Surti Ki Kheti: सुरती तंबाकू की खेती किसानों के लिए एक तेज और लाभदायक विकल्प साबित हो रही है, खासकर उन इलाकों में जहां कम पानी और मेहनत वाली फसल की तलाश है। ये पत्तेदार फसल पान, बीड़ी, गुटखा और सिगरेट उद्योग में इस्तेमाल होती है, और मात्र 120-130 दिनों में तैयार हो जाती है। एक एकड़ से 8-10 क्विंटल सूखी पत्तियां निकल सकती हैं, जो बाजार में 150-200 रुपये प्रति किलो तक बिकती हैं। इससे शुद्ध मुनाफा 1-1.5 लाख रुपये तक पहुंच जाता है।
भारत में गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में ये खेती लोकप्रिय है, जहां तापमान 20-27 डिग्री सेल्सियस और 500-1200 मिलीमीटर वर्षा वाले क्षेत्र फिट बैठते हैं। लेकिन याद रखें, तंबाकू की खेती से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को नजरअंदाज न करें ये लत लगाने वाली फसल है, और किसानों को खुद के स्वास्थ्य का भी ख्याल रखना चाहिए। छोटे-बड़े किसान दोनों ही इसे अपना सकते हैं, अगर सही विधि अपनाएं तो ये फसल जेब भरने का मजबूत जरिया बन सकती है।
खेत की तैयारी
सुरती तंबाकू की सफल खेती (Surti Ki Kheti) की कुंजी खेत की सही तैयारी में छिपी है। ये फसल दोमट या रेतीली मिट्टी में अच्छी उगती है, जहां जल निकासी तेज हो और मिट्टी का पीएच 5.5 से 6.5 के बीच रहे। ज्यादा अम्लीय या क्षारीय मिट्टी से बचें, क्योंकि इससे पौधे कमजोर हो जाते हैं। खेत की गहरी जुताई (15-20 सेंटीमीटर) करें, फिर प्रति एकड़ 4-5 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं। इसके बाद 20-25 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फॉस्फोरस और 20 किलो पोटाश डालें। खरपतवार हटाने के लिए रोटावेटर चलाएं और सुहागा (बोरॉन) फेरकर मिट्टी को समतल करें।
अगर मिट्टी सूखी लगे तो हल्की सिंचाई कर दें। बुवाई का आदर्श समय फरवरी-मार्च (गर्मी की शुरुआत) या अक्टूबर-नवंबर (रबी सीजन) है, जब औसत तापमान 20-27 डिग्री सेल्सियस रहता है। ऐसी तैयारी से पौधे मजबूत जड़ें पकड़ते हैं, पत्तियां बड़ी-स्वस्थ निकलती हैं, और बाजार मूल्य ऊंचा मिलता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सही मिट्टी चयन से पैदावार 20-30 फीसदी तक बढ़ सकती है।
ये भी पढ़ें- अब होगी बिना छिलके वाली जौ की खेती, हुआ 5 किस्मों पर सफल परीक्षण
नर्सरी से रोपाई
सुरती तंबाकू की खेती (Surti Ki Kheti) में नर्सरी का महत्व सबसे ज्यादा है, क्योंकि ये मजबूत पौधों की नींव रखती है। प्रति एकड़ 1.5-2 किलो प्रमाणित बीज लें, जो सरकारी कृषि केंद्रों या विश्वसनीय सप्लायर्स से मिलेंगे। बीजों को 24 घंटे साफ पानी में भिगोएं और थिरम (2 ग्राम प्रति किलो) से उपचारित करें ये फफूंद और बीमारियों से बचाव करता है। नर्सरी बेड (1 मीटर चौड़े) पर बोएं, और 30-40 दिनों में जब पौधे 15-20 सेंटीमीटर ऊंचे हो जाएं, तो मुख्य खेत में रोपाई करें।
कतारों के बीच 60 सेंटीमीटर और पौधों के बीच 45 सेंटीमीटर दूरी रखें, ताकि हवा का संचार अच्छा हो। हर गड्ढे में 1 किलो गोबर की खाद डालें। फरवरी-मार्च की रोपाई से पौधे गर्मी से पहले स्थापित हो जाते हैं। ये तरीका घनी फसल लगाता है, जिससे उपज बढ़ती है और खरपतवार की समस्या कम रहती है। किसान भाई, नर्सरी में 80-90 फीसदी अंकुरण सुनिश्चित करने के लिए छायादार जगह चुनें।
