SVHA1452 Mirch Variety: किसान साथियों, वर्तमान में, मिर्च भारतीय रसोई और वैश्विक बाजारों में एक प्रमुख मसाला और सब्जी फसल है। इसकी माँग स्थानीय मंडियों, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों, और निर्यात बाजारों में साल भर बनी रहती है। उत्तर प्रदेश, बिहार, और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में मिर्च की खेती किसानों के लिए आय का महत्वपूर्ण स्रोत है। SVHA1452 एक हाइब्रिड मिर्च वैरायटी है, जो अपनी उच्च उपज, रोग प्रतिरोधक क्षमता, और तीखेपन के लिए जानी जाती है। यह वैरायटी कम लागत में अधिक मुनाफा देती है और गर्म व आर्द्र जलवायु में उपयुक्त है। यह लेख SVHA1452 की विशेषताओं, खेती की प्रक्रिया, बीज आपूर्तिकर्ता, कीट व रोग नियंत्रण, लागत, और मुनाफे पर विस्तृत जानकारी देगा।
SVHA1452 वैरायटी की विशेषताएँ
SVHA1452 एक हाइब्रिड मिर्च वैरायटी है, जो गहरे हरे, लंबे (8-10 सेमी), और चमकदार फलों के लिए लोकप्रिय है। इसके पौधे मध्यम ऊँचाई (60-80 सेमी) के होते हैं और 3-4 उत्पादक शाखाएँ विकसित करते हैं, जिससे प्रति पौधा 40-50 फल प्राप्त होते हैं। यह वैरायटी रोपाई के 60-65 दिनों में पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है, जो इसे व्यावसायिक खेती के लिए आदर्श बनाती है। इसके फल तीखे, आकर्षक, और लंबे समय तक ताजे रहते हैं, जिससे परिवहन और बिक्री में आसानी होती है।
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यह वैरायटी पर्ण कर्ल वायरस (Leaf Curl Virus) और एन्थ्रेक्नोज (Anthracnose) के प्रति मध्यम सहनशीलता दिखाती है, जो उत्तर भारत में मिर्च की खेती की प्रमुख समस्याएँ हैं। यह गर्मी (20-35 डिग्री सेल्सियस) और आर्द्र जलवायु में अच्छी उपज देती है, जो उत्तर प्रदेश, बिहार, और मध्य प्रदेश की ग्रीष्म और वर्षा ऋतु के लिए उपयुक्त है। SVHA1452 के फल हरे और लाल दोनों रूपों में बाजार में अच्छा मूल्य प्राप्त करते हैं। यह वैरायटी हाइड्रोपोनिक और पॉलीहाउस खेती में भी अच्छा प्रदर्शन करती है, जिससे नियंत्रित वातावरण में उपज बढ़ाई जा सकती है।
खेती की प्रक्रिया और प्रबंधन
SVHA1452 मिर्च की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी, जिसका pH 6.5-7.5 हो, सबसे उपयुक्त है। खेत की तैयारी के लिए 2-3 बार गहरी जुताई करें और प्रति एकड़ 8-10 टन गोबर खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें। यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है और पौधों की जड़ों को मजबूती देता है। खेत को समतल करें और 60 सेमी दूरी पर मेड़ें बनाएँ। जैविक खेती के लिए, मिट्टी को अज़ोटोबैक्टर या अज़ोस्पिरिलम (1 किलो/50 किलो FYM) से उपचारित करें।
बीज को नर्सरी में बोएँ। प्रति एकड़ 80-100 ग्राम हाइब्रिड बीज पर्याप्त हैं। बीज को बुवाई से पहले ट्राइकोडर्मा वाइराइड (6 मिली/किलो बीज) या स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस (10 ग्राम/किलो बीज) से उपचारित करें। नर्सरी बेड को 1 मीटर चौड़ाई और सुविधाजनक लंबाई में तैयार करें। 40-45 दिन पुरानी पौध को मुख्य खेत में रोपें, जहाँ पौधे से पौधे की दूरी 45 सेमी और मेड़ से मेड़ की दूरी 60 सेमी हो। उत्तर प्रदेश और बिहार में ग्रीष्मकालीन रोपाई के लिए फरवरी-मार्च और वर्षा ऋतु के लिए जून-जुलाई उपयुक्त समय है। मध्य प्रदेश में मार्च-अप्रैल और जुलाई-अगस्त में रोपाई की जाती है। रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करें।
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उर्वरक देने का तरीका
उर्वरक प्रबंधन में बेसल डोज के रूप में प्रति एकड़ 20 किलो डीएपी, 10 किलो MOP, और 2 किलो माइक्रोन्यूट्रिएंट्स डालें। रोपाई के 25-30 दिन बाद यूरिया (15 किलो) और MOP (5 किलो) का छिड़काव करें। फूल आने से पहले 19:19:19 (4-5 ग्राम/लीटर पानी) का छिड़काव करें। खरपतवार नियंत्रण के लिए रोपाई के 48 घंटे बाद पेंडीमेथालिन (1 लीटर/हेक्टेयर) का छिड़काव करें और 15-20 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करें।
