लाल सड़न रोग के कारण 26.52 मिलियन टन पर अटका चीनी उत्पादन

Sugar Production Estimate: इस साल देश में चीनी उत्पादन में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है। अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ (AISTA) ने अनुमान लगाया है कि अक्टूबर-सितंबर 2024-25 मार्केटिंग सीजन में चीनी उत्पादन लगभग 26.52 मिलियन टन रह सकता है। पिछले वर्ष यह उत्पादन 31.9 मिलियन टन था, यानी इस बार उत्पादन में करीब 17% की गिरावट आ सकती है। इस गिरावट के पीछे प्रमुख कारण गन्ने में लाल सड़न रोग और अनियमित बारिश माने जा रहे हैं।

क्यों घट रहा है चीनी उत्पादन?

1. लाल सड़न रोग का बढ़ता प्रभाव

उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में लाल सड़न रोग (Red Rot Disease) ने गन्ने की फसल को बुरी तरह प्रभावित किया है। इससे गन्ने की गुणवत्ता और उपज दोनों में गिरावट आई है।

2. अनियमित बारिश बनी मुसीबत

महाराष्ट्र और कर्नाटक में असमान्य बारिश के चलते फसल की वृद्धि पर बुरा असर पड़ा है। अधिक पानी से गन्ने में फूल आने की समस्या उत्पन्न हो गई, जिससे गन्ने की पेराई कम हुई और चीनी उत्पादन प्रभावित हुआ।

3. कम ध्रुवीकरण (POL) स्तर

गन्ने में मौजूद शर्करा (सुक्रोज) की मात्रा घटने से भी चीनी उत्पादन कम हुआ है। POL स्तर गिरने से गन्ने से कम चीनी निकाली जा सकती है।

4. इथेनॉल उत्पादन पर बढ़ता फोकस

सरकार द्वारा इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के कारण गन्ने से सीधे इथेनॉल तैयार किया जा रहा है। इस साल लगभग 4 मिलियन टन गन्ने का उपयोग इथेनॉल निर्माण में किया गया, जिससे चीनी उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

महाराष्ट्र में चीनी मिलें जल्दी बंद होने की संभावना

AISTA के अनुसार, महाराष्ट्र में इस साल चीनी मिलें सामान्य से पहले बंद हो सकती हैं। इसकी वजह यह है कि कई मिलों ने अपनी पेराई क्षमता बढ़ा ली है, जिससे कम समय में अधिक पेराई संभव हो पाई है। हालांकि, पिछले साल की तुलना में इस बार कम चीनी मिलें उत्पादन में सक्रिय हैं।

राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना संघ लिमिटेड (NFCSF) द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, 15 जनवरी तक की स्थिति में चीनी मिलों की संख्या घटकर 507 रह गई, जबकि पिछले साल 524 मिलें कार्यरत थीं

किस राज्य में कितनी मिलें चालू हैं?

राज्यचालू मिलें (2024-25)चालू मिलें (2023-24)
उत्तर प्रदेश120120
महाराष्ट्र196206
कर्नाटक7774

चीनी उत्पादन में गिरावट का सीधा असर चीनी की कीमतों पर पड़ सकता है। उत्पादन कम होने से आपूर्ति घटेगी और कीमतें बढ़ने की संभावना रहेगी। AISTA के अनुसार, 30 सितंबर 2025 तक चीनी का अंतिम स्टॉक घटकर 4.5 मिलियन टन रह सकता है। इसके चलते सरकार को आयात पर विचार करना पड़ सकता है, ताकि घरेलू बाजार में संतुलन बनाए रखा जा सके।

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  • Shashikant

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