Tamatar ki organic Kheti Kaise Kare: हमारे गाँवों में टमाटर की खेती तो बरसों से होती आ रही है। हर रसोई में टमाटर की सब्जी, चटनी और सलाद की शान बढ़ाता है। आजकल लोग सेहत को लेकर सजग हो गए हैं, जिसकी वजह से जैविक टमाटर की मांग बाज़ार में तेजी से बढ़ रही है। जैविक खेती में रासायनिक खाद या कीटनाशक नहीं डाले जाते, इसलिए टमाटर का स्वाद और पोषण दोनों लाजवाब रहते हैं। ये फसल ना सिर्फ आपकी जेब भर सकती है, बल्कि पर्यावरण को भी फायदा पहुँचाती है। अगर आप टमाटर की जैविक खेती शुरू करना चाहते हैं, तो ये मौका आपके लिए सुनहरा है।

सही मिट्टी और खेत की तैयारी
टमाटर की फसल के लिए सही मिट्टी और खेत की तैयारी बहुत जरूरी है। हल्की दोमट या बलुई मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। मिट्टी का पीएच 6 से 7 के बीच होना चाहिए। खेती शुरू करने से पहले खेत को 2-3 बार अच्छे से जोत लें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। रासायनिक खाद की जगह गाय का गोबर, वर्मी कम्पोस्ट, या जैविक ह्यूमस डालें। ये मिट्टी को ताकत देता है और पौधों को पोषण देता है। खेत में ढाल के हिसाब से पलेवा या मेढ़ बनाएँ, ताकि पानी जमा ना हो। इससे जड़ें स्वस्थ रहेंगी और फसल अच्छी आएगी।
उन्नत किस्मों का चयन
टमाटर की खेती में सही किस्म चुनना मुनाफे का रास्ता खोलता है। भारत में देसी और हाइब्रिड दोनों तरह की किस्में मशहूर हैं।
देसी किस्मों में पूसा रूबी, पूसा शीतल, अर्का विकास, और सोनाली जैसी किस्में जलवायु के हिसाब से शानदार हैं।
वहीं, हाइब्रिड किस्मों में पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड-4, और अविनाश-2 ज्यादा पैदावार और रोगों से लड़ने की ताकत के लिए जानी जाती हैं।
इनमें से अर्का रक्षक किस्म किसानों के बीच खूब पसंद की जा रही है। ये किस्म ना सिर्फ बंपर पैदावार देती है, बल्कि पत्ती मोड़क विषाणु, जीवाणु झुलसा, और अगेती अंगमारी जैसे रोगों से भी लड़ती है। इसके फल गोल, गहरे लाल, और 90-100 ग्राम के होते हैं, जो बाज़ार में खूब बिकते हैं। अपनी जलवायु और बाज़ार की मांग के हिसाब से किस्म चुनें।
अर्का रक्षक: किसानों की पहली पसंद
अर्का रक्षक को भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरु ने 2010 में विकसित किया था। ये भारत की पहली त्रिगुणित रोग प्रतिरोधी किस्म है। इसके फल आकर्षक, ठोस, और बाज़ार की मांग के मुताबिक हैं। किसान इसे इसलिए पसंद करते हैं, क्योंकि ये कम समय में ज्यादा पैदावार देती है और रोगों से लड़ने में माहिर है। अगर आप इस किस्म को चुनते हैं, तो मुनाफा और फसल की गुणवत्ता दोनों पक्के हैं।
बुवाई और रोपाई का सही तरीका
टमाटर की बुवाई के लिए बीजों को पहले गहरे बर्तनों में बोएँ, ताकि अंकुरण अच्छा हो। जब पौधे 20-25 दिन के हो जाएँ, तो उन्हें खेत में रोप दें। रोपाई के बाद हल्का पानी दें, लेकिन ध्यान रखें कि ज्यादा पानी ना डाला जाए, वरना जड़ें सड़ सकती हैं। पौधों के बीच 60 सेंटीमीटर और कतारों के बीच 90 सेंटीमीटर का फासला रखें। इससे पौधों को बढ़ने की पूरी जगह मिलेगी और फसल स्वस्थ रहेगी। गर्मी और खरीफ सीजन इसकी बुवाई के लिए सबसे अच्छा समय है।

जैविक खाद और सिंचाई का प्रबंधन
जैविक खेती में गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट, और जैविक उर्वरक पौधों को ताकत देते हैं। बुवाई से पहले और फसल बढ़ने के दौरान इनका इस्तेमाल करें। सिंचाई की बात करें तो ड्रिप इरिगेशन सबसे अच्छा तरीका है। इससे पानी की बचत होती है और जड़ों को जरूरत के हिसाब से पानी मिलता है। हर 7-10 दिन में हल्की सिंचाई करें। ज्यादा पानी से बचें, क्योंकि ये जड़ों को नुकसान पहुँचा सकता है।
खरपतवार और कीटों से बचाव
खेत में खरपतवार को समय-समय पर हटाने के लिए निराई-गुड़ाई जरूरी है। इससे पौधों को पूरा पोषण मिलता है। जैविक खेती में रासायनिक कीटनाशक नहीं डाले जाते। इसके बजाय नीम का तेल, प्याज-लहसुन का मिश्रण, या जैविक कीटनाशक इस्तेमाल करें। ये देसी नुस्खे कीटों को भगाने में कारगर हैं। अगर पत्तियों पर कोई रोग दिखे, तो जैविक फफूंदनाशक का छिड़काव करें।

टमाटर की कटाई और बिक्री
टमाटर की कटाई तब करें, जब फल पूरी तरह पक जाएँ और उनका रंग गहरा लाल हो जाए। अगर फल को जल्दी तोड़ लिया, तो स्वाद और गुणवत्ता में कमी आ सकती है। कटाई के बाद टमाटर को ठंडी और हवादार जगह पर स्टोर करें। जैविक टमाटर की मांग बाज़ार में हमेशा रहती है, खासकर बड़े शहरों में। अगर आप सही समय पर बेचें, तो अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
मुनाफे और पर्यावरण का संगम
टमाटर की जैविक खेती ना सिर्फ आपकी आय बढ़ाती है, बल्कि पर्यावरण और सेहत के लिए भी फायदेमंद है। ये फसल मिट्टी की उर्वरता बनाए रखती है और रासायनमुक्त होने की वजह से उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षित है। सही किस्म, देखभाल, और जैविक तरीकों से आप बंपर पैदावार और मोटा मुनाफा कमा सकते हैं। तो इस सीजन में टमाटर की जैविक खेती शुरू करें और अपनी खेती को नई ऊँचाइयों तक ले जाएँ।