मऊ जिले के किसानों के लिए कृषि विभाग ने एक बड़ी राहत की घोषणा की है। गेहूं की फसल में खरपतवार की समस्या से निपटने के लिए सरकार खरपतवारनाशी दवाओं पर 50% से 75% तक की सब्सिडी प्रदान कर रही है। यह योजना विशेष रूप से छोटे और मध्यम किसानों के लिए डिज़ाइन की गई है, जो आर्थिक कारणों से खरपतवार नियंत्रण नहीं कर पा रहे थे।
योजना की मुख्य बातें
कृषि विभाग ने मऊ जिले के सभी 9 ब्लॉकों में कृषि इकाइयाँ स्थापित की हैं, जहाँ किसानों को रियायती दरों पर खरपतवारनाशी दवाएँ, कीटनाशक और अन्य कृषि रसायन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, गेहूं की फसल में चौड़ी और पतली पत्ती वाले खरपतवारों के लिए सल्फोसल्फुरॉन और मेटसल्फुरॉन मिथाइल का मिश्रण सबसे प्रभावी है। इस मिश्रण का छिड़काव सिंचाई के एक सप्ताह बाद करने से सर्वाधिक लाभ मिलता है।
कैसे उठाएं सब्सिडी का लाभ?
किसानों को अपने नजदीकी ब्लॉक स्तरीय कृषि इकाई में जाकर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। रजिस्ट्रेशन के लिए जमीन के कागजात, आधार कार्ड, और बैंक खाते की जानकारी ले जानी होगी। रजिस्ट्रेशन के बाद किसान सब्सिडी वाली दरों पर खरपतवारनाशी दवाएं खरीद सकते हैं। यह योजना विशेष रूप से उन किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है, जो आर्थिक कारणों से खरपतवार नियंत्रण नहीं कर पा रहे थे।
सब्सिडी से किसानों को खरपतवारनाशी दवाएं आधी कीमत पर मिलेंगी, जिससे उनकी लागत में काफी कमी आएगी। खरपतवार नियंत्रण से गेहूं की पैदावार 20-30% तक बढ़ सकती है। इसके अलावा, रजिस्ट्रेशन और दवा खरीद की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और आसान है, जिससे किसानों को कोई परेशानी नहीं होगी।
खरपतवारनाशी का सही उपयोग
सल्फोसल्फुरॉन और मेटसल्फुरॉन मिथाइल का मिश्रण चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार (जैसे बथुआ, सेंजी) और पतली पत्ती वाले खरपतवार (जैसे गेहूंसा, मोथा) दोनों को नष्ट करता है। इस मिश्रण का छिड़काव सिंचाई के एक सप्ताह बाद करने से दवा का प्रभाव अधिक होता है। प्रति एकड़ 20-25 ग्राम दवा 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।
कृषि विशेषज्ञ की सलाह
मऊ जिले के कृषि रक्षा अधिकारी धनंजय सिंह के अनुसार, खरपतवार नियंत्रण के लिए समय पर छिड़काव जरूरी है। देरी करने से फसल को नुकसान हो सकता है। सब्सिडी योजना का लाभ उठाकर किसान अपनी लागत कम कर सकते हैं और उपज बढ़ा सकते हैं।