बेर की ये 2 किस्में कर रही हैं कमाल, बेमौसम भी लदे रहते हैं फल, जानिए कैसे

क्या कोई ऐसा शख्स हो सकता है जो बच्चों को किताबें पढ़ाए, खेतों में फसल उगाए, और दूसरे किसानों को खेती की नई तरकीबें सिखाए? सहारनपुर के शहंशाह आलम ऐसा ही कमाल कर रहे हैं। मैथ्स में एमएससी और समाजशास्त्र में एमए करने के बाद वो एक स्कूल में टीचर हैं, लेकिन उनका दिल खेती में बसता है। अपने खेतों में बेर की अनोखी किस्में उगाकर वो न सिर्फ लाखों कमा रहे हैं, बल्कि आसपास के किसानों को भी आधुनिक खेती की राह दिखा रहे हैं। उनके बेर इतने मीठे और बड़े हैं कि मंडी में हाथों-हाथ बिक जाते हैं। आइए, जानते हैं उनकी बेर खेती का राज।

बेर की अनोखी किस्में

शहंशाह आलम के खेतों में बेर की दो खास किस्में भरत सुंदरी और एप्पल बेर लहलहा रही हैं। ये बेर आम बेरों से बड़े, गुड़ जैसे मीठे, और चमकदार हैं। खास बात ये कि मई जैसे गर्म महीने में, जब बेर का मौसम खत्म हो जाता है, तब भी उनके पेड़ों पर फल लटके मिलते हैं। इसकी वजह है उनकी सही किस्मों का चयन और देखभाल। शहंशाह बताते हैं कि उन्होंने कोलकाता से ये पौधे मँगवाए और यूट्यूब से बागवानी के गुर सीखे। आज उनके पास 150 बेर के पौधे हैं, जो 35-40 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मंडी में बिक रहे हैं।

ये भी पढ़ें- कद्दू की इस किस्म की करें खेती, मिलेगा बड़ा फल गुद्नुमा परत और होगी बढ़िया कमाई

बेर खेती का आसान तरीका

बेर की खेती सहारनपुर जैसे इलाकों के लिए वरदान है, क्योंकि ये गर्म मौसम और रेतीली-दोमट मिट्टी में आसानी से उग जाता है। शहंशाह ने अपने खेतों में ड्रिप इरिगेशन और जैविक खाद का इस्तेमाल किया, जिससे पेड़ों की सेहत बनी रही। बेर को ‘I’ या ‘T’ बडिंग विधि से तैयार किया जाता है। मार्च-अप्रैल में नर्सरी में बीज बोए जाते हैं, और जुलाई-अगस्त में पौधों को खेत में लगाया जाता है। पौधों के बीच 15 फीट की दूरी रखें, ताकि बेड़ अच्छे से फैलें। शहंशाह सलाह देते हैं कि नीम का तेल और गोमूत्र का छिड़काव करें, ताकि कीटों से बचाव हो।

मंडी में बिक्री और मुनाफा

शहंशाह के बेर की खासियत उनका स्वाद और आकार है, जिसकी वजह से स्थानीय मंडियों में इसकी भारी माँग है। एक पेड़ से औसतन 80-150 किलो बेर मिलता है, और 150 पौधों से सालाना 12,000-22,500 किलो फल मिल सकता है। अगर 35 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचें, तो सालाना 4-7 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। खास बात ये कि उनके बेर को दिल्ली या बड़े शहरों में भेजने की जरूरत नहीं, सहारनपुर और आसपास की मंडियों में ही अच्छा दाम मिल जाता है। इससे ट्रांसपोर्ट का खर्चा भी बचता है।

किसानों को जागरूक करने की मुहिम

शहंशाह आलम सिर्फ खेती ही नहीं करते, बल्कि दूसरे किसानों को भी नई तकनीकों के बारे में बताते हैं। वो यूट्यूब और सोशल मीडिया के जरिए ड्रिप इरिगेशन, जैविक खाद, और बेर की नई किस्मों की जानकारी साझा करते हैं। उनके खेत में बेर के अलावा दूसरी फसलें भी हैं, जो मिट्टी की सेहत बनाए रखती हैं। वो कहते हैं, “खेती में मेहनत और नई सोच चाहिए। अगर सही तरीके अपनाएँ, तो मिट्टी भी सोना उगलती है।” उनकी ये बातें सहारनपुर के किसानों को प्रेरित कर रही हैं।

ये भी पढ़ें- कीजिए इस 1 फीट वाली मिर्च की खेती, एक एकड़ से कमाइए 5 लाख रूपये

Author

  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

    View all posts

Leave a Comment