ग्रामीण में पशुपालन और मुर्गी पालन किसानों और छोटे उद्यमियों के लिए आय का मजबूत स्रोत बन चुका है। खासकर देसी और हाइब्रिड नस्लों की मांग तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि इनके अंडे और मांस स्वादिष्ट, पौष्टिक, और बाजार में महंगे दामों पर बिकते हैं। इनमें देसी सोनाली मुर्गी पालकों के लिए वरदान साबित हो रही है। यह नस्ल कम लागत में तैयार होती है, भारतीय जलवायु के लिए अनुकूल है, और इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता इसे जोखिम-मुक्त बनाती है। देसी उत्पादों की मांग चरम पर है, सोनाली मुर्गी पालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है। यह लेख सोनाली मुर्गी की विशेषताओं, पालन के तरीकों, को बताएगा।
देसी सोनाली मुर्गी क्या है
सोनाली मुर्गी एक हाइब्रिड नस्ल है, जिसे रोड आइलैंड रेड और देसी लेघॉर्न के संकर से वैज्ञानिक तरीके से विकसित किया गया है। इसका नाम बंगाली शब्द “सोनाली” से आया है, जिसका अर्थ “चमकीला रंग” होता है। यह मुर्गी दिखने में देसी मुर्गी जैसी होती है, जिससे उपभोक्ता इसे आसानी से पसंद करते हैं। बंगाल, बिहार, झारखंड, और पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसका पालन बड़े पैमाने पर हो रहा है।
इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह देसी मुर्गी से अधिक अंडे और मांस देती है, लेकिन पालन में उतनी ही आसान है। वाराणसी के एक किसान, रामलाल यादव, ने बताया कि सोनाली मुर्गी ने उनकी आय को दोगुना कर दिया, क्योंकि इसके अंडे और मांस की मांग स्थानीय बाजारों में हमेशा बनी रहती है। यह नस्ल ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में छोटे और मध्यम स्तर के पोल्ट्री फार्म्स के लिए आदर्श है।
सोनाली मुर्गी की विशेषताएं
सोनाली मुर्गी की कई विशेषताएं इसे अन्य नस्लों से अलग बनाती हैं। यह नस्ल भारतीय जलवायु के लिए पूरी तरह अनुकूल है। गर्मी, सर्दी, या बरसात में यह आसानी से जीवित रहती है और मौसमी बदलावों का इस पर कम प्रभाव पड़ता है। इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है, जिससे दवाइयों और वैक्सीन पर खर्च कम होता है।
यह मुर्गी 4.5 से 5 महीने (140-150 दिन) की उम्र में अंडे देना शुरू कर देती है और एक साल में 180-200 अंडे दे सकती है। अंडों का वजन 50-55 ग्राम होता है, और बाजार में इनकी कीमत 8-12 रुपये प्रति अंडा है। मांस के लिए पाले जाने पर इसका वजन 1.2-1.5 किलोग्राम तक होता है, और बाजार में 250-300 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिकता है। इसकी तेज वृद्धि और कम रखरखाव इसे ग्रामीण पालकों के लिए लाभकारी बनाता है।
सोनाली मुर्गी पालन के शेड
सोनाली मुर्गी पालन शुरू करने के लिए ज्यादा निवेश की जरूरत नहीं होती। 40-50 हजार रुपये में 100-150 चूजों के साथ छोटा फार्म शुरू किया जा सकता है। चूजों को नजदीकी हैचरी (जैसे Indian Hatchery, झारखंड) से खरीदें, जहां एक चूजे की कीमत 30-40 रुपये है। चूजों को पहले 4-6 सप्ताह तक नियंत्रित तापमान (28-32 डिग्री सेल्सियस) में रखें और रानीखेत, मारेक, और फाउल पॉक्स के लिए वैक्सीनेशन करवाएं।
फार्म के लिए 150-200 वर्ग फुट की जगह पर्याप्त है। बांस, लकड़ी, या पॉलिथीन शीट से सस्ता बाड़ा बनाएं, जो जमीन से 1.5-2 फीट ऊंचा हो ताकि नमी से बचा जा सके। बाड़े में अच्छी जलनिकासी और हवादार व्यवस्था जरूरी है। बल्ब या हीटर से रोशनी का प्रबंध करें, क्योंकि रोशनी से अंडा उत्पादन बढ़ता है। बिहार के एक पालक, सुनील कुमार, ने बताया कि उन्होंने 50 मुर्गियों से शुरुआत की और 6 महीने में 20,000 रुपये मुनाफा कमाया।
चारा और पोषण की व्यवस्था