कीट और रोग नियंत्रण कैसे करें
SVHA1452 मिर्च में थ्रिप्स, माइट्स, और फल बेधक कीट प्रमुख समस्याएँ हैं। थ्रिप्स और माइट्स पत्तियों को नुकसान पहुँचाते हैं, जिससे पर्ण कर्ल की समस्या बढ़ती है। इसके नियंत्रण के लिए नीम तेल (5 मिली/लीटर) या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL (0.3 मिली/लीटर) का छिड़काव करें। फल बेधक फलों में छेद करता है, जिससे बाजार मूल्य कम होता है। इसके लिए क्लोरपायरीफोस (2 मिली/लीटर) या थियामेथोक्सम 25% WG (0.3 ग्राम/लीटर) का उपयोग करें। छिड़काव सुबह या देर दोपहर करें।
पर्ण कर्ल वायरस और एन्थ्रेक्नोज से बचाव के लिए मैंकोजेब (2 ग्राम/लीटर) या डाइथेन M-45 (1.5 ग्राम/लीटर) का छिड़काव 15-20 दिन के अंतराल पर करें। सफेद मक्खी, जो वायरस फैलाती है, को नियंत्रित करने के लिए नीम तेल या पीले चिपचिपे ट्रैप (8-10 प्रति एकड़) का उपयोग करें। जैविक खेती में गोमूत्र (10% घोल) और नीम आधारित कीटनाशकों का उपयोग प्रभावी है। ICAR और KVK सलाह देते हैं कि नियमित निगरानी और प्रभावित पौधों को हटाने से रोग फैलने की संभावना कम होती है।
बीज आपूर्तिकर्ता और उपलब्धता
SVHA1452 वैरायटी के बीज विभिन्न कृषि स्टोर और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं। उत्तर प्रदेश में लखनऊ, कानपुर, और वाराणसी के बीज विक्रेता इस वैरायटी को बेचते हैं। बिहार में पटना और भागलपुर के कृषि केंद्रों पर बीज मिलते हैं। मध्य प्रदेश में इंदौर, भोपाल, और जबलपुर के आपूर्तिकर्ता SVHA1452 प्रदान करते हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, जैसे AgriBegri, Krishi Seva Kendra, और Farming India, उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराते हैं। 100 ग्राम बीज की कीमत 800-1200 रुपये है, और मुफ्त डिलीवरी की सुविधा भी मिलती है।
कितनी लागत और कितना मुनाफा संभव
SVHA1452 मिर्च की खेती की लागत प्रति एकड़ 30,000-40,000 रुपये है। इसमें बीज (2000-3000 रुपये), गोबर खाद और उर्वरक (10,000-12,000 रुपये), मजदूरी (8000-10,000 रुपये), कीटनाशक और छिड़काव (6000-8000 रुपये), और सिंचाई (3000-5000 रुपये) शामिल हैं। ड्रिप सिंचाई की प्रारंभिक लागत 15,000-20,000 रुपये हो सकती है, लेकिन यह पानी और श्रम की बचत करता है।
इस वैरायटी से प्रति एकड़ 30-40 क्विंटल हरी मिर्च या 7.5-10 क्विंटल सूखी मिर्च प्राप्त हो सकती है। हरी मिर्च का बाजार मूल्य 20-40 रुपये/किलो और सूखी मिर्च का 100-150 रुपये/किलो है। इससे प्रति एकड़ 1,00,000-1,60,000 रुपये (हरी मिर्च) या 75,000-1,50,000 रुपये (सूखी मिर्च) की आय संभव है। लागत निकालने के बाद 60,000-1,20,000 रुपये का शुद्ध मुनाफा प्राप्त हो सकता है। जैविक मिर्च और मूल्यवर्धित उत्पाद (पाउडर, सॉस) से मुनाफा बढ़ सकता है।
SVHA1452 मिर्च की उन्नत खेती उत्तर प्रदेश, बिहार, और मध्य प्रदेश के किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प है। इसकी उच्च उपज, रोग प्रतिरोधक क्षमता, और बाजार माँग इसे छोटे और सीमांत किसानों के लिए आदर्श बनाती है। सही खेत तैयारी, उर्वरक प्रबंधन, कीट नियंत्रण, और विश्वसनीय बीज आपूर्तिकर्ताओं का चयन करके किसान प्रति एकड़ 60,000-1,20,000 रुपये का मुनाफा कमा सकते हैं। ICAR, KVK, और सरकारी योजनाओं का समर्थन लेकर किसान इस वैरायटी को अपनाकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। यह खेती आर्थिक लाभ के साथ-साथ जैविक खेती और मृदा स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देती है।
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