Sugarcane Cultivation : किसान भाइयों, बिहार का पश्चिम चम्पारण गन्ने की खेती का गढ़ है। जिले के 18 प्रखंडों में गन्ना आपकी मेहनत और मुनाफे का प्रतीक है। बसंत, शरद, और ग्रीष्म—इन तीनों मौसमों में गन्ने की बुवाई होती है, लेकिन अब ग्रीष्मकालीन बुवाई का समय है। गर्मी की चुनौतियों के बावजूद, सही नस्ल और देखभाल से आप पैदावार को आसमान छू सकते हैं। माधोपुर के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. सतीश चंद्र नारायण ने कुछ शानदार टिप्स और उत्तम नस्लें सुझाई हैं, जो आपके खेत को चीनी का खजाना बनाएंगी। आइए, जानते हैं कि ग्रीष्मकाल में गन्ने की खेती कैसे चमकाएँ।
गर्मी में बुवाई, सही तैयारी
ग्रीष्मकाल में गन्ने की बुवाई शरद और बसंत की तुलना में थोड़ी मुश्किल होती है, क्योंकि तेज धूप और गर्मी नमी को चटपट सुखा देती है। लेकिन सही तरीके से बुवाई करने पर पैदावार शानदार हो सकती है। डॉ. सतीश सलाह देते हैं कि बुवाई से पहले गन्ने के टुकड़ों को 24 घंटे पानी में भिगोएँ। इससे अंकुरण तेज और मजबूत होता है। खेत की तैयारी के लिए गहरी जुताई करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो और जड़ें गहराई तक जाएँ।
दोमट या चिकनी मिट्टी, जिसमें पानी का निकास अच्छा हो, गन्ने के लिए सबसे अच्छी है। पश्चिम चम्पारण के एक किसान ने बताया कि उसने पानी में भिगोने की तकनीक अपनाई, तो उसका गन्ना 20 प्रतिशत ज्यादा उगा। यह छोटा कदम आपकी फसल को मजबूत बनाएगा।
उत्तम नस्लें, मुनाफे की चाबी
गन्ने की सही नस्ल चुनना मुनाफे की गारंटी है। डॉ. सतीश चंद्र नारायण सुझाते हैं कि ग्रीष्मकाल में राजेंद्र गन्ना 01, 02, 03, 04, 05, 06, और 07 की बुवाई करें। इनमें से राजेंद्र गन्ना 02 में चीनी की मात्रा सबसे ज्यादा होती है, जो चीनी मिलों के लिए वरदान है। वहीं, राजेंद्र गन्ना 07 मोटा और लंबा होता है, जो दिखने में भी शानदार है। अगर आप ज्यादा पैदावार चाहते हैं, तो राजेंद्र गन्ना 01, 03, और 05 का चुनाव करें।
ये नस्लें प्रति हेक्टेयर 100 टन से ज्यादा उत्पादन दे सकती हैं। 2022 में माधोपुर कृषि विज्ञान केंद्र ने 350 किसानों को राजेंद्र गन्ना 01 का बीज बाँटा, और इसकी पैदावार ने बाकी नस्लों को पीछे छोड़ दिया। यह नस्लें गर्मी की मार झेलकर भी खेत में डटी रहती हैं। अपने नजदीकी कृषि केंद्र से ये बीज जरूर लें।
पैदावार का राज: राजेंद्र गन्ना 01, 03, 05
राजेंद्र गन्ना 01, 03, और 05 ग्रीष्मकालीन खेती के सुपरस्टार हैं। इनकी उत्पादन क्षमता 100 टन प्रति हेक्टेयर से ज्यादा है, जो पश्चिम चम्पारण के किसानों के लिए सोने का सौदा है। ये नस्लें न सिर्फ ज्यादा गन्ना देती हैं, बल्कि रोगों से लड़ने की ताकत भी रखती हैं। 2022 में राजेंद्र गन्ना 01 ने सबसे ज्यादा पैदावार दी, जिससे किसानों की कमाई डेढ़ गुना बढ़ी। ये नस्लें गर्मी और कम पानी में भी अच्छा प्रदर्शन करती हैं। बेतिया के एक किसान ने बताया कि उसने राजेंद्र गन्ना 05 लगाया, तो उसका गन्ना मोटा और रस से भरा निकला। इन नस्लों को चुनकर आप गर्मी में भी बंपर फसल पा सकते हैं।
सिंचाई और पोषण का जुगाड़
गर्मी में पानी की कमी गन्ने की बुवाई को मुश्किल बनाती है। वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि बुवाई के 20-30 दिन बाद हल्की सिंचाई करें, ताकि अंकुरण अच्छा हो। ग्रीष्मकाल में हर 15-20 दिन पर पानी दें, और सूखी पत्तियाँ या पराली बिछाकर नमी बनाए रखें। यह तरीका पानी बचाता है और मिट्टी को ठंडा रखता है। पोषण के लिए 150-180 किलो नाइट्रोजन, 60-80 किलो फॉस्फोरस, और 40 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें। जैविक खाद का इस्तेमाल मिट्टी को ताकत देगा। पश्चिम चम्पारण के किसान पराली बिछाकर सिंचाई का खर्च आधा कर रहे हैं। यह देसी नुस्खा आपकी फसल को गर्मी से बचाएगा।
खेत से मंडी तक
किसान भाइयों, पश्चिम चम्पारण में गन्ना आपकी मेहनत का मीठा फल है। ग्रीष्मकाल में राजेंद्र गन्ना 01, 03, और 05 जैसी उत्तम नस्लें चुनें, बीज को पानी में भिगोएँ, समय पर सिंचाई करें, और पोषण का ध्यान रखें। ये कदम आपकी पैदावार को 100 टन प्रति हेक्टेयर तक ले जाएंगे। जब आपका गन्ना चीनी मिलों में जाएगा और जेब में मुनाफा आएगा, तो मेहनत का असली मज़ा आएगा। अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह लें और इस ग्रीष्मकाल में खेत को चमकाएँ।
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