खेती-किसानी हमारे देश की रीढ़ है, और झारखंड का हजारीबाग जिला इस मामले में मिसाल बन रहा है। यहां के मेहनती किसान अब पुराने तौर-तरीकों को छोड़कर नए रास्ते अपना रहे हैं। धान-गेहूं की खेती से हटकर अब वो सागवान जैसे पेड़ों की खेती की ओर बढ़ रहे हैं। ये न सिर्फ़ उनकी आमदनी बढ़ा रही है, बल्कि कम मेहनत में लंबे समय तक मुनाफा भी दे रही है। हजारीबाग के कई किसान पिछले बीस सालों से सागवान की खेती कर रहे हैं और इससे लाखों रुपये कमा रहे हैं।
सागवान की खेती ने बदली किसानों की तकदीर
हजारीबाग के किसान अब समझ चुके हैं कि खेती में सिर्फ़ फसलें उगाना ही काफी नहीं। अगर सही दिशा में मेहनत की जाए, तो कम ज़मीन में भी बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है। सागवान की खेती इसका सबसे बढ़िया उदाहरण है। ये पेड़ न सिर्फ़ मज़बूत लकड़ी देता है, बल्कि इसकी डिमांड बाज़ार में हमेशा बनी रहती है। फ़र्नीचर से लेकर घर बनाने तक, सागवान की लकड़ी हर जगह काम आती है। हजारीबाग के किसानों ने इसे अच्छे से समझ लिया और अपनी खाली पड़ी ज़मीन को सागवान के पेड़ों से हरा-भरा कर दिया। ये पेड़ 10-12 साल में तैयार हो जाते हैं और एक बार की मेहनत से लंबे समय तक मुनाफा देते हैं।
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एक किसान जो बन गया मिसाल
हजारीबाग के सदर प्रखंड के एक छोटे से गांव अमनारी के किसान सुधीर सिंह ने करीब बारह साल पहले अपनी 10 कट्ठा ज़मीन पर सागवान की खेती शुरू की थी। उन्होंने 200 पेड़ लगाए, जिनमें से कुछ पेड़ बारिश के पानी के जलभराव से खराब हो गए। फिर भी, बाकी बचे पेड़ों ने उन्हें 60 लाख रुपये से ज़्यादा की कमाई करा दी। सुधीर बताते हैं कि शुरू में उन्होंने करीब 20 लाख रुपये खर्च किए, जिसमें पेड़ लगाने, उनकी देखभाल और पानी का इंतज़ाम शामिल था। लेकिन जब पेड़ तैयार हुए, तो उनकी मेहनत रंग लाई और लागत से कहीं ज़्यादा मुनाफा मिला।
सागवान की खेती का आसान तरीका
सागवान की खेती कोई रॉकेट साइंस नहीं है, लेकिन इसके लिए थोड़ी समझ और मेहनत चाहिए। सुधीर के मुताबिक, पहले तीन साल सागवान के पेड़ों की खास देखभाल करनी पड़ती है। इनकी जड़ें शुरू में ज़्यादा गहरी नहीं होतीं, इसलिए गर्मियों में पानी देना ज़रूरी है। अगर पानी का इंतज़ाम न हो, तो पेड़ सूख सकते हैं। सुधीर ने इस समस्या से निपटने के लिए अपने खेत में ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लगाया, जिससे पानी की बर्बादी कम हुई और पेड़ों को सही समय पर पानी मिला।
बारिश के मौसम में जलभराव से बचने के लिए उन्होंने खेत का ढलान ठीक किया, ताकि पानी जमा न हो। वो बताते हैं कि टांड़ जैसी ऊंची ज़मीन सागवान की खेती के लिए सबसे अच्छी होती है, क्योंकि वहां जलभराव का डर कम रहता है।
किसानों के लिए सुधीर की सलाह
सुधीर का मानना है कि आज के समय में किसानों को सिर्फ़ धान-गेहूं तक सीमित नहीं रहना चाहिए। खेती को एक बिज़नेस की तरह देखना होगा। सागवान की खेती एक ऐसा निवेश है, जिसमें एक बार मेहनत करने के बाद 10-12 साल में बड़ा मुनाफा मिलता है। वो सलाह देते हैं कि अगर आपके पास खाली ज़मीन पड़ी है, तो उसे सागवान के पेड़ों से भर दें। ये न सिर्फ़ आपको कमाई देगा, बल्कि पर्यावरण को भी बेहतर बनाएगा। सागवान के पेड़ों की देखभाल में शुरू के साल थोड़ा खर्च और ध्यान देना पड़ता है, लेकिन बाद में ये पेड़ खुद-ब-खुद बढ़ते हैं और आपको बस इंतज़ार करना होता है।
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