सोनाली मुर्गी का पालन देसी मुर्गियों की तरह आसान है, क्योंकि इसे महंगे पोल्ट्री फीड की जरूरत नहीं होती। यह खेत के अवशेषों, जैसे टूटे चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, और चोकर पर आसानी से पलती है। प्रोटीन के लिए अजोला, सहजन की पत्तियां, और सुबबूल की पत्तियां दी जा सकती हैं। खुले में घूमने वाली सोनाली मुर्गियां कीड़े-मकोड़े खाकर भी प्रोटीन प्राप्त कर लेती हैं।
घर पर चारा तैयार करते समय साफ-सफाई का ध्यान रखें। मक्का या अनाज में नमी की जांच करें, क्योंकि नम चारा फंगस का कारण बन सकता है। एक साधारण तरीका है: मक्का को कांच की बोतल में डालकर उसमें सूखा नमक मिलाएं और 2-3 मिनट हिलाएं। अगर नमक बोतल पर चिपके, तो मक्का नम है और भंडारण के लिए अनुपयुक्त है। बाजार से प्रोटीन युक्त सोयाबीन खली भी खरीदी जा सकती है। सप्ताह में एक बार विटामिन और खनिज सप्लीमेंट देना फायदेमंद है।
रोग एवं उनके उपचार
सोनाली मुर्गी की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है, लेकिन नियमित वैक्सीनेशन जरूरी है। रानीखेत, फाउल पॉक्स, और कोरिजा (सर्दी-जुकाम) से बचाव के लिए 7वें, 14वें, और 28वें दिन वैक्सीन दें। आंतरिक परजीवियों से बचाने के लिए हर 2-3 महीने में कृमि नाशक दवा दें। नीम का तेल या जैविक कीटनाशक बाड़े में छिड़कें ताकि बाहरी परजीवी न आएं।
बीमार मुर्गी को तुरंत झुंड से अलग करें और पशु चिकित्सक से सलाह लें। बाड़े को चूने से पोतें और डीडीटी पाउडर का छिड़काव करें। साफ-सफाई और संतुलित आहार से बीमारियों का खतरा 80% तक कम हो जाता है। पश्चिम बंगाल के एक पालक ने बताया कि वैक्सीनेशन और साफ-सफाई से उनके फार्म में मृत्यु दर 2% से कम रही।
बाजार मांग और मुनाफा
सोनाली मुर्गी के अंडे और मांस की बाजार में जबरदस्त मांग है, क्योंकि यह देसी मुर्गी जैसा स्वाद और पोषण देता है। इसके अंडे 8-12 रुपये प्रति पीस और मांस 250-300 रुपये प्रति किलोग्राम बिकता है। 100 मुर्गियों का फार्म शुरू करने में लगभग 50,000 रुपये (चूजे, चारा, बाड़ा, वैक्सीन) का खर्च आता है। पहले साल में अंडों और मांस से 1-1.5 लाख रुपये की कमाई हो सकती है, जिसमें 50-70% मुनाफा है।
स्थानीय होटलों, रेस्तरां, और ऑनलाइन मार्केट (जैसे Farmizen) के साथ टाई-अप से बिक्री बढ़ाई जा सकती है। 2025 में, जैविक और देसी उत्पादों की मांग के कारण सोनाली मुर्गी की कीमतों में 10-15% वृद्धि की उम्मीद है। लखनऊ के एक पालक ने अपने अंडों को ऑनलाइन बेचकर 30% अतिरिक्त मुनाफा कमाया।
सरकारी सहायता और प्रशिक्षण
भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार मुर्गी पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं। राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM) के तहत 25-50% सब्सिडी और 0% ब्याज पर लोन उपलब्ध है। नाबार्ड और ग्रामीण विकास बैंक 2-5 लाख रुपये तक का लोन देते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) और ICAR मुर्गी पालन पर मुफ्त प्रशिक्षण देते हैं, जहां सोनाली मुर्गी की खेती की तकनीकें सिखाई जाती हैं।उत्तर प्रदेश में यूपी एग्रीस प्रोजेक्ट के तहत 10 लाख किसानों को पोल्ट्री फार्मिंग का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसमें सोनाली मुर्गी शामिल है। पंजीकरण के लिए www.upagriculture.com या स्थानीय KVK से संपर्क करें।
देसी सोनाली मुर्गी पालन ग्रामीण भारत में आय का मजबूत और टिकाऊ स्रोत है। कम लागत, आसान रखरखाव, और बाजार में उच्च मांग इसे छोटे किसानों और गृहिणियों के लिए आदर्श बनाती है। सरकारी योजनाओं और प्रशिक्षण का लाभ उठाकर आप इसे बड़े स्तर पर भी शुरू कर सकते हैं। सोनाली मुर्गी पालन शुरू कर अपनी आय को दोगुना करें और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करें।
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