यूपी में अब आम की बैगिंग पर मिलेगी 25% सब्सिडी, जानिए कैसे करें ऑनलाइन आवेदन

Subsidy on Mangoes Bagging in Up :भारत में आम को फलों का राजा यूं ही नहीं कहा जाता। इसकी मिठास और सुगंध हर किसी को लुभाती है। खासकर उत्तर प्रदेश में, जहां आम की खेती बड़े पैमाने पर होती है। यहाँ लाखों किसान भाई अपनी मेहनत से हर साल करोड़ों किलो आम उगाते हैं। लेकिन अब समय है खेती को और स्मार्ट करने का। उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए एक नई तकनीक आ रही है, जिसे बैगिंग कहते हैं। ये तकनीक न सिर्फ आम की क्वालिटी को बढ़ाएगी, बल्कि बाजार में आपकी फसल की कीमत भी चमकाएगी। आइए, जानते हैं कि ये बैगिंग क्या है और कैसे ये आपके खेतों में कमाल कर सकती है।

बैगिंग तकनीक

किसान भाई, सोचो कि आपके खेत में लटक रहे आम कीटों, धूल, या बारिश से बिल्कुल सुरक्षित रहें। बैगिंग तकनीक यही करती है। इसमें आम के फलों को खास तरह के कवर या बैग में लपेटा जाता है, ताकि वो हर तरह के नुकसान से बचे रहें। ये बैग हल्के और हवादार होते हैं, जो फल को बढ़ने में मदद करते हैं। खास बात ये है कि जब फल पकने को होता है, यानी बाजार में भेजने से 15-20 दिन पहले इन बैग को हटाया जाता है। इससे आम का रंग सुनहरा और चमकीला हो जाता है। बाजार में ऐसे चमकदार आम देखकर ग्राहक झट से खरीद लेते हैं, और आपको अच्छा दाम मिलता है।

अनुदान और ऑनलाइन पंजीकरण

उत्तर प्रदेश सरकार भी किसान भाइयों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। उद्यान विभाग ने बैगिंग को बढ़ावा देने के लिए एक खास योजना शुरू की है। इसके तहत आपको प्रति हेक्टेयर 25,000 रुपये का अनुदान मिलेगा। लेकिन ये अनुदान लेने के लिए आपको पहले dbt.horticulture.in पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीकरण कराना होगा। ये पंजीकरण बिल्कुल आसान है। बस अपने गाँव के नजदीकी कृषि केंद्र या उद्यान विभाग के दफ्तर में जाकर जानकारी ले लो। वहाँ के अधिकारी आपको पंजीकरण में मदद करेंगे।

पंजीकरण के बाद सरकार आपको मुफ्त में फ्रूट कवर बैग देगी। ये बैग आपकी फसल को कीटों और मौसम के कहर से बचाएंगे। ध्यान रहे, बिना पंजीकरण के आप इस योजना का फायदा नहीं उठा पाओगे। तो देर मत करो, आज ही पंजीकरण कराओ और अपनी खेती को नया रंग दो।

बैगिंग के फायदे

बैगिंग तकनीक का सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये आपकी फसल को कई तरह से फायदा पहुँचाती है। पहला, ये कीटों और बीमारियों से फल को बचाती है। कई बार कीट फलों को खराब कर देते हैं, जिससे किसान का नुकसान होता है। बैगिंग से ये खतरा लगभग खत्म हो जाता है। दूसरा, बारिश या तेज धूप से भी फल खराब नहीं होते। तीसरा, बैगिंग से फल का रंग और चमक बढ़ती है, जो बाजार में अच्छा दाम दिलवाती है।

एक और किसान, श्याम भाई, ने बताया कि पहले उनके आमों पर कीटों का हमला आम बात थी। लेकिन बैगिंग शुरू करने के बाद उनकी फसल की क्वालिटी इतनी बढ़ गई कि अब व्यापारी खुद उनके खेत तक आते हैं। श्याम भाई कहते हैं, “पहले फसल का आधा हिस्सा खराब हो जाता था। अब बैगिंग की वजह से नुकसान बिल्कुल नहीं होता।”

खेती को स्मार्ट बनाएँ

किसान भाई, आज का समय मेहनत के साथ-साथ स्मार्ट खेती का है। बैगिंग जैसी नई तकनीकें अपनाकर आप न सिर्फ अपनी फसल को बेहतर बना सकते हो, बल्कि अपनी कमाई भी बढ़ा सकते हो। उत्तर प्रदेश में आम की खेती पहले से ही मशहूर है, और अब बैगिंग के साथ ये और चमकने वाली है। सरकार भी आपकी मदद के लिए तैयार है। तो सोच क्या रहे हो? आज ही अपने नजदीकी उद्यान विभाग के दफ्तर जाओ, पंजीकरण कराओ, और इस नई तकनीक को अपने खेत में उतारो।

आम की खेती अब सिर्फ मेहनत नहीं, बल्कि कमाल की कला है। इस कला को सीखो, और अपने खेतों को हरा-भरा और जेब को भरा-भरा रखो।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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