बरसात में मक्का की इन वैरायटी की बुवाई करें, होगी बंपर पैदावार और मोटा मुनाफा!

भारत का किसान भाई अपनी मेहनत से खेतों को हरा-भरा रखता है। आजकल मक्के की खेती गाँवों में कम लागत में अच्छा मुनाफा दे रही है। बरसात का मौसम मक्के की खेती के लिए सबसे सही समय है। बाज़ार में मक्के की माँग हमेशा बनी रहती है, चाहे वह अनाज के लिए हो या पशु चारे के लिए। अगर सही तरीके और अच्छी किस्मों का इस्तेमाल किया जाए, तो किसान भाई अपनी आमदनी को दोगुना कर सकते हैं। इस लेख में हम बात करेंगे कि बरसात में मक्के की खेती कैसे करें और कौन-सी किस्में सबसे ज़्यादा फायदा दे सकती हैं।

मक्के की खेती क्यों है खास

मक्का एक ऐसी फसल है जो कम समय में अच्छी पैदावार देती है। बरसात में इसकी खेती करना आसान है क्योंकि इस मौसम में पानी की कमी नहीं होती। मक्के की फसल न सिर्फ़ अनाज के रूप में बिकती है, बल्कि इसे पशु चारे, औद्योगिक उत्पादों, और यहाँ तक कि बायोफ्यूल के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। बाज़ार में इसकी अच्छी कीमत मिलती है, जिससे किसान भाई अपनी जेब भर सकते हैं। साथ ही, मक्का की खेती में लागत भी कम आती है, क्योंकि रासायनिक खाद की जगह गोबर की खाद और देसी तरीकों से अच्छी पैदावार ली जा सकती है।

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बरसात की मक्के की किस्में

मक्के की खेती में सबसे ज़रूरी है सही किस्म चुनना। बरसात के मौसम में कुछ खास हाइब्रिड किस्में हैं जो जल्दी तैयार होती हैं और ज़्यादा पैदावार देती हैं। मिसाल के तौर पर, पूसा जवाहर हाइब्रिड मक्का-1 एक ऐसी किस्म है जो सिर्फ़ 95 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है। यह किस्म भारतीय खेतों के लिए बहुत अच्छी है क्योंकि यह अलग-अलग मिट्टी और मौसम में उग सकती है।

दूसरी तरफ, प्रकाश JH 3189 भी एक शानदार किस्म है। यह 80 से 85 दिनों में तैयार हो जाती है और हर तरह के खेत में अच्छा परिणाम देती है। अगर आप थोड़ा और समय दे सकते हैं, तो हाईटेक 5106 हाइब्रिड मक्का चुनें, जो 110 दिनों में 30 से 35 क्विंटल प्रति एकड़ तक पैदावार देता है। ये सारी किस्में किसान भाइयों के लिए कम मेहनत में ज़्यादा मुनाफा देने वाली हैं।

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खेत को कैसे तैयार करें

मक्के की खेती शुरू करने से पहले खेत की अच्छी तरह तैयारी ज़रूरी है। बरसात में बुवाई का सही समय 15 जून से 15 जुलाई के बीच होता है। इस दौरान खेत की गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। जुताई के बाद गोबर की खाद डालें, क्योंकि यह मिट्टी को ताकत देता है और फसल की गुणवत्ता बढ़ाता है। अगर गोबर की खाद उपलब्ध नहीं है, तो कम्पोस्ट या वर्मी कम्पोस्ट का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

बीज बोने से पहले उनका उपचार ज़रूर करें। इसके लिए देसी तरीके जैसे नीम के तेल या जैविक कीटनाशक का इस्तेमाल करें। इससे बीजों को कीटों से सुरक्षा मिलेगी और अंकुरण बेहतर होगा। सही दूरी पर बीज बोना भी ज़रूरी है, ताकि पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिले।

मुनाफे का रास्ता

मक्के की खेती से किसान भाई न सिर्फ़ अपनी ज़रूरतें पूरी कर सकते हैं, बल्कि अतिरिक्त आय भी कमा सकते हैं। बरसात में सही किस्म और देसी तरीकों से खेती करने पर लागत कम रहती है और मुनाफा ज़्यादा होता है। मक्के की फसल को स्थानीय बाज़ारों में बेचकर अच्छी कमाई की जा सकती है। अगर आप अपने खेत में जैविक तरीके अपनाते हैं, तो बाज़ार में जैविक मक्के की कीमत और भी बेहतर मिल सकती है। यह न सिर्फ़ आपकी जेब को फायदा देगा, बल्कि मिट्टी और पर्यावरण को भी स्वस्थ रखेगा।

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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