हमारे गन्ना किसान भाइयों के लिए बड़ी खुशखबरी है। केंद्र सरकार ने गन्ना पेराई सीजन 2025-26 के लिए गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य यानी FRP को बढ़ाकर 355 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। यह फैसला 30 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया। पिछले साल के 340 रुपये की तुलना में इस बार 15 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है, जो किसानों की मेहनत का बेहतर दाम दिलाने की दिशा में बड़ा कदम है।
इस फैसले से देश के करोड़ों गन्ना किसानों और चीनी मिलों में काम करने वाले लाखों मजदूरों को सीधा फायदा होगा। आइए, इस खबर को विस्तार से समझते हैं कि यह बढ़ोतरी कैसे काम करेगी और किसानों के लिए क्या मायने रखती है।
FRP क्या है और क्यों है जरूरी
गन्ना किसानों के लिए FRP यानी उचित एवं लाभकारी मूल्य एक ऐसा दाम है, जो चीनी मिलों को किसानों को देना ही पड़ता है। यह केंद्र सरकार तय करती है ताकि किसानों को उनकी फसल की सही कीमत मिले। हर साल सरकार खेती की लागत, चीनी की रिकवरी, और बाजार के हालात को देखकर FRP तय करती है। इस बार 2025-26 के लिए FRP को 355 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है, जो 10.25% चीनी रिकवरी दर पर आधारित है। यानी अगर एक क्विंटल गन्ने से 10.25 किलो चीनी बनती है, तो किसान को 355 रुपये मिलेंगे।
अगर रिकवरी इससे ज्यादा हुई, तो हर 0.1% बढ़ोतरी पर 3.46 रुपये का अतिरिक्त दाम मिलेगा। लेकिन अगर रिकवरी कम हुई, तो भी सरकार ने किसानों का ध्यान रखा है। जिन चीनी मिलों की रिकवरी 9.5% से कम होगी, वहाँ कोई कटौती नहीं होगी और किसानों को कम से कम 329.05 रुपये प्रति क्विंटल जरूर मिलेंगे।
गन्ने की लागत और मुनाफे का गणित
गन्ना उगाने में किसान भाई दिन-रात मेहनत करते हैं। सरकार के मुताबिक, 2025-26 सीजन में गन्ने की उत्पादन लागत 173 रुपये प्रति क्विंटल है। अब अगर FRP 355 रुपये है, तो यह लागत से दोगुने से भी ज्यादा है। यानी किसानों को 105.2% ज्यादा मुनाफा मिलेगा। पिछले साल की तुलना में यह FRP 4.41% ज्यादा है, जो किसानों की जेब में अतिरिक्त पैसा लाएगा। गाँव में कई किसान भाई बताते हैं कि गन्ने की खेती में पानी, खाद, और मजदूरी का खर्चा बढ़ गया है। ऐसे में FRP की यह बढ़ोतरी उनके लिए बड़ी राहत लेकर आई है। यह न सिर्फ उनकी मेहनत का सही दाम देगी, बल्कि खेती को और मजबूत करने में मदद करेगी।
किसानों को समय पर भुगतान की गारंटी
गन्ना किसानों की सबसे बड़ी दिक्कत होती है चीनी मिलों से समय पर पैसा न मिलना। लेकिन सरकार ने इस मोर्चे पर भी अच्छा काम किया है। पिछले सीजन 2023-24 में किसानों को 1,11,782 करोड़ रुपये का भुगतान होना था, जिसमें से 99.92% यानी 1,11,703 करोड़ रुपये का भुगतान 28 अप्रैल 2025 तक हो चुका है। इस बार के सीजन 2024-25 में 97,270 करोड़ रुपये के बकाये में से 85,094 करोड़ रुपये यानी 87% का भुगतान भी हो गया है। यह दिखाता है कि सरकार किसानों के हित में कितनी गंभीर है। गाँव के किसान भाई अक्सर कहते हैं कि जब पैसा समय पर मिलता है, तो अगली फसल की तैयारी में आसानी होती है।
गन्ना किसानों के लिए और क्या है खास
इस बढ़ोतरी से न सिर्फ गन्ना किसानों को फायदा होगा, बल्कि चीनी मिलों में काम करने वाले करीब 5 लाख मजदूरों और खेतों में काम करने वाले लाखों लोगों की जिंदगी भी बेहतर होगी। गन्ना खेती से जुड़े परिवहन और अन्य कामों में भी रोजगार बढ़ेगा। सरकार ने यह भी साफ किया है कि FRP तय करते वक्त कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) की सलाह और राज्यों के साथ बातचीत को ध्यान में रखा गया है। कुछ राज्य जैसे उत्तर प्रदेश अपने स्तर पर राज्य परामर्शी मूल्य (SAP) भी तय करते हैं, जो FRP से ज्यादा हो सकता है। अगर आपके गाँव में ऐसी कोई सुविधा है, तो स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करके ज्यादा जानकारी ले सकते हैं।
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