छोटे किसानों के लिए लाभदायक है ड्रोन से कीटनाशक छिड़काव, सरकार दे रही 75% सब्सिडी

खेती-किसानी अब सिर्फ हल, बैल और मेहनत तक सीमित नहीं रही। आजकल नई-नई तकनीकें हमारे किसान भाइयों की जिंदगी आसान और खेती को मुनाफे का धंधा बना रही हैं। ऐसी ही एक कमाल की तकनीक है ड्रोन से कीटनाशक छिड़काव। पहले ये तकनीक सिर्फ बड़े-बड़े किसानों के लिए थी, लेकिन अब छोटे किसान भाई भी इसे इस्तेमाल करके अपनी फसल को बचा रहे हैं और खर्चा कम कर रहे हैं। ड्रोन की मदद से कीटनाशक, खाद और फंगीसाइड छिड़कना आसान, सस्ता और तेज हो गया है। आइए, जानते हैं कि ड्रोन खेती में कैसे कमाल करता है और छोटे किसानों को इसका फायदा कैसे मिल सकता है।

ड्रोन क्या है और खेत में कैसे काम करता है

ड्रोन एक छोटा-सा उड़ने वाला यंत्र है, जो खेतों के ऊपर चक्कर लगाकर कीटनाशक, खाद या फंगीसाइड छिड़कता है। इसे मोबाइल ऐप या रिमोट से चलाया जाता है, जैसे बच्चे रिमोट कार चलाते हैं। ड्रोन में GPS और सेंसर लगे होते हैं, जो खेत की सही जगह को पकड़कर दवा को बराबर और बारीकी से छिड़कते हैं। इससे न तो दवा बर्बाद होती है, न ही खेत का कोई कोना छूटता है। ये इतना स्मार्ट होता है कि खेत की ऊँचाई-निचाई को समझकर अपने आप ऊपर-नीचे हो जाता है। हमारे गाँव के किसान भाइयों के लिए ये किसी जादू से कम नहीं, क्योंकि ये काम को तेज और आसान बनाता है।

छोटे किसानों के लिए ड्रोन के फायदे

ड्रोन का सबसे बड़ा फायदा है कि ये खेती का खर्चा कम करता है। पुराने तरीके से कीटनाशक छिड़कने में मजदूरों की जरूरत पड़ती थी, जो समय और पैसे दोनों लेता था। लेकिन ड्रोन से एक एकड़ खेत में 7-10 मिनट में छिड़काव हो जाता है, और लागत 30% तक कम हो जाती है। ये दवा को इतनी सटीकता से छिड़कता है कि फालतू बर्बादी नहीं होती। पुराने तरीके में एक एकड़ के लिए 150-200 लीटर पानी चाहिए होता था, लेकिन ड्रोन सिर्फ 8-10 लीटर पानी में काम कर देता है। इससे पानी की भारी बचत होती है, जो हमारे जैसे इलाकों में बहुत जरूरी है, जहाँ पानी की कमी रहती है।

समय की बचत भी ड्रोन का बड़ा फायदा है। जो काम पहले घंटों लेता था, वो अब मिनटों में हो जाता है। इससे किसान भाई अपने खेत के बाकी कामों पर ध्यान दे सकते हैं। सबसे अच्छी बात ये है कि ड्रोन से छिड़काव करने में किसानों को जहरीली दवाइयों के संपर्क में नहीं आना पड़ता। पुराने तरीके में कई बार दवा छिड़कते वक्त किसानों को साँस या स्किन की तकलीफ हो जाती थी, लेकिन ड्रोन इस खतरे को खत्म करता है। ये छोटे किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं।

ड्रोन सेवा कैसे लें

अब सवाल ये है कि छोटे किसान भाई ड्रोन का इस्तेमाल कैसे करें? अच्छी बात ये है कि अब गाँव-गाँव में ड्रोन की सेवा आसानी से मिल रही है। कई कृषि स्टार्टअप्स और सहकारी समितियाँ ड्रोन को किराए पर दे रही हैं। आप अपने खेत में ड्रोन से छिड़काव करवाने के लिए इनसे संपर्क कर सकते हैं। किराए की सेवा बहुत सस्ती होती है, और आपको खुद ड्रोन खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती। इसके अलावा, किसान उत्पादक संगठन (FPO) भी ड्रोन की सेवा दे रहे हैं। अगर आपके गाँव में FPO है, तो वहाँ से जानकारी लें।

सरकारी मदद से ड्रोन और आसान

भारत सरकार भी ड्रोन को खेती में बढ़ावा देने के लिए कमर कस चुकी है। “ड्रोन इन एग्रीकल्चर” योजना के तहत सरकार FPO और किसानों को ड्रोन खरीदने के लिए 75% तक सब्सिडी दे रही है। कई राज्यों में ड्रोन चलाने की ट्रेनिंग भी दी जा रही है, ताकि हमारे गाँव के नौजवान इसे सीखकर अपनी कमाई का जरिया बना सकें। अगर आप ड्रोन खरीदना चाहते हैं या किराए पर लेना चाहते हैं, तो नजदीकी कृषि विभाग या FPO से संपर्क करें। वहाँ आपको सब्सिडी और ट्रेनिंग की पूरी जानकारी मिलेगी।

किसान भाइयों के लिए सलाह

ड्रोन तकनीक छोटे किसानों के लिए एक गेम-चेंजर है। ये न सिर्फ खेती को आसान और सस्ता बनाता है, बल्कि फसल की क्वालिटी और पैदावार भी बढ़ाता है। अगर आपके गाँव में ड्रोन की सुविधा नहीं है, तो अपने गाँव के किसानों के साथ मिलकर FPO बनाएँ और सरकार की सब्सिडी का फायदा उठाएँ। अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विभाग से ड्रोन सेवा की जानकारी लें। इस नई तकनीक को अपनाकर आप अपनी खेती को मुनाफे का धंधा बना सकते हैं। अपने गाँव के दूसरे किसान भाइयों को भी ये तकनीक बताएँ, ताकि सबकी खेती चमके।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और मैंने संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं Krishitak.com का संस्थापक और प्रमुख लेखक हूं। पिछले 3 वर्षों से मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाएं, और ग्रामीण भारत से जुड़े विषयों पर लेखन कर रहा हूं।

    Krishitak.com के माध्यम से मेरा उद्देश्य है कि देशभर के किसानों तक सटीक, व्यावहारिक और नई कृषि जानकारी आसान भाषा में पहुँचे। मेरी कोशिश रहती है कि हर लेख पाठकों के लिए ज्ञानवर्धक और उपयोगी साबित हो, जिससे वे खेती में आधुनिकता और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकें।

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