डायबिटीज मरीजों की पसंद बना स्टीविया इसकी खेती कर किसान हो रहे मालामाल

Stevia Ki Kheti: भारत में औषधीय फसलों की खेती किसानों को काफी पसंद आ रही है। सेहत को लेकर बढ़ती जागरूकता ने इन फसलों के लिए अच्छे बाजार का निर्माण किया है। आज हम आपको स्टीविया की खेती से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देंगे। स्टीविया जिसे मधुपत्ती या चीनी तुलसी के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है।

स्टीविया क्या है?

स्टीविया, जिसे मधुपत्ती या चीनी तुलसी भी कहा जाता है, एक औषधीय पौधा है जिसकी पत्तियां प्राकृतिक रूप से मीठी होती हैं। इसकी मिठास चीनी से 25-30 गुना अधिक होती है, लेकिन यह डायबिटीज के मरीजों के लिए सुरक्षित होती है। यही कारण है कि इसकी बाजार में भारी मांग है।

बाजार में स्टीविया की पत्तियों और पाउडर का उपयोग बेकरी उत्पाद, सॉफ्ट ड्रिंक और मिठाइयों में किया जाता है। डायबिटीज के बढ़ते मामलों के कारण इसका उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, जिससे यह किसानों के लिए एक फायदेमंद फसल साबित हो रही है।

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स्टीविया की खेती (Stevia Ki Kheti) के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी

भारत में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में स्टीविया की खेती सफलतापूर्वक की जा रही है। यह फसल 11 से 42 डिग्री सेल्सियस तापमान में अच्छी तरह उगती है। अर्द्ध-उष्ण कटिबंधीय जलवायु इसके लिए सबसे उपयुक्त होती है। खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है, जबकि क्षारीय मिट्टी में इसका उत्पादन कम होता है।

स्टीविया की उन्नत किस्में

विशेषज्ञ किसानों को स्टीविया की उन्नत किस्मों का चयन करने की सलाह देते हैं। भारत में SRB-113, SRB-128 और SRB-512 किस्में अधिक प्रचलित हैं। उत्तर भारत के लिए SRB-128 किस्म को सबसे उपयुक्त माना जाता है।

रोपाई का सही समय

साल में दो बार स्टीविया की रोपाई की जा सकती है। सितंबर-अक्टूबर और फरवरी-मार्च का समय इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त होता है। पहले बीजों को अंकुरित करके पौधे तैयार किए जाते हैं और फिर उनकी खेत में रोपाई की जाती है। प्रत्येक पौधे के बीच 30 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए। एक एकड़ खेत में लगभग 30,000 पौधे लगाए जा सकते हैं।

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खाद और उर्वरक का उपयोग

अच्छे उत्पादन के लिए खेत में रोपाई से पहले 15 टन गोबर की खाद मिलानी चाहिए। साथ ही, प्रति एकड़ 30 किलो नाइट्रोजन, 20 किलो फॉस्फोरस और 20 किलो पोटाश का उपयोग करना चाहिए।

सिंचाई पर विशेष ध्यान

स्टीविया की खेती में सिंचाई का सही प्रबंधन जरूरी होता है। गर्मियों में तीन से पांच दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए, ताकि मिट्टी में पर्याप्त नमी बनी रहे। अधिक पानी देने से जड़ों को नुकसान हो सकता है, इसलिए संतुलित सिंचाई आवश्यक है।

कटाई

रोपाई के तीन महीने बाद पहली कटाई की जा सकती है। इसके बाद हर 90 दिनों में फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। एक साल में किसान स्टीविया की चार कटाई कर सकते हैं, जिससे अच्छी आमदनी हो सकती है।

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कटाई के बाद पत्तियों को छाया में सुखाना जरूरी होता है। आमतौर पर तीन से चार दिन में पत्तियां पूरी तरह सूख जाती हैं और नमी खत्म हो जाती है। किसान सूखी पत्तियों को सीधे बाजार में बेच सकते हैं या फिर उनका पाउडर बनाकर अधिक लाभ कमा सकते हैं।

किसानों के लिए फायदे

स्टीविया की खेती (Stevia Ki Kheti) पारंपरिक फसलों की तुलना में अधिक लाभदायक है। इसकी बाजार में बढ़ती मांग और उच्च कीमत इसे एक आकर्षक व्यवसाय बना रही है। यदि किसान सही जलवायु, मिट्टी और उन्नत तकनीकों का उपयोग करें, तो वे इस औषधीय फसल से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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