धान की खेती करने वाले किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है! अब गर्मी और सूखे की मार से डरने की जरूरत नहीं। पटना के भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी धान की नई प्रजाति तैयार की है, जो सूखे में धान की खेती को आसान और मुनाफेदार बना देगी। इसका नाम है स्वर्ण पूर्वी धान-4। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसे सीधी बुवाई कर सकते हो – नर्सरी का झंझट खत्म! बस बीज छींट दो, और 115-120 दिनों में लहलहाती फसल तैयार। आइए, समझें कि स्वर्ण पूर्वी धान-4 क्या है और ये खेती को कैसे आसमान तक ले जाएगा।
कम पानी का नया चमत्कार
स्वर्ण पूर्वी धान-4 को ICAR पटना के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संतोष कुमार और उनकी टीम ने तैयार किया है। ये एक एरोबिक चावल की किस्म है, यानी इसे ज्यादा पानी की जरूरत नहीं। जहां पानी का संकट रहता है, वहाँ ये धान वरदान है। डॉ. संतोष बताते हैं कि इसे कम पानी में धान उगाने के लिए बनाया गया है। पारंपरिक धान के मुकाबले ये 35-40% पानी बचाता है। सिर्फ 115-120 दिन में फसल पक जाती है, और प्रति हेक्टेयर 25-30 किलो बीज से 45-50 क्विंटल तक उच्च पैदावार धान देती है। इसका दाना लंबा, पुष्ट और चमकदार है, जिसमें 61.9% सबूत चावल निकलता है।
सूखे और रोगों से लड़ने की ताकत
स्वर्ण पूर्वी धान-4 की खासियत सिर्फ कम पानी तक सीमित नहीं। ये सूखा सहने में माहिर है और रोगों-कीटों से भी डटकर लड़ता है। झोंका, भूरी चित्ती, पर्णच्छद अंगमारी, और पर्णच्छद विगलन जैसे रोगों को ये आसानी से मात देता है। तना छेदक और पत्ती लपेटक जैसे कीटों से भी ये पौधा बेफिक्र रहता है। इसका मतलब है कि कीटनाशकों पर खर्च कम होगा, और फसल सुरक्षित रहेगी। गर्मी में जब दूसरे खेत सूखते हैं, तब भी ये धान हरा-भरा रहता है। ये सूखे में धान की खेती का नया जवाब है।
सीधी बुवाई
स्वर्ण पूर्वी धान-4 की सबसे बड़ी राहत ये है कि इसे सीधी बुवाई कर सकते हो। नर्सरी तैयार करने, पानी भरने, और रोपाई का झंझट खत्म। बस खेत में 25-30 किलो बीज प्रति हेक्टेयर छींट दो, और काम शुरू। बुवाई के 24-27 घंटे बाद खरपतवार रोकने के लिए दवा (जैसे पेंडीमेथालिन) का छिड़काव कर दो। डॉ. संतोष बताते हैं कि इसे 15 जून तक या मानसून से पहले बोना बेस्ट है। जून में बोने के बाद 15 अक्टूबर तक फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है, यानी रबी फसल की बुवाई का भी पूरा मौका।
खेत की तैयारी और बुवाई का तरीका
स्वर्ण पूर्वी धान-4 को बोने से पहले खेत को तैयार करना जरूरी है। गहरी जुताई करो, ताकि मिट्टी हवादार हो जाए। फिर गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट (8-10 टन प्रति हेक्टेयर) डालो। नाइट्रोजन (80 किलो), फॉस्फोरस (40 किलो), और पोटाश (30 किलो) प्रति हेक्टेयर की दर से डालें। नाइट्रोजन को 3 हिस्सों में बाँटो – एक तिहाई बुवाई के वक्त, एक तिहाई कल्ले निकलते समय (30-35 दिन बाद), और बाकी फूल आने पर (55-60 दिन बाद)। बीज को बोने से पहले कार्बेन्डाजिम से उपचारित करो। गाँव में लोग कहते हैं, “खेत को तैयार करो, तो फसल खुद बोल उठेगी।” ये कम पानी में धान की खेती को आसान बनाता है।
लागत और मुनाफा
स्वर्ण पूर्वी धान-4 की लागत पारंपरिक धान से कम है। नर्सरी और रोपाई का खर्च खत्म, पानी की बचत अलग। प्रति हेक्टेयर 20,000-25,000 रुपये की लागत में 45-50 क्विंटल फसल तैयार हो सकती है। बाजार में 20-30 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 90,000-1,50,000 रुपये की कमाई हो सकती है। यानी 60,000-1,25,000 रुपये का शुद्ध मुनाफा। डॉ. संतोष कहते हैं कि इस सीजन में कुछ किसानों को बीज मिलेगा, और अगले साल से सभी के लिए उपलब्ध होगा।
सूखे में चुनौतियाँ
गर्मी में पानी की कमी और सूखा बड़ी चुनौती है। लेकिन स्वर्ण पूर्वी धान-4 को इसके लिए ही बनाया गया है। ये सूखा सहन करता है और कम सिंचाई में भी बढ़ता है। अगर मानसून कमजोर हो, तो हल्की सिंचाई (2-3 बार) काफी है। खरपतवार को शुरू में दवा से कंट्रोल करो, बाद में ये पौधा खुद संभाल लेता है। रोगों और कीटों की चिंता भी कम है।
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