Subsidy on Mulching Technique: क्या आप चाहते हैं कि आपके खेत की फसल ज्यादा दे, पानी की बचत हो, और मुनाफा दोगुना हो? बिहार सरकार की नई प्लास्टिक, जूट, और एग्रो टेक्सटाइल मल्च योजना 2025 आपके लिए ऐसा ही मौका लाई है। उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि इस योजना से फसल उत्पादकता बढ़ेगी, पानी बचेगा, और किसानों की जेबें भरेंगी। सरकार 50% वित्तीय सहायता दे रही है, ताकि हर जिले का किसान इस देसी जुगाड़ का फायदा उठा सके। सब्जी, फल, और फूलों की खेती करने वालों के लिए ये तकनीक किसी वरदान से कम नहीं। आइए, जानते हैं इस योजना का पूरा लेखा-जोखा और मल्चिंग के फायदे।
50% सब्सिडी का शानदार ऑफर
बिहार सरकार ने मल्चिंग को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। इस योजना में किसानों को प्लास्टिक, जूट, या एग्रो टेक्सटाइल मल्च की लागत पर 50% तक सब्सिडी मिलेगी। चाहे आप छोटे किसान हों या बड़े, ये सहायता हर जिले में उपलब्ध है। उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि हर किसान इस तकनीक को अपनाए और अपनी फसल की पैदावार बढ़ाए। इसके लिए तकनीकी प्रशिक्षण, खेतों में प्रदर्शन, और सहायता कार्यक्रम भी चलाए जाएँगे, ताकि किसानों को मल्चिंग शुरू करने में कोई दिक्कत न हो।
मल्चिंग तकनीक का देसी जादू
मल्चिंग का मतलब है खेत की मिट्टी को पत्तों, घास, फसल अवशेष, पुआल, या प्लास्टिक/जूट की चादर से ढकना। ये तकनीक मिट्टी में नमी बनाए रखती है, पानी की खपत कम करती है, और केंचुओं जैसे लाभकारी जीवों की गतिविधि बढ़ाती है। इससे मिट्टी की सेहत सुधरती है, और फसल की गुणवत्ता भी बढ़िया होती है। मल्चिंग के लिए आप प्लास्टिक फिल्म, जूट की चटाई, या एग्रो टेक्सटाइल का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये सामग्री खेत में घास-फूस को भी रोकती है, जिससे मेहनत और लागत दोनों बचते हैं। बिहार के गर्म और बरसाती मौसम में मल्चिंग फसलों को जलवायु परिवर्तन के असर से भी बचाती है।
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— Directorate Of Horticulture, Deptt of Agri, Bihar (@HorticultureBih) February 28, 2025
सब्जी, फल, और फूलों की खेती में कमाल
मल्चिंग तकनीक खासकर सब्जी (जैसे टमाटर, भिंडी, बैंगन), फल (जैसे पपीता, केला), और फूलों (जैसे गेंदा, गुलाब) की खेती में गजब का असर दिखाती है। उपमुख्यमंत्री सिन्हा के मुताबिक, मल्चिंग से फसलों का उत्पादन 20-30% तक बढ़ सकता है, और फल-सब्जियाँ ज्यादा चमकदार और स्वादिष्ट होती हैं। मंडी में ऐसी फसलों का दाम भी अच्छा मिलता है। मल्चिंग पानी की बचत करती है, जो बिहार के उन इलाकों के लिए वरदान है, जहाँ सिंचाई की कमी है। इससे किसान कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।
खेती में मल्चिंग का आसान तरीका
मल्चिंग शुरू करना कोई बड़ी बात नहीं। सबसे पहले खेत को अच्छे से जोतकर समतल करें। फिर गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें। फसल की बुवाई या रोपाई के बाद, पौधों की जड़ों के आसपास मिट्टी को प्लास्टिक फिल्म, जूट, या एग्रो टेक्सटाइल से ढक दें। अगर प्लास्टिक मल्च यूज कर रहे हैं, तो 25-50 माइक्रोन मोटाई वाली बायोडिग्रेडेबल फिल्म चुनें। पौधों के लिए छोटे-छोटे छेद बनाएँ, ताकि वो आसानी से बढ़ सकें। हर 2-3 महीने में मल्च की जाँच करें, और जरूरत पड़े तो बदल दें। बिहार सरकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में मल्चिंग की सही तकनीक सिखाई जाएगी, जिससे किसान इसे आसानी से अपना सकेंगे।
जलवायु परिवर्तन से जंग में सहायक
बिहार में बारिश का अनियमित होना और गर्मी का बढ़ना जलवायु परिवर्तन का असर है। मल्चिंग इस समस्या से निपटने में बड़ा हथियार है। ये तकनीक मिट्टी को ठंडा रखती है, पानी का वाष्पीकरण रोकती है, और फसलों को सूखे से बचाती है। इससे फसल उत्पादन स्थिर रहता है, और किसानों को नुकसान का डर कम होता है। बिहार सरकार का मानना है कि मल्चिंग जैसी आधुनिक तकनीकें किसानों को आत्मनिर्भर बनाएँगी और हरित क्रांति को नई रफ्तार देंगी।
बिहार बनेगा कृषि का सिरमौर
उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने कहा कि मल्चिंग योजना सिर्फ किसानों की आय ही नहीं बढ़ाएगी, बल्कि बिहार को कृषि नवाचारों में देश का सिरमौर बनाएगी। ये योजना बिहार के 18% जीडीपी में योगदान देने वाले कृषि क्षेत्र को और मजबूत करेगी। सरकार के प्रशिक्षण और प्रदर्शन कार्यक्रम किसानों को मल्चिंग के फायदे दिखाएँगे, ताकि वो इसे बड़े पैमाने पर अपनाएँ। बिहार के हर जिले में ये योजना लागू हो रही है, और किसान इसे अपनाकर अपनी खेती को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकते हैं।
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