Sow These 7 Vegetables in October: अक्टूबर का महीना किसानों के लिए नया मौका लेकर आता है। खरीफ फसल कटाई के बाद अब रबी की बुआई का समय है, और इस दौरान कुछ ऐसी सब्जियां बोई जा सकती हैं जो जल्दी तैयार होकर अच्छी कमाई दिला दें। खेती के जानकारों का कहना है कि गोभी, चुकंदर, गाजर, मूली, पालक, मेथी और मटर जैसी फसलें अक्टूबर में बोने से सिर्फ तीन महीनों में बाजार में उतर जाती हैं। इनकी पैदावार न सिर्फ ज्यादा होती है, बल्कि बाजार में इनकी मांग भी हमेशा बनी रहती है, जिससे किसान भाई आसानी से तगड़ा मुनाफा कमा सकते हैं।
गोभी
गोभी तो हर मौसम की पसंदीदा सब्जी है, लेकिन रबी में इसकी डिमांड और भी बढ़ जाती है। किसान अनिल कुमार मिश्रा ने हाल ही में बताया कि अक्टूबर में फूलगोभी और पत्तागोभी की रोपाई शुरू कर दें तो ये फसलें दिसंबर-जनवरी तक तैयार हो जाती हैं। फूलगोभी के लिए पूसा स्नोबॉल और पूसा शरद जैसी किस्में चुनें, जबकि पत्तागोभी में गोल्डन एकर या पूसा अगेती अच्छा रंग जमाती हैं। इनकी रोपाई सही तरीके से करें तो प्रति एकड़ पैदावार बढ़कर बाजार मूल्य भी ऊंचा मिलेगा। खास बात ये है कि ये फसलें कम मेहनत में ज्यादा फायदा देती हैं, जो छोटे किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती हैं।
चुकंदर
चुकंदर की फसल किसानों को हमेशा लुभाती रही है, क्योंकि ये तेजी से बढ़ती है और बाजार में हमेशा खरीदार मिल जाते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र सुलतानपुर के वैज्ञानिक डॉ. सी.के. त्रिपाठी के अनुसार, अक्टूबर की शुरुआत में चुकंदर की सीधी बुवाई करें तो ये तीन महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी जड़ें मजबूत बनती हैं और स्वाद भी मीठा रहता है, जो उपभोक्ताओं को पसंद आता है। बुवाई के समय बीजों को सही दूरी पर रखें ताकि पौधे एक-दूसरे को नुकसान न पहुंचाएं। इससे न सिर्फ पैदावार बढ़ेगी, बल्कि लागत भी कम आएगी और मुनाफा सीधा जेब में आएगा।
ये भी पढ़ें- अगेती गेहूं की ये वैरायटी मचा रही धूम! सस्ते में ऑनलाइन मिल रहा बीज – बंपर पैदावार पक्की
गाजर
गाजर तो कम लागत वाली फसल है, जो अक्टूबर के ठंडे मौसम में बिल्कुल फिट बैठती है। इसकी बुवाई सीधे खेत में कर दें तो ये दिसंबर तक बाजार के लिए तैयार हो जाती है। खेती के पुराने अनुभव से पता चलता है कि पंक्तियों में सही फासला रखकर बोने से जड़ें लंबी और मोटी बनती हैं, जिससे वजन बढ़ता है। बाजार में गाजर की कीमतें स्थिर रहती हैं, और ये सब्जी साल भर बिकती है। किसान भाई अगर थोड़ी सावधानी बरतें तो ये फसल बिना ज्यादा निवेश के अच्छा रिटर्न देगी।
मूली
मूली की तो बात ही अलग है, ये हर मौसम उगाई जाती है लेकिन रबी में इसकी पैदावार और स्वाद दोनों कमाल के होते हैं। अक्टूबर में बुवाई करने से ये दो-तीन महीनों में ही खाने लायक हो जाती है। खेत को अच्छी तरह तैयार करें और बीजों को नम मिट्टी में बो दें, तो पौधे मजबूत बढ़ेंगे। बाजार में मूली की डिमांड कभी कम नहीं होती, खासकर सर्दियों में। इससे किसानों को न सिर्फ ताजा कमाई मिलती है, बल्कि अगली फसल के लिए खेत भी तैयार रहता है।
पालक
पालक रबी सीजन की एक और आसान फसल है, जो अक्टूबर में बोने पर दिसंबर तक कटाई के लिए तैयार हो जाती है। ये पत्तेदार सब्जी कम पानी और जगह में उग जाती है, और बाजार में इसकी कीमत हमेशा अच्छी रहती है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, पालक के बीजों को हल्की मिट्टी में बो दें तो पौधे हरे-भरे बढ़ेंगे, और प्रति एकड़ 8-10 टन तक पैदावार हो सकती है। ये फसल न सिर्फ पौष्टिक है बल्कि किसानों को जल्दी नकदी भी देती है, खासकर शहरी बाजारों में।
ये भी पढ़ें- किसान भाई अक्टूबर-नवंबर में सरसों की ये चुनिंदा वैरायटी लगाएं, बम्पर मुनाफा पक्का
मेथी
मेथी की खेती अक्टूबर में शुरू करें तो ये फसल दो महीने में ही बाजार लायक हो जाती है। ये न सिर्फ सब्जी के रूप में बिकती है बल्कि मसाले के तौर पर भी मांग में रहती है। किसान भाई अगर साफ खेत में बीज बो दें और नियमित पानी दें, तो पत्तियां कोमल और ताजी रहेंगी। रबी में मेथी की पैदावार 5-7 टन प्रति एकड़ तक पहुंच सकती है, जो छोटे खेतों वाले किसानों के लिए आदर्श है। बाजार में इसकी कीमत स्थिर होने से जोखिम कम रहता है।
मटर
मटर रबी की एक लोकप्रिय फलीदार सब्जी है, जिसकी बुवाई अक्टूबर में करने से जनवरी तक कटाई हो जाती है। ये फसल ठंडे मौसम में अच्छी बढ़ती है और कम रखरखाव वाली होती है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि अगेती किस्मों जैसे पूसा अर्ली या अर्केल चुनें, ताकि फलियां मीठी और भरपूर हों। प्रति एकड़ 10-12 क्विंटल पैदावार संभव है, और बाजार में सर्दियों की डिमांड से अच्छा दाम मिलता है। इससे किसान न सिर्फ कमाई करेंगे बल्कि खेत की मिट्टी भी उपजाऊ बनी रहेगी।
ये सब्जियां बोने से किसान भाई न सिर्फ अपनी मेहनत का फल पा सकेंगे, बल्कि खेती को और मजबूत बना सकेंगे। सलाह यही है कि स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से सही किस्में और खाद की जानकारी लें।
ये भी पढ़ें- अब सितंबर-अक्टूबर में भी उगेगा मीठा लाल तरबूज, IIVR की ‘काशी मोहिनी’ वैरायटी दे रही ₹25 लाख/हेक्टेयर मुनाफा