हरी मिर्च की ये 3 नई किस्में बना देंगी किसान को मालामाल, जानिए पैदावार और स्वाद की खासियत

3 New Varieties of Green Chillies:  किसान भाइयों, अगर आप मिर्च की खेती करते हैं और सड़न रोग या पौधों के मुरझाने से परेशान हैं, तो यह खबर आपके लिए है। हिमाचल प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर ने मिर्च की तीन नई किस्में तैयार की हैं—हिम पालम मिर्च हाइब्रिड-1, हाइब्रिड-2, और हाइब्रिड-3। ये मिर्चें न सिर्फ रोगों से लड़ती हैं, बल्कि तीखी, चटपटी, और ज़बरदस्त उपज वाली हैं। इनकी खेती से आपका खेत लहलहाएगा और जेब भरेगी। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नवीन कुमार कहते हैं कि ये किस्में किसानों की कमाई को नई ऊँचाई देंगी। आइए, जानते हैं कि ये नई मिर्चें आपके लिए क्या खास लाती हैं।

रोगों का काल, मिर्च का कमाल

मिर्च की खेती में सबसे बड़ी मुसीबत है फल सड़न और जीवाणु मुरझान रोग। खासकर हिमाचल के पहाड़ी इलाकों में ये रोग किसानों को परेशान करते हैं। लेकिन अब पालमपुर के वैज्ञानिकों ने कमाल कर दिखाया है। उन्होंने आनुवंशिक नर बांझपन तकनीक का इस्तेमाल करके तीन हाइब्रिड मिर्चें बनाई हैं, जो इन रोगों से डटकर मुकाबला करती हैं। हिम पालम मिर्च हाइब्रिड-1, 2, और 3 में सड़न और मुरझान रोग का नामोनिशान नहीं। ये मिर्चें तीखी और चटपटी हैं, जो बाज़ार में ग्राहकों की पहली पसंद बनेंगी। चाहे बारिश हो या गर्मी, ये पौधे हरे-भरे रहते हैं और फल खूब देते हैं।

तीन किस्में, तीन खूबियाँ

पालमपुर की इन तीनों मिर्चों की अपनी-अपनी खासियत है। हिम पालम मिर्च हाइब्रिड-1 के फल ऊपर की ओर उगते हैं, जो भारी बारिश वाले इलाकों के लिए बेस्ट है। इसका रंग हल्का हरा है, और यह खाने में तीखापन लाता है। हिम पालम मिर्च हाइब्रिड-2 भी हल्के हरे रंग की है, लेकिन इसका स्वाद और ज़्यादा चटपटा है। तीसरी किस्म, हिम पालम मिर्च हाइब्रिड-3, गहरे हरे रंग की है और बाज़ार में सबसे ज़्यादा डिमांड वाली है। ये तीनों किस्में राज्य स्तरीय कृषि कार्यशाला में पास हो चुकी हैं, और जल्द ही ये आपके खेतों तक पहुँचेंगी। इनकी बुवाई से आपकी फसल बारिश, रोग, और मौसम की मार से बचेगी।

ज़बरदस्त उपज, मोटी कमाई

किसान भाइयों, इन नई मिर्चों की सबसे बड़ी ताकत है इनकी उपज। हिम पालम मिर्च हाइब्रिड-1 से आप प्रति हेक्टेयर 220-265 क्विंटल मिर्च ले सकते हैं। हाइब्रिड-2 इससे भी आगे है, जो 275-325 क्विंटल तक उपज देती है। और हाइब्रिड-3 तो कमाल है—275-350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर! इतनी ज़्यादा मिर्च आपके खेत से बाज़ार तक जाएगी, तो कमाई का अंदाज़ा आप खुद लगा लें। कुलपति प्रो. नवीन कुमार का कहना है कि ये किस्में न सिर्फ रोगों से बचाती हैं, बल्कि किसानों की आर्थिक हालत को भी मज़बूत करेंगी। इन मिर्चों की खेती से आपकी फसल पहले से ज़्यादा और बेहतर होगी।

खेती का आसान तरीका

इन नई मिर्चों की खेती शुरू करने के लिए कुछ आसान बातें ध्यान रखें। सबसे पहले, अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी चुनें। बुवाई से पहले खेत में गोबर की खाद या जैविक खाद डालें। हिम पालम मिर्च हाइब्रिड-1 भारी बारिश वाले इलाकों, जैसे हिमाचल के पहाड़ी क्षेत्रों, के लिए बनी है, तो वहाँ इसकी बुवाई अप्रैल-मई में करें। हाइब्रिड-2 और 3 गर्मी और हल्की बारिश दोनों में अच्