गन्ने की आर्गेनिक खेती करें देसी तरीके से 45-120 टन पैदावार और पायें बंपर मुनाफा

गन्ना भारत की सबसे बड़ी नकदी फसलों में से एक है, और गन्ने की आर्गेनिक खेती इसे और फायदेमंद बना रही है। रासायनिक खाद से मिट्टी की सेहत बिगड़ती है और लागत बढ़ती है, लेकिन गन्ने की आर्गेनिक खेती मिट्टी को बचाती है और कम खर्च में अच्छा मुनाफा देती है। इसमें गोबर, नीम और जैविक खाद का इस्तेमाल होता है, जो प्रकृति के साथ तालमेल बिठाता है। गन्ने की आर्गेनिक खेती से 45-120 टन प्रति हेक्टेयर पैदावार मिल सकती है। भले ही रासायनिक खेती से थोड़ी कम हो, मगर कम लागत और बढ़िया दाम से जेब भरती है। आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं।

आर्गेनिक खेती क्यों जरूरी

गन्ने की आर्गेनिक खेती का बड़ा फायदा ये है कि ये मिट्टी को लंबे समय तक हरा-भरा रखती है। रासायनिक खाद से पैदावार बढ़ती है, मगर मिट्टी में नमक बढ़ने से खेत बंजर हो सकते हैं। गन्ने की आर्गेनिक खेती में गोबर, गन्ने की पत्तियाँ और हरी खाद से मिट्टी को ताकत मिलती है। पानी की बर्बादी कम होती है और कीट प्राकृतिक तरीके से काबू में रहते हैं। बाजार में आर्गेनिक चीनी और गुड़ की माँग बढ़ रही है, जिससे गन्ने की आर्गेनिक खेती करने वाले किसानों को अच्छा दाम मिलता है।

खेत और बीज की तैयारी

गन्ने की आर्गेनिक खेती शुरू करने के लिए खेत की तैयारी पहला कदम है। खेत को हल से 2-3 बार जोतें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। प्रति हेक्टेयर 20-25 टन गोबर की सड़ी खाद डालें। अगर मिट्टी में नमक ज्यादा है, तो 5 टन प्रेसमड मिलाएँ। बीज के लिए स्वस्थ गन्ने के टुकड़े (सेट्स) चुनें, जिनमें 2-3 आँखें हों। इन्हें 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किलो से उपचारित करें, ताकि फंगस न लगे। बुवाई 90-120 सेमी की दूरी पर पंक्तियों में करें, ताकि हवा और धूप अच्छे से मिले।

गन्ने की उन्नत किस्में

गन्ने की आर्गेनिक खेती में सही किस्म चुनना पैदावार की कुंजी है। भारत में कई उन्नत किस्में हैं, जो आर्गेनिक तरीके के लिए मुफीद हैं। Co-0238 (कुंज श्री) उत्तर भारत में लोकप्रिय है, जो 120-130 टन प्रति हेक्टेयर देती है और रेड रॉट रोग से लड़ती है। Co-86032 (Nayana) दक्षिण भारत में पसंद की जाती है, इसकी पैदावार 100-110 टन होती है और पानी कम लगता है। CoJ-64 जल्दी पकने वाली है, 10 महीने में तैयार होकर 90-100 टन उपज देती है। Co-Pant 97222 ठंडे इलाकों के लिए ठीक है और जैविक खाद में अच्छी बढ़त लेती है। इनमें चीनी की मात्रा 13-15% होती है, जो गुड़ और चीनी के लिए बढ़िया है।

बुवाई और सिंचाई का तरीका

गन्ने की आर्गेनिक खेती में बुवाई फरवरी-मार्च या अक्टूबर-नवंबर में करें। ड्रिप सिंचाई सबसे अच्छी है, इससे पानी बचता है। शुरू में 2-3 सेमी पानी हर 4-5 दिन में दें। टिलरिंग और बढ़त के समय 8-10 दिन के अंतर पर पानी दें। बारिश में पानी निकासी का इंतजाम रखें, वरना जड़ें सड़ सकती हैं। गन्ने की पत्तियों से मल्चिंग करें, इससे नमी बनी रहती है। ड्रिप से जैविक खाद का घोल भी डाला जा सकता है, जो पौधों को ताकत देता है।

जैविक खाद और पोषण

गन्ने की आर्गेनिक खेती में रासायनिक खाद की जगह गोबर, कम्पोस्ट और हरी खाद का इस्तेमाल होता है। 20-25 टन गोबर खाद के साथ 100 किलो सिंगल सुपर फॉस्फेट और 10 किलो डीकंपोजिंग कल्चर मिलाकर खाद बनाएँ। धैंचा या सनई जैसी हरी खाद की फसलें बोएँ, जो 1.5-2 महीने में मिट्टी में दबा दें। ये 90 किलो नाइट्रोजन और 20 टन हरा पदार्थ देती हैं। गोमूत्र में गुड़ और बेसन मिलाकर 5 दिन ढककर रखें, फिर हर 20 दिन में डालें ये तरीके उर्वरता बढ़ाते हैं।

कीट और रोग नियंत्रण

गन्ने की आर्गेनिक खेती में बोरर, टॉप शूट बोरर और फफूंद जैसे रोग लगते हैं। नीम का तेल (5 मिली प्रति लीटर) और गोमूत्र का छिड़काव करें। ट्राइकोडर्मा 5 किलो प्रति हेक्टेयर मिट्टी में मिलाएँ, ताकि फंगस न लगे। फेरोमोन ट्रैप (10 प्रति हेक्टेयर) से कीट फँसाएँ। मित्र कीट जैसे लेडीबर्ड बीटल को बुलाने के लिए नीम की पत्तियाँ बिछाएँ ये देसी उपाय सस्ते और कारगर हैं।

कटाई और पैदावार

गन्ने की आर्गेनिक खेती में गन्ना 10-12 महीने में तैयार होता है। पत्तियाँ पीली पड़ने पर कटाई करें। पैदावार 45-120 टन प्रति हेक्टेयर मिलती है, जो मिट्टी की सेहत पर निर्भर करती है। रासायनिक खेती से ज्यादा (100-150 टन) हो सकती है, मगर लागत बढ़ती है। आर्गेनिक गन्ने से चीनी और गुड़ की गुणवत्ता बढ़िया होती है, जिसका भाव 3000-4000 रुपये प्रति टन मिलता है। कटाई के बाद पत्तियाँ खेत में छोड़ दें, ये मिट्टी को पोषण देती हैं।

फायदे और मुनाफा

गन्ने की आर्गेनिक खेती में लागत 25-30 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर आती है, जबकि रासायनिक खेती में 40-50 हजार लगते हैं। 100 टन पैदावार पर 3-4 लाख रुपये की कमाई हो सकती है, जिसमें 2.5-3 लाख मुनाफा बचता है। मिट्टी की सेहत सुधरती है और पानी की बचत होती है। आर्गेनिक चीनी और गुड़ का दाम भी ज्यादा मिलता है ये खेती लंबे समय तक फायदा देती है।

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  • Shashikant

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