Sow these 5 best varieties of urad in June: खरीफ सीजन शुरू होने वाला है, और किसानों के लिए अच्छी खबर है। अगर पानी की कमी की वजह से धान की खेती मुश्किल लग रही है, तो उड़द की खेती एक बढ़िया विकल्प हो सकती है। उड़द की कई ऐसी उन्नत किस्में हैं, जो कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि उड़द की खेती में धान जितनी मेहनत और खर्च की ज़रूरत नहीं पड़ती। बाज़ार में दालों के अच्छे दाम मिलने की वजह से तराई क्षेत्र के किसान अब उड़द की खेती पर ज़ोर दे रहे हैं।
खरीफ में उड़द की बुवाई का सही समय
उड़द की खेती खरीफ और जायद दोनों सीजन में की जा सकती है। खरीफ सीजन के लिए बुवाई का सबसे सही समय जून के आखिरी हफ्ते से जुलाई का पहला हफ्ता है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वो इस समय का फायदा उठाएँ, ताकि फसल अच्छी तरह बढ़ सके। उड़द को हल्की मिट्टी और अच्छी जल निकासी वाले खेतों में उगाना चाहिए। बुवाई से पहले खेत को अच्छी तरह तैयार कर लें और बीज को उपचारित करने के बाद ही बोएँ। इससे फसल की शुरुआत अच्छी होती है और पैदावार बढ़ती है।
इंदिरा उड़द-1 से अच्छी पैदावार
इंदिरा उड़द-1 उड़द की एक उन्नत किस्म है, जो खरीफ सीजन के लिए बेहतरीन है। ये किस्म 70-75 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर ये 12-13 क्विंटल तक पैदावार देती है। गाँव के किसानों के लिए ये किस्म अच्छा विकल्प है, क्योंकि ये कम पानी में भी अच्छी तरह बढ़ती है और मुनाफ़ा देती है।
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पंत उड़द-31: रोगों से बचाव
पंत उड़द-31 भी एक उन्नत किस्म है, जो खरीफ और जायद दोनों सीजन में उगाई जा सकती है। ये पीले मोजेक रोग से लड़ने में मज़बूत है। ये किस्म 65-70 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 12-15 क्विंटल तक उत्पादन देती है। रोगों से बचाव की खासियत की वजह से गाँव के किसानों के बीच ये काफ़ी पसंद की जाती है।
प्रताप उड़द: भरोसेमंद विकल्प
प्रताप उड़द उड़द की एक और उन्नत किस्म है। ये 70-75 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 10-11 क्विंटल की पैदावार देती है। ये किस्म गाँव के उन किसानों के लिए सही है, जो कम लागत में अच्छी फसल चाहते हैं। इसकी खेती आसान है और ये बाज़ार में अच्छा दाम दिलाती है।
मुकुंद उड़द: ज़्यादा उत्पादन
कृषि विश्वविद्यालय कोटा द्वारा विकसित मुकुंद उड़द एक खास किस्म है। ये अन्य किस्मों से 10-15 प्रतिशत ज़्यादा उत्पादन देती है। इसके दाने मोटे और चमकदार होते हैं। ये 70-75 दिनों में तैयार होकर 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार देती है। गाँव के किसानों के लिए ये किस्म ज़्यादा मुनाफ़ा देने वाली साबित हो सकती है।
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आईपीयू 11-02: आसान खेती
आईपीयू 11-02 भी उड़द की एक अच्छी किस्म है। ये 70 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसे प्रति हेक्टेयर 10-15 किलो बीज की दर से बोया जाता है। ये किस्म प्रति हेक्टेयर 10-12 क्विंटल तक उत्पादन देती है। गाँव के छोटे किसानों के लिए ये एक आसान और भरोसेमंद विकल्प है।
उड़द की खेती के फायदे
उड़द की खेती छोटे और सीमांत किसानों के लिए वरदान है। ये फसल कम पानी में उग जाती है और धान की तुलना में इसकी खेती में खर्च भी कम लगता है। बाज़ार में उड़द की दाल की अच्छी माँग और ऊँचे दाम मिलते हैं, जिससे किसानों को मुनाफ़ा होता है। साथ ही, ये फसल मिट्टी की उर्वरता को भी बढ़ाती है, क्योंकि इसकी जड़ें नाइट्रोजन को मिट्टी में बाँधती हैं। किसानों को सलाह दी जाती है कि वो उड़द की उन्नत किस्मों का इस्तेमाल करें और समय पर बुवाई करें, ताकि फसल अच्छी हो और मुनाफ़ा बढ़े।
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