्फ उठाते हैं। सूखने के बाद इसके फल और बीज भी बाजार में बिकते हैं। राजस्थान में सूखे फल को ‘खेलड़ा’ कहते हैं, जिसे लोग उपहार में भी देते हैं।
बीजों का इस्तेमाल ठंडाई और मिठाइयों में होता है। हाल के सालों में इसकी नई वैरायटियाँ, जैसे AHS-10 और AHS-82, आई हैं, जो पैदावार बढ़ाने के साथ-साथ खेती को आसान बना रही हैं। ये कम पानी में भी अच्छी फसल देती है, इसलिए किसानों के लिए ये कमाई का बढ़िया जरिया बन रही है।
फूट ककड़ी की खेती कैसे करें?- Snap Melon Cultivation In Hindi
फूट ककड़ी की खेती सूखे और गर्म इलाकों के लिए वरदान है। इसके बीज अंकुरित होने के लिए 25 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान चाहिए, लेकिन रेगिस्तान की 45-48 डिग्री की गर्मी में भी ये आसानी से उग जाती है। सही मौसम मिले, तो 3-5 दिन में इसके बीज अंकुरित हो जाते हैं। ये किसी भी मिट्टी में उग सकती है, लेकिन बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी मानी जाती है।
खेत का पीएच मान 7 के आसपास हो, तो फसल शानदार होगी। खेत तैयार करते वक्त जल निकासी का पूरा ध्यान रखें, क्योंकि पानी रुकने से जड़ें खराब हो सकती हैं। खेत में 3-4 बार जुताई करें, और बुवाई से पहले हल्की सिंचाई करें। नम मिट्टी में इसके बीज जल्दी अंकुरित होते हैं, और पौधे अच्छे से बढ़ते हैं।
खेत की तैयारी और बुवाई का समय
फूट ककड़ी की बुवाई दो मौसम में होती है। गर्मियों में फरवरी-मार्च और बारिश के मौसम में जून के आखिरी हफ्ते से जुलाई के आखिरी हफ्ते तक। अगर पहली बारिश हो जाए, तो तुरंत बुवाई शुरू कर सकते हैं। मार्च का महीना अभी चल रहा है, तो ये समय गर्मियों की फसल के लिए एकदम सही है। खेत तैयार करने के लिए पहले गहरी जुताई करें, फिर गोबर की खाद मिलाकर दोबारा जोतें। इसके बाद पाटा चलाकर खेत को समतल कर लें।
बुवाई की तीन विधियाँ- Snap Melon Cultivation In Hindi
- नाली विधि: इस तरीके में डेढ़ से दो किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर चाहिए। खेत में 2-2.5 मीटर की दूरी पर 60-70 सेमी चौड़ी नालियाँ बनाएँ। नाली की ढलान पर 50-60 सेमी की दूरी रखते हुए 3-4 बीज बोएँ। ये विधि व्यावसायिक खेती के लिए बेस्ट है, क्योंकि इससे पैदावार ज्यादा होती है और मुनाफा भी बढ़िया मिलता है।
- कुंड विधि: ये रेतीले टीबों और असमतल खेतों के लिए बढ़िया है। इसमें भी डेढ़ से दो किलोग्राम बीज लगते हैं। देसी हल से 2-2.5 मीटर की दूरी पर कुंड बनाएँ, और खाद के साथ 50-60 सेमी की दूरी पर 2-3 बीज बोएँ।
- मिश्रित फसल विधि: इसमें 5-6 मीटर की दूरी पर कुंड बनाकर बुवाई की जाती है। ये तरीका भी अच्छा उत्पादन देता है और छोटे किसानों के लिए आसान है।
फूट ककड़ी की उन्नत किस्में
- AHS-10: ये किस्म 200-220 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार देती है। बुवाई के 26 दिन बाद नर फूल और 38 दिन बाद मादा फूल खिलते हैं। 68 दिन में फल तैयार हो जाते हैं, और तुड़ाई 120 दिन तक चलती है। फल आयताकार और मध्यम साइज़ के होते हैं।
- AHS-82: ये 225-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देती है। 28 दिन में नर और 35 दिन में मादा फूल आते हैं। 70 दिन में तुड़ाई शुरू होती है और 110-115 दिन तक चलती है।
खाद और पानी का इंतज़ाम
फूट ककड़ी की अच्छी फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 20-25 ट्रॉली सड़ा गोबर, 80 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फॉस्फोरस, और 40 किलो पोटाश चाहिए। नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फॉस्फोरस-पोटाश की पूरी मात्रा खेत तैयार करते वक्त डालें। बची नाइट्रोजन को दो हिस्सों में बाँट लें जब पौधों में 4-5 पत्तियाँ आएँ, तब पहला हिस्सा, और फूल आने से पहले दूसरा हिस्सा टॉप ड्रेसिंग के रूप में डालें। ये फसल ज्यादा पानी नहीं माँगती। बारिश न हो तो 10-15 दिन में एक बार सिंचाई करें। गर्मियों में तापमान ज्यादा हो तो 4-5 दिन में पानी दें। ज्यादा बारिश हो तो गहरी नालियाँ बनाकर पानी निकालें।
खरपतवार और देखभाल
खरपतवार को काबू करने के लिए 25-30 दिन बाद खुरपी से निराई-गुड़ाई करें। फसल के दौरान 2-3 बार ऐसा करें और जड़ों के पास मिट्टी चढ़ाएँ। इससे पौधे मजबूत होंगे और फसल अच्छी होगी। बुवाई के 60-80 दिन बाद फल तोड़ने लायक हो जाते हैं। शुरू में जल्दी तोड़ने से फल कड़वे लग सकते हैं, इसलिए थोड़ा इंतज़ार करें। गर्मियों में 175-200 क्विंटल और बारिश में 200-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार मिल सकती है।
बाजार में बिक्री और मुनाफा
फूट ककड़ी के ताज़ा फल सब्जी के रूप में बिकते हैं, लेकिन ये आम सब्जियों जितनी लोकप्रिय नहीं। लोग इसे कच्चा ज्यादा पसंद करते हैं। सूखे फल (खेलड़ा) और बीज बाजार में अच्छे दाम लेते हैं। राजस्थान में खेलड़ा उपहार के तौर पर मशहूर है, और बीज ठंडाई-मिठाइयों में काम आते हैं। व्यावसायिक खेती से प्रति हेक्टेयर 2-2.5 लाख रुपये तक कमाई हो सकती है। ये कम पानी और कम लागत में ज्यादा मुनाफा देती है।
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