सिंचाई, खरपतवार और कीट नियंत्रण
सुरती तंबाकू की देखभाल में ज्यादा मेहनत नहीं लगती, लेकिन समय पर ध्यान देना जरूरी है। रोपाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें, फिर हर 10-15 दिन में हल्का पानी दें—कुल 4-5 सिंचाइयां पर्याप्त हैं। ज्यादा जलभराव से जड़ें सड़ सकती हैं, इसलिए ड्रेनेज चेक करें। 20-25 दिन बाद पहली गुड़ाई करें ताकि खरपतवार न फैलें, और फूल आने के समय (60-70 दिन बाद) प्रति एकड़ 15-20 किलो यूरिया डालें ये पत्तियों को चमकदार और मोटा बनाएगा।
कीटों जैसे तंबाकू सुंडी, हरा तेला या एफिड्स दिखें तो नीम तेल (5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें; ये जैविक और सस्ता उपाय है। रोगों जैसे ब्लैक शंक या रूट रॉट से बचाव के लिए साफ-सुथरा खेत रखें। गर्मी का मौसम 25-30 डिग्री तापमान इस फसल के लिए आदर्श है, जहां पत्तियां सुगंधित और बाजार योग्य बनती हैं। सही देखभाल से नुकसान न्यूनतम रहता है, और पैदावार स्थिर बनी रहती है।
ये भी पढ़ें- अक्टूबर में करें ये स्मार्ट खेती, आलू के साथ बोएं 3 फसलें आधी लागत में बनें लखपति किसान
क्वालिटी बनाए रखने का सही तरीका
कटाई का समय 120-130 दिनों में आता है, जब निचली 20-30 फीसदी पत्तियां सूखकर कठोर हो जाएं। पौधों को जड़ से काटें या पत्तियां हाथ से तोड़ें—सुबह या शाम का समय चुनें ताकि ओस न लगे और पत्तियां ताजी रहें। कटाई के बाद पत्तियों को गुच्छों में बांधें और छाया में 10-15 दिन सुखाएं; धूप में रखने से रंग फीका पड़ जाता है और गुणवत्ता गिरती है।
सुखाने पर पत्तियां हल्की भूरी, कुरकुरी और सुगंधित हो जाएंगी, तब प्लास्टिक या जूट बैग में पैक करें। एक एकड़ से 8-10 क्विंटल सूखी पत्तियां निकलती हैं। ये तरीका अपनाने से क्वालिटी टॉप क्लास रहती है, और खरीदार प्रीमियम दाम चुकाते हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि सुखाने के दौरान हवा का प्रवाह बनाए रखें ताकि फफूंद न लगे।
लाखों की कमाई, लेकिन जोखिमों से सतर्क रहें
सुरती तंबाकू की खेती (Surti Ki Kheti) से मुनाफा आसमान छूता है। एक एकड़ की कुल लागत 20-25 हजार रुपये आती है—बीज (2-3 हजार), खाद-मजदूरी (10-15 हजार) और सिंचाई (2-3 हजार) मिलाकर। लेकिन 8-10 क्विंटल उपज से 1.5-2 लाख रुपये की कमाई हो जाती है, यानी शुद्ध लाभ 1-1.5 लाख। बाजार में लोकल मंडी, बीड़ी-सिगरेट कंपनियां या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे इंडियामार्ट पर बेचें। गर्मियों में डिमांड चरम पर पहुंचती है, जब दाम 200 रुपये प्रति किलो तक उछल जाते हैं। सरकार की सब्सिडी (बीज पर 50 फीसदी तक) और प्रशिक्षण स्कीमों (जैसे एटीएमए प्रोग्राम) का फायदा उठाएं।
हालांकि, फायदों के साथ नुकसान भी हैं। तंबाकू की खेती मिट्टी की उर्वरता को कम कर सकती है, इसलिए रोटेशन (गेहूं या दालों के साथ) अपनाएं। स्वास्थ्य जोखिमों से बचें—खुद न चखें, और बच्चों को दूर रखें। लंबे समय में ये फसल फायदेमंद है, लेकिन सस्टेनेबल तरीके से करें ताकि पर्यावरण को नुकसान न हो। किसान भाई, स्थानीय कृषि विभाग से सलाह लें और रिकॉर्ड रखें। सुरती तंबाकू अपनाकर खेती को नई ऊंचाई दें!
ये भी पढ़ें- कपास की फसल में गुलाबी सूंडी का अटैक? जानिए असरदार देसी और सस्ते समाधान