इस किसान ने 5 एकड़ खरबूजे की खेती से की 5 लाख की कमाई, इन किस्मो से हो रही जबरदस्त पैदावार

Watermelon Cultivation: “खरबूजे को देख खरबूजा रंग बदलता है…” ये पुरानी कहावत रायबरेली के जलालपुर गाँव के किसान दिलीप वर्मा ने सच कर दिखाई। दो साल पहले तक पारंपरिक खेती में मेहनत करने वाले दिलीप आज खरबूजे की खेती से मालामाल हो रहे हैं। उनकी जिंदगी का रंग बदल गया है, और वो हर सीजन में लाखों कमा रहे हैं। कम लागत, कम मेहनत और गर्मी में बंपर मुनाफा देने वाली इस फसल ने न सिर्फ दिलीप को समृद्ध किया, बल्कि गाँव के दूसरे किसानों के लिए भी प्रेरणा बन गई है। आइए, जानते हैं दिलीप की इस कामयाबी की कहानी और खरबूजे की खेती के देसी नुस्खे।

खरबूजे की खेती की शुरुआत

रायबरेली के बछरावां थाना क्षेत्र के जलालपुर गाँव में रहने वाले दिलीप वर्मा एक प्रगतिशील किसान हैं। पहले वो धान और गेहूं जैसी पारंपरिक फसलें उगाते थे, लेकिन मेहनत के हिसाब से मुनाफा कम मिलता था। करीब दो साल पहले उनके रिश्तेदार सत्येंद्र वर्मा, जो लखनऊ के कुर्मिन खेड़ा गाँव में खरबूजे की खेती करते थे, ने उन्हें इस फसल की सलाह दी। दिलीप ने हिम्मत जुटाई और अपनी पाँच एकड़ जमीन पर खरबूजे की खेती शुरू की। शुरू में थोड़ा डर था, लेकिन जैसे ही पहली फसल तैयार हुई, उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। खरबूजे की बिक्री ने उनकी उम्मीदों को कई गुना बढ़ा दिया।

उन्नत किस्मों का कमाल

दिलीप ने खरबूजे की चार उन्नत किस्मों बाबी, मृदुल, निर्मल-24, और मधुरा को चुना। ये किस्में अपनी ज्यादा पैदावार और शानदार गुणवत्ता के लिए जानी जाती हैं। इनके फल रसीले, मीठे और बाजार की पसंद के मुताबिक होते हैं। दिलीप बताते हैं कि इन किस्मों से एक एकड़ में बंपर उत्पादन होता है, और गर्मी में खरबूजे की माँग इतनी ज्यादा रहती है कि फसल खेत से ही बिक जाती है। इन किस्मों की खासियत है कि ये गर्म और शुष्क मौसम में भी अच्छा प्रदर्शन करती हैं, और फल का आकार और स्वाद ग्राहकों को खूब भाता है।

कम लागत, ज्यादा मुनाफा

खरबूजे की खेती की सबसे बड़ी खासियत है इसकी कम लागत और ज्यादा मुनाफा। दिलीप के मुताबिक, एक एकड़ में खरबूजे की खेती की लागत करीब 50-60 हजार रुपये आती है। इसमें बीज, खाद, मजदूरी और सिंचाई का खर्च शामिल है। लेकिन सिर्फ 90 दिनों में फसल तैयार हो जाती है, और एक एकड़ से 4-5 लाख रुपये तक की कमाई हो जाती है। यानी लागत के मुकाबले मुनाफा कई गुना। गर्मी में खरबूजे की माँग बाजार में इतनी ज्यादा होती है कि थोक व्यापारी खुद खेत पर आकर फसल खरीद लेते हैं। इससे दिलीप को न तो बाजार ले जाने की जरूरत पड़ती है, न ही बिक्री की चिंता रहती है।

कम सिंचाई

खरबूजे की खेती में दूसरी फसलों की तरह ज्यादा मेहनत या पानी की जरूरत नहीं पड़ती। दिलीप बताते हैं कि बलुई दोमट मिट्टी और अच्छी जल निकासी वाला खेत इसके लिए सबसे अच्छा है। वो ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल करते हैं, जिससे पानी की बचत होती है और पौधों को जरूरत के मुताबिक पानी मिलता है। ज्यादा पानी से जड़ें सड़ सकती हैं, इसलिए वो इस बात का खास ध्यान रखते हैं। खेत में गोबर की खाद और थोड़ी रासायनिक खाद डालकर वो मिट्टी को तैयार करते हैं। कीटों से बचाव के लिए नीम का तेल या जैविक उपाय अपनाते हैं। ये सारी चीजें खेती को आसान और सस्ता बनाती हैं।

खरबूजे की खेती का देसी नुस्खा

दिलीप की सफलता के पीछे उनकी समझदारी और मेहनत है। वो सलाह देते हैं कि खरबूजे की खेती शुरू करने से पहले खेत की अच्छी जुताई करें और 20-25 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर डालें। बीज बोने से पहले बीजोपचार करें ताकि अंकुरण अच्छा हो और रोगों से बचाव हो। फरवरी-मार्च में बुवाई करें, ताकि मई में फसल तैयार हो। मल्चिंग बेड का इस्तेमाल करें, इससे पानी की जरूरत कम होती है और खरपतवार की समस्या नहीं रहती। समय-समय पर खेत की निगरानी करें और फल पकने पर सही समय पर तुड़ाई करें। ये छोटे-छोटे नुस्खे खरबूजे की खेती को और फायदेमंद बनाते हैं।

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  • Shashikant

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