Sugarcane Farming: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान जो गन्ने की खेती कर रहे हैं, वे अक्सर सिंचाई की समस्या को लेकर परेशान रहते हैं। ऐसे किसानों के लिए ड्रिप सिंचाई विधि एक बेहतरीन समाधान हो सकती है। इस तकनीक को अपनाने से खेतों में पानी की पर्याप्त उपलब्धता बनी रहती है और जल संचय के साथ-साथ अच्छी फसल भी प्राप्त होती है। इस विधि से किसान 50% तक पानी की बचत कर सकते हैं, जबकि फसल उत्पादन में 30 से 35% तक की वृद्धि संभव है।
कैसे काम करती है ड्रिप सिंचाई विधि?
मेरठ जिले के गन्ना अधिकारी बृजेश कुमार पटेल के अनुसार, ड्रिप सिंचाई विधि किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकती है। इस प्रणाली में पाइपों के माध्यम से सीधे फसल की जड़ों तक पानी पहुंचाया जाता है। यह तकनीक पानी की बर्बादी को रोकती है और फसल को उसकी जरूरत के अनुसार ही नमी उपलब्ध कराती है। इस विधि को अपनाने से किसानों की सिंचाई लागत भी कम हो जाती है और फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है।
सरकार की ओर से अनुदान
गन्ना अधिकारी के अनुसार, सरकार ड्रिप सिंचाई विधि अपनाने वाले किसानों को 80 से 90% तक अनुदान प्रदान कर रही है। यानी किसान सिर्फ 10 से 20% लागत लगाकर अपने खेतों में यह सुविधा लगा सकते हैं। इसके अलावा, ड्रिप सिस्टम की देखरेख और अन्य तकनीकी सहायता भी संबंधित कंपनियों द्वारा किसानों को दी जाती है, जिससे उन्हें किसी प्रकार की परेशानी न हो।
ड्रिप विधि क्यों है जरूरी?
ड्रिप सिंचाई का महत्व समझाने के लिए इसे ग्लूकोज ड्रिप से तुलना की जा सकती है। जिस तरह किसी गंभीर मरीज को जल्दी स्वस्थ करने के लिए ड्रिप सिस्टम से ग्लूकोज और दवाइयां दी जाती हैं, उसी तरह फसल की सेहत बनाए रखने और उपज बढ़ाने के लिए ड्रिप सिंचाई एक कारगर तरीका है।
जो किसान ड्रिप विधि अपनाना चाहते हैं, वे अपने जिले के गन्ना विभाग या कृषि अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं और इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। यह विधि कम पानी में अधिक उत्पादन देने वाली तकनीक है, जिससे किसानों को अधिक लाभ और कम लागत में बेहतर फसल प्राप्त होती है।
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