Lauki Farming: खेती-किसानी में नई तकनीकें और उन्नत बीज किसानों की मेहनत को दोगुना फल दे रहे हैं। आजकल लौकी की एक खास हाइब्रिड प्रजाति, टाटा लौकी वैरायटी, ने उत्तर भारत के गाँवों में धूम मचा रखी है। यह वैरायटी अपनी तेजी से बढ़ने की खूबी और शानदार पैदावार के लिए किसानों की पहली पसंद बन गई है। बीज बोने के मात्र 20 दिन बाद इसमें फल लगने शुरू हो जाते हैं, और डेढ़ महीने में तोड़ाई शुरू हो जाती है। यह फसल अगस्त तक चलती है, जिससे किसानों को लगातार कमाई होती रहती है। आइए, इस वैरायटी की खासियत, खेती का तरीका, और मुनाफे की कहानी को विस्तार से जानें।
टाटा लौकी वैरायटी की खासियत
टाटा कंपनी की यह लौकी वैरायटी अपनी अनोखी विशेषताओं के लिए मशहूर है। बीज बोने के 20 दिन बाद ही इस पर फल दिखाई देने लगते हैं, और 45 दिन के भीतर तोड़ाई शुरू हो जाती है। फसल अगस्त तक चलती है, जिससे लंबे समय तक आय का जरिया बना रहता है। इसके फल लंबे, चमकदार, और गहरे हरे रंग के होते हैं, जो बाजार में ग्राहकों को खूब भाते हैं। एक फल का औसत वजन 1-1.5 किलोग्राम होता है, और प्रत्येक पौधे से 8-10 फल आसानी से मिल जाते हैं। यह वैरायटी रोगों, जैसे पाउडरी मिल्ड्यू, के प्रति सहनशील है, जिससे कीटनाशकों का खर्च कम होता है।
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खेती का आसान और कारगर तरीका
टाटा लौकी वैरायटी की खेती शुरू करने के लिए खेत की सही तैयारी जरूरी है। सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करें और प्रति एकड़ 10-15 टन गोबर खाद या केंचुआ खाद डालें। इसके बाद नालियाँ (डोल) बनाएँ, जिनके बीच 5 फुट की दूरी हो, ताकि पौधों को फैलने के लिए पर्याप्त जगह मिले। प्रत्येक नाली में 60 सेंटीमीटर की दूरी पर 2-3 बीज बोएँ। बुवाई से पहले बीजों को 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलोग्राम बीज से उपचारित करें, ताकि फफूंदी रोगों से बचाव हो। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें, जिससे मिट्टी नम रहे और जड़ें मजबूत बनें। मानसून में बारिश की स्थिति देखकर सिंचाई करें। 20-25 दिन बाद निराई-गुड़ाई करें और खरपतवार हटाएँ।
कम लागत, ज्यादा मुनाफा
टाटा लौकी वैरायटी की खेती में लागत कम और मुनाफा ज्यादा है। एक पैकेट (100 ग्राम) बीज की कीमत 600-700 रुपये के आसपास है। एक एकड़ (लगभग 4 बीघा) के लिए 4 पैकेट बीज पर्याप्त हैं। बीज, खाद, मजदूरी, और सिंचाई सहित कुल लागत करीब 50,000 रुपये आती है। मंडियों में लौकी की कीमत 10-12 रुपये प्रति किलोग्राम चल रही है। एक एकड़ में 100-120 क्विंटल लौकी की पैदावार हो सकती है, जिससे 1-1.5 लाख रुपये की कमाई होती है। लागत निकालने के बाद 50,000-70,000 रुपये का शुद्ध मुनाफा आसानी से मिल जाता है। लंबे समय तक चलने वाली यह फसल किसानों को नियमित आय देती है।
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बीज की आसान उपलब्धता
उत्तर भारत के किसानों के लिए टाटा लौकी वैरायटी के बीज स्थानीय कृषि केंद्रों और बीज भंडारों में आसानी से उपलब्ध हैं। कई शहरों के कृषि बाजारों में यह बीज मिल रहा है। इसके अलावा, कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) और नजदीकी IFFCO डीलर से भी बीज और तकनीकी सलाह ली जा सकती है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, जैसे भारतअॅग्री और मेरीखेती, भी इस वैरायटी के बीज उपलब्ध कराते हैं। किसानों को सलाह है कि बीज खरीदते समय प्रमाणन जाँचें और विश्वसनीय विक्रेता से ही खरीदें, ताकि गुणवत्ता सुनिश्चित हो।
देसी टिप्स और बेहतर प्रबंधन
टाटा लौकी वैरायटी की खेती को और सफल बनाने के लिए कुछ देसी उपाय बहुत फायदेमंद हैं। बुवाई से पहले बीजों को 6-8 घंटे पानी में भिगोएँ, ताकि अंकुरण तेज हो। नीम की खली (50 किलो प्रति एकड़) डालें, जो कीटों को भगाती है और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है। पौधों को सहारा देने के लिए बाँस का स्टेचर बनाएँ और डोरी से बाँधें, ताकि फल जमीन से ऊपर रहें और सड़न से बचे। ड्रिप सिंचाई का उपयोग करें, जिससे पानी की बचत हो और नमी एकसमान रहे। फल लगने के दौरान 10 ग्राम NPK (0:52:34) और 2 मिली जैविक उर्वरक प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें, जिससे फलों की गुणवत्ता बढ़े।
टाटा लौकी वैरायटी उत्तर भारत के किसानों के लिए एक शानदार अवसर है। कम समय में फल, लंबी अवधि की फसल, और कम लागत इसे लाभकारी बनाते हैं। देसी टिप्स और सरकारी योजनाओं का उपयोग करके अपनी खेती को और समृद्ध करें। स्थानीय कृषि बीज भंडारों से टाटा वैरायटी के बीज खरीदें और बंपर मुनाफे की ओर कदम बढ़ाएँ। अपनी सफलता की कहानी हमारे साथ साझा करें!
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