Surya Pratap Shahi Inspection 2025: भारत की रीढ़ मानी जाने वाली खेती आज कई चुनौतियों से जूझ रही है, और उत्तर प्रदेश इसका एक बड़ा हिस्सा है। मॉनसून की शुरुआत के साथ, जब 22 जून 2025 को किसान अपनी फसलों की तैयारी में जुटे हैं, उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने एक कदम आगे बढ़ाया है। वे हाल ही में लखनऊ के बेहटा बाजार स्थित किसान खाद भंडार (कुर्सी रोड) का औचक निरीक्षण करने पहुँचे, जहाँ खाद, बीज, और दवाइयों की दुकानों की बारीकी से जाँच की गई। आइए, जानते हैं कि यह कदम किसानों के लिए क्या मायने रखता है और इससे उनकी फसलों को क्या लाभ हो सकता है।
निरीक्षण का मकसद, किसानों की चिंता का हल
सूर्य प्रताप शाही का यह दौरा कोई औपचारिकता नहीं, बल्कि किसानों की आवाज सुनने का प्रयास है। तस्वीर में उन्हें खाद के पैकेट और बीज की थैलियाँ हाथ में लिए देखा जा सकता है, जहाँ वे हर पैकेट की गुणवत्ता और उपलब्धता की जानकारी ले रहे हैं। मॉनसून के इस मौसम में, जब धान, कपास, और मक्का जैसी फसलों की बुवाई शुरू होती है, खाद और बीज की मांग बढ़ जाती है। मंत्री का कहना है कि उनका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि किसानों को उचित मूल्य और सही समय पर सामान मिले।
ये भी पढ़ें – 26 जून को इंदौर में होगा सोयाबीन किसानों का महासम्मेलन, जहां किसान, वैज्ञानिक और विशेषज्ञ जुटेंगे एक ही मंच पर
फसलों के लिए फायदा, गुणवत्ता का आश्वासन
इस निरीक्षण से खेतिहर समुदाय को सीधा लाभ होगा। सही खाद और बीज से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, और कीट-रोगों से बचाव के लिए दवाइयाँ प्रभावी होती हैं। उदाहरण के लिए, अगर बीज में अंकुरण शक्ति कम हो या खाद में नाइट्रोजन की कमी हो, तो फसल कमजोर पड़ सकती है। शाही की निगरानी से ऐसी समस्याएँ कम होंगी। साथ ही, दुकानदारों को साफ संदेश मिला है कि किसी भी तरह की कालाबाजारी या नकली सामान बर्दाश्त नहीं होगा। मॉनसून की बारिश के साथ, अगर किसानों को समय पर अच्छी खाद मिले, तो उनकी मेहनत का फल दोगुना हो सकता है। यह कदम न सिर्फ उत्पादन बढ़ाएगा, बल्कि किसानों के हौसले को भी मजबूती देगा।
खाद-बीज का सही इस्तेमाल
किसानों के लिए यह जरूरी है कि वे मिलने वाली खाद और बीज का पूरा फायदा उठाएँ। निरीक्षण के बाद सरकार ने सलाह दी है कि बीजों को बुवाई से पहले गोमूत्र या ट्राइकोडर्मा से उपचारित करें, ताकि बीमारी से बचाव हो। खाद को मिट्टी में गहराई से मिलाएँ, खासकर जुताई के बाद, ताकि जड़ों तक पोषण पहुँचे। मॉनसून में बारिश से नमी बनी रहती है, लेकिन खेत में पानी जमा न होने दें इसके लिए मेड़ बनाएँ। अगर कीट दिखें, तो नीम का तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें, जो प्राकृतिक और सस्ता उपाय है। इन छोटी-छोटी बातों से फसल की सेहत बेहतर होगी और निरीक्षण का असर जमीन पर दिखेगा।
ये भी पढ़ें – इस राज्य सरकार ने पशुओं के लिए शुरू की मोबाइल वेटरनेरी यूनिट्स (एम्बुलेंस सेवा), सिर्फ एक कॉल में पहुचेंगे डॉक्टर
पर्यावरण और मिट्टी का संरक्षण
रासायनिक खाद और दवाइयों का अत्यधिक इस्तेमाल मिट्टी और पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहा है। शाही का यह कदम नकली या घटिया सामान पर लगाम लगाकर मिट्टी की सेहत को बचाने में मदद करेगा। अच्छी गुणवत्ता की खाद मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ बढ़ाती है, जो लंबे समय तक फसलें देती रहेंगी। साथ ही, कीटनाशकों का संतुलित उपयोग से मित्र कीटों की रक्षा होगी, जो प्राकृतिक संतुलन बनाए रखते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह पहल टिकाऊ खेती की दिशा में कदम है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मिट्टी को हरा-भरा रखेगा।
उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही का यह निरीक्षण खेती की राह को आसान करने वाला है। देसी मेहनत, सही संसाधन, और सरकारी सहायता से आप अपनी फसलों को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकते हैं। इस जून 2025 में निरीक्षण के लाभ को अपनाएँ और अपनी मेहनत का पूरा दाम पाएँ!
ये भी पढ़ें – किसान की आत्महत्या का दर्दनाक सच, FD का पैसा नहीं मिलने से तंग आया किसान, सहकारी समिति कार्यालय के सामने लगाई फांसी