बिहार के पशुपालक सावधान! दूध बढ़ाने के लिए पशुओं को ऑक्सीटोसिन लगाया तो होगी कड़ी कार्रवाई, जानें नियम

बिहार में गाय-भैंस पालने वाले भाइयों, अब ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का इस्तेमाल बंद करने का वक़्त आ गया है। बिहार सरकार ने दुधारू पशुओं को ये इंजेक्शन लगाने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी है। पशुपालन विभाग का कहना है कि इस इंजेक्शन का गलत इस्तेमाल पशुओं की सेहत को बिगाड़ता है और दूध की गुणवत्ता को भी खराब करता है। इससे न सिर्फ़ गाय-भैंस को नुकसान होता है, बल्कि दूध पीने वाले लोगों, खासकर बच्चों की सेहत भी खतरे में पड़ती है।

ऑक्सीटोसिन से पशुओं को कितना नुकसान

ऑक्सीटोसिन एक ऐसा इंजेक्शन है, जिसे कुछ पशुपालक ज़्यादा दूध निकालने के लिए गाय-भैंस को लगाते हैं। लेकिन ये इंजेक्शन पशुओं के शरीर में हार्मोन का बैलेंस बिगाड़ देता है। इससे उनकी प्राकृतिक दूध देने की ताकत कमज़ोर पड़ने लगती है। अगर बार-बार इसका इस्तेमाल हो, तो पशु को इसकी लत लग जाती है। फिर बिना इंजेक्शन के वो दूध ही नहीं देता। ये न सिर्फ़ पशु की सेहत के लिए खतरनाक है, बल्कि दूध की गुणवत्ता भी खराब हो जाती है। ऐसा दूध बच्चों और बड़ों, दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है। पशुपालन विभाग का कहना है कि ऑक्सीटोसिन का असली काम प्रसव के समय गर्भाशय को मज़बूत करना और दूध उतरने में मदद करना है, लेकिन इसका गलत इस्तेमाल पशुओं के लिए ज़हर की तरह है।

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दूध की गुणवत्ता और लोगों की सेहत

जब गाय-भैंस को बार-बार ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगाया जाता है, तो दूध की क्वालिटी पर बुरा असर पड़ता है। ऐसा दूध पीने से लोगों, खासकर छोटे बच्चों की सेहत को नुकसान हो सकता है। कुछ स्टडीज़ में पता चला है कि ऑक्सीटोसिन से दूध में हार्मोनल बदलाव हो सकते हैं, जो बच्चों में जल्दी यौवन या दूसरी समस्याएँ पैदा कर सकते हैं। दूध का धंधा करने वाले भाइयों को ये समझना ज़रूरी है कि ज़्यादा दूध के चक्कर में पशुओं और ग्राहकों, दोनों की सेहत से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। साफ़ और शुद्ध दूध ही ताकत है।

कानून क्या कहता है

बिहार सरकार ने ऑक्सीटोसिन को लेकर सख्त नियम बनाए हैं। ये इंजेक्शन ‘शेड्यूल एच’ दवा है, जिसे बिना पशु चिकित्सक की सलाह के इस्तेमाल करना गैर-कानूनी है। पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 और भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत इसका गलत इस्तेमाल करने वालों को सजा हो सकती है। पशुपालन विभाग ने साफ़ कहा है कि ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल सिर्फ़ खास मौकों पर, जैसे प्रसव में दिक्कत होने पर, और वो भी पशु चिकित्सक की सलाह से करना चाहिए। पशुपालकों को खुद ये इंजेक्शन लगाने से बचना चाहिए, वरना कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

पशुपालन विभाग पशुपालकों को जागरूक कर रहा है कि ऑक्सीटोसिन का गलत इस्तेमाल न सिर्फ़ पशुओं की सेहत बिगाड़ता है, बल्कि दूध की गुणवत्ता और ग्राहकों की सेहत को भी नुकसान पहुँचाता है। इसके बजाय, प्राकृतिक तरीकों से दूध उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। गाय-भैंस को अच्छा चारा, साफ़ पानी और तनावमुक्त माहौल दें। अगर दूध उतरने में दिक्कत हो, तो पशु चिकित्सक से सलाह लें। विभाग ने ये भी कहा कि गाँव में जागरूकता फैलाने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं, ताकि पशुपालक सही जानकारी के साथ खेती और पशुपालन करें।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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