गन्ने की खेती में AI का होगा इस्तेमाल, किसानों की आय होगी डबल, जानें क्या कहा विशेषज्ञों ने

उत्तर प्रदेश, जो देश का सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य है, अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाने की राह पर है। हाल ही में यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो (UPITS) 2025 के दौरान आयोजित कार्यशाला ‘सतत विकास हमारा प्रयास’ में विशेषज्ञों ने गन्ने की खेती में इन तकनीकों के उपयोग पर गहन चर्चा की। इस चर्चा का केंद्र रहा कि कैसे AI से किसानों की समस्याओं का समाधान हो सकता है और उत्पादन में वृद्धि कैसे संभव है।

यूपीसीएसआर (उत्तर प्रदेश चीनी उद्योग अनुसंधान संस्थान) के डायरेक्टर वी.के. शुक्ला ने बताया कि सरकार का फोकस किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने और चीनी मिलों की क्षमता बढ़ाने पर है। अब तक 38 मिलों ने अपनी क्षमता बढ़ाई है, जिससे पेराई प्रक्रिया तेज और कुशल हो गई है।

AI और मशीन लर्निंग से कैसे बदलेगी खेती

विशेषज्ञों का मानना है कि गन्ने की खेती में AI का इस्तेमाल खेतों की निगरानी को आसान बना देगा। रिमोट सेंसिंग तकनीक से सैटेलाइट इमेजरी के जरिए फसल की स्थिति, मिट्टी की नमी और पोषक तत्वों की कमी का पता लगाया जा सकेगा। मशीन लर्निंग एल्गोरिदम बीमारियों की शुरुआती पहचान कर सकेंगे, जैसे लाल सड़न रोग (Red Rot Disease), जो गन्ने की Co-238 जैसी लोकप्रिय किस्मों को प्रभावित करता है। इससे किसान समय पर उपचार कर सकेंगे और नुकसान कम होगा।

सीनियर साइंटिफिक ऑफिसर अजय कुमार तिवारी ने जोर दिया कि अंधाधुंध खाद का इस्तेमाल बंद करें, क्योंकि इससे मिट्टी की उर्वरता घटती है। उन्होंने अगले पांच वर्षों में लाल सड़न रोग पर नियंत्रण की योजना का जिक्र किया, जिसमें AI-आधारित डायग्नोस्टिक टूल्स शामिल हैं।

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चीनी मिलों का नया रूप

जॉइंट केन कमिश्नर आर.सी. पाठक ने बताया कि Co-238 किस्म कभी किसानों की पहली पसंद थी, लेकिन रोगों के कारण अब इसका चलन कम हो गया है। AI से नई हाइब्रिड किस्मों का विकास तेज होगा, जो रोग-प्रतिरोधी और उच्च उपज वाली होंगी। कार्यशाला में मवाना शुगर के एमडी आर.के. गंगवार ने सुझाव दिया कि चीनी मिलें केवल चीनी उत्पादन तक सीमित न रहें, बल्कि बायो-एथनॉल, बायो-फर्टिलाइजर और अन्य उत्पादों का हब बनें। AI से सप्लाई चेन मैनेजमेंट बेहतर होगा, जिससे किसानों को फसल बेचने में देरी न हो और भुगतान तुरंत मिले। इससे गन्ना उद्योग सतत विकास की दिशा में आगे बढ़ेगा।

विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी कि वे AI-आधारित ऐप्स और ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल शुरू करें। उदाहरण के लिए, ड्रोन से खेतों का सर्वेक्षण करके पानी और खाद की सटीक मात्रा का आकलन किया जा सकता है। इससे लागत कम होगी और उत्पादन 20-30 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार की योजनाओं का लाभ उठाएं, जैसे सब्सिडी पर ड्रोन और सेंसर उपलब्ध कराना। साथ ही, जैविक खेती पर जोर दें ताकि मिट्टी स्वस्थ रहे। इन तकनीकों से न सिर्फ गन्ने का उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि किसानों की आय भी दोगुनी हो जाएगी।

कार्यशाला में सहमति बनी कि AI और मशीन लर्निंग गन्ना खेती को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगी। उत्तर प्रदेश में गन्ना क्षेत्रफल 22 लाख हेक्टेयर से अधिक है, और इन तकनीकों से यह और विस्तार पा सकता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले कुछ वर्षों में AI से रोग प्रबंधन और फसल पूर्वानुमान में क्रांति आएगी। किसान भाई इन बदलावों को अपनाकर न सिर्फ अपनी फसल सुरक्षित रख सकेंगे, बल्कि उद्योग को भी मजबूत बनाएंगे।

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  • Shashikant

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