उत्तर प्रदेश में 20 जून के बाद मानसून आने की उम्मीद है। जैसे ही बारिश शुरू होगी, गाँव के किसान भाई धान की बुवाई में जुट जाएंगे। धान की फसल हमारे लिए अनमोल है, लेकिन दीमक, व्हाइट ग्रब और गिड़ार जैसे कीट इसे बर्बाद कर सकते हैं। ये कीट पौधों की जड़ों और तनों को खा जाते हैं, जिससे फसल कमजोर हो जाती है और पैदावार घट जाती है। अगर समय पर सही कदम नहीं उठाए, तो पूरा खेत बर्बाद हो सकता है। इसलिए, धान की रोपाई से पहले खेत को तैयार करना और कीटों से बचाव के उपाय करना बहुत जरूरी है।
दीमक का खतरा और उसका असर
धान की फसल में दीमक सबसे बड़ा दुश्मन है। ये छोटे-छोटे कीट पौधों की जड़ों को चट कर देते हैं, जिससे पौधा सूखने लगता है। कई बार तो पूरा पौधा मर जाता है। उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा बताते हैं कि दीमक, व्हाइट ग्रब और गिड़ार जैसे भूमिगत कीट फसल को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। इनके हमले से पौधों की ग्रोथ रुक जाती है और पैदावार कम हो जाती है। रासायनिक कीटनाशकों का ज्यादा इस्तेमाल करने से फसल की गुणवत्ता भी खराब हो सकती है। ऐसे में जैविक तरीके से कीट नियंत्रण करना किसान भाइयों के लिए फायदेमंद है।
बावेरिया बेसियाना: कम लागत में कीटों से छुटकारा
किसान भाइयों के लिए अच्छी खबर ये है कि एक सस्ता और जैविक जुगाड़ है, जिसका नाम है बावेरिया बेसियाना। ये एक खास तरह का फंगस है, जो मिट्टी में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। ये फंगस कीटों को मारने का देसी और कारगर तरीका है। डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा के मुताबिक, बावेरिया बेसियाना दीमक, व्हाइट ग्रब और गिड़ार जैसे कीटों को खत्म करने में बहुत असरदार है। ये फंगस कीटों के शरीर में घुस जाता है और उन्हें धीरे-धीरे मार देता है। सबसे अच्छी बात ये है कि ये जैविक है, यानी फसल और मिट्टी को कोई नुकसान नहीं पहुंचता।
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बावेरिया बेसियाना का इस्तेमाल कैसे करें
बावेरिया बेसियाना का इस्तेमाल करना बहुत आसान है। एक एकड़ खेत के लिए आपको सिर्फ ढाई किलो बावेरिया बेसियाना चाहिए। इसे 50 किलो गोबर की सड़ी हुई खाद या सूखी मिट्टी में मिला लें। फिर खेत की आखिरी जुताई के समय इसे पूरे खेत में बिखेर दें। जुताई के बाद खेत को पाटा चलाकर समतल कर लें। इसके बाद आप धान की रोपाई शुरू कर सकते हैं। ये जुगाड़ इतना सस्ता है कि एक किलो की कीमत सिर्फ 168 रुपए है। उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान ने इसे तैयार किया है, और कोई भी किसान भाई इसे वहां से खरीद सकता है।
जैविक खेती का फायदा
बावेरिया बेसियाना जैसे जैविक उपायों का इस्तेमाल करने से न सिर्फ फसल सुरक्षित रहती है, बल्कि मिट्टी की सेहत भी बची रहती है। रासायनिक कीटनाशकों से मिट्टी की उर्वरता कम हो सकती है, लेकिन बावेरिया बेसियाना मिट्टी को नुकसान नहीं पहुंचाता। साथ ही, ये जुगाड़ कम लागत में अच्छा रिजल्ट देता है। किसान भाई जो कम खर्च में ज्यादा पैदावार चाहते हैं, उनके लिए ये तरीका वरदान है। गोबर की खाद के साथ इसका इस्तेमाल करने से खेत में नमी भी बनी रहती है, जो धान की फसल के लिए बहुत जरूरी है।
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मानसून का इंतजार और खेत की तैयारी
मानसून के आने से पहले खेत को तैयार करना जरूरी है। खेत की जुताई अच्छे से कर लें और मिट्टी को समतल करें। अगर आपके पास ट्यूबवेल या नहर से पानी का इंतजाम है, तो हल्की सिंचाई करें ताकि खेत में नमी बनी रहे। बावेरिया बेसियाना डालने के बाद खेत को बारिश के लिए तैयार रखें। जैसे ही 20 जून के बाद मानसून आएगा, आप धान की रोपाई शुरू कर सकते हैं। इस दौरान देसी बीज और गोबर की खाद का इस्तेमाल करें, ताकि फसल मजबूत हो और पैदावार अच्छी मिले।
किसानों के लिए सलाह
डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा की सलाह है कि धान की बुवाई से पहले कीटों से बचाव का इंतजाम जरूर करें। बावेरिया बेसियाना जैसे जैविक उपाय न सिर्फ सस्ते हैं, बल्कि फसल और मिट्टी दोनों के लिए सुरक्षित भी हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपकी धान की फसल दीमक और अन्य कीटों से बचे, तो अभी से खेत तैयार करें। मानसून की पहली बारिश का इंतजार करें और बावेरिया बेसियाना का इस्तेमाल करें। इससे आपकी फसल स्वस्थ रहेगी और पैदावार भी बढ़ेगी।
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