मार्च में करें इस विदेशी फल की खेती कर आप, कमा सकते हैं कम लागत में लाखो रूपए

Thai apple ber ki kheti: थाई एप्पल बेर  एक स्वादिष्ट और पौष्टिक फल है जो अपने मीठे और रसीले स्वाद के लिए जाना जाता है। यह फल न केवल खाने में स्वादिष्ट होता है, बल्कि इसकी खेती करना भी किसानों के लिए लाभदायक साबित हो सकता है। थाई एप्पल बेर की खेती करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इस लेख में हम थाई एप्पल बेर की खेती के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

थाई एप्पल बेर की खेती (Thai apple ber ki kheti) के लिए मिट्टी

थाई एप्पल बेर की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु उपयुक्त होती है। यह पौधा उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अच्छी तरह से विकसित होता है। इसकी खेती के लिए तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। अधिक ठंड या पाला इस पौधे के लिए हानिकारक हो सकता है।

मिट्टी के मामले में, थाई एप्पल बेर की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। मिट्टी में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि जलभराव इस पौधे के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

भूमि की तैयारी 

थाई एप्पल बेर की खेती (Thai apple ber ki kheti) शुरू करने से पहले भूमि की अच्छी तरह से तैयारी करना जरूरी है। सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरा बना लें। इसके बाद खेत में गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद डालकर मिट्टी को उपजाऊ बनाएं। खेत में पानी की निकासी की उचित व्यवस्था करना भी आवश्यक है।

थाई एप्पल बेर के पौधे की रोपाई

थाई एप्पल बेर के पौधे की रोपाई के लिए सही समय का चयन करना बहुत जरूरी है। इसकी रोपाई के लिए वसंत ऋतु (मार्च-अप्रैल) या वर्षा ऋतु (जून-जुलाई) का समय सबसे उपयुक्त होता है। पौधे की रोपाई करते समय पौधों के बीच की दूरी का ध्यान रखना चाहिए। आमतौर पर, पौधों के बीच 4 से 5 मीटर की दूरी रखी जाती है ताकि पौधों को विकास के लिए पर्याप्त जगह मिल सके।

 सिंचाई

थाई एप्पल बेर के पौधों को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है, खासकर गर्मियों के मौसम में। पौधे की वृद्धि और फलों के विकास के दौरान पानी की पर्याप्त मात्रा देना जरूरी है। हालांकि, जलभराव से बचना चाहिए, क्योंकि इससे पौधे की जड़ें सड़ सकती हैं। सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन प्रणाली का उपयोग करना सबसे अच्छा विकल्प है, क्योंकि यह पानी की बचत करता है और पौधों को सही मात्रा में पानी मिलता है।

खाद और रोग प्रबंधन

थाई एप्पल बेर के पौधों को अच्छी वृद्धि और उत्पादन के लिए पर्याप्त पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। पौधे की रोपाई के समय गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद डालना चाहिए। इसके अलावा, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश जैसे पोषक तत्वों की आपूर्ति के लिए रासायनिक उर्वरकों का उपयोग किया जा सकता है। पौधे की वृद्धि के दौरान नियमित अंतराल पर खाद और उर्वरक डालते रहना चाहिए। 

थाई एप्पल बेर के पौधों को कई तरह के कीट और रोगों का सामना करना पड़ सकता है। कीटों में मकड़ी कीट, थ्रिप्स और फल मक्खी प्रमुख हैं, जबकि रोगों में पाउडरी मिल्ड्यू और लीफ स्पॉट रोग शामिल हैं। इन कीटों और रोगों से बचाव के लिए नियमित रूप से पौधों की निगरानी करना और आवश्यकता पड़ने पर कीटनाशकों और फंगीसाइड्स का उपयोग करना चाहिए। जैविक कीटनाशकों का उपयोग करना भी एक अच्छा विकल्प है।

कटाई और उपज

थाई एप्पल बेर के पौधे रोपाई के लगभग 2 से 3 साल बाद फल देना शुरू कर देते हैं। फलों की कटाई के लिए सही समय का चयन करना बहुत जरूरी है। फल पकने पर हल्के हरे से पीले रंग के हो जाते हैं और उनका स्वाद मीठा हो जाता है। फलों को तोड़ने के बाद उन्हें सावधानी से पैक करना चाहिए ताकि वे खराब न हों। एक पूर्ण विकसित पौधा प्रति सीजन लगभग 50 से 100 किलोग्राम तक फल दे सकता है।

थाई एप्पल बेर की खेती से लाभ

थाई एप्पल बेर की खेती (Thai apple ber ki kheti) किसानों के लिए एक लाभदायक व्यवसाय साबित हो सकता है। इसकी मांग बाजार में अधिक होती है और इसके फलों का उपयोग ताजा फल, जूस और जैम बनाने में किया जाता है। इसके अलावा, इसकी खेती में लागत कम होती है और उत्पादन अधिक होता है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा हो सकता है।

सफल किसान की कहानी 

यूपी के फिरोजाबाद के भिकंपुर में रहने वाले एक किसान राकेश राजपूत ने अलग किस्म के बेर की बागवानी कर अच्छा मुनाफा कमा रहा है. किसान ने कई सालों पहले बेर की बागवानी शुरु की थी. लेकिन थोड़े समय बाद किसान की पैदावार शुरु हो गई. किसान सीजन आने पर बेरों को तोडकर मंडियों में बेचने के लिए ले जाता है. जिससे उसकी अच्छी इनकम होती है. वहीं नए किस्म के बेर की बागवानी के लिए किसान ने ट्रेनिंग भी ली है और इसकी देखभाल के लिए नेट भी लगाया हुआ है।

किसान ने बताया कि थाई एप्पल बेर की खेती करने के लिए खेतों में दो से तीन ट्राली खाद का उपयोग किया जाता है. इस बागवानी के लिए लगभग तीन बीघा में दस हजार रुपए तक लागत आती है. समय से देखभाल करने के साथ साथ जानवरों और पक्षियों से बचाने के लिए खेतों पर पहले से नेट लगाया जाता है. वहीं किसान ने बताया कि बेर का सीजन आने पर इस बागवानी से लागत निकालकर पचास हजार रुपए तक की बचत होती है.

थाई एप्पल बेर की खेती (Thai apple ber ki kheti) एक लाभदायक और सरल कृषि व्यवसाय है। सही जलवायु, मिट्टी और देखभाल के साथ इसकी खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसकी बढ़ती मांग और उच्च बाजार मूल्य के कारण, थाई एप्पल बेर की खेती भविष्य में और भी लोकप्रिय होने की संभावना है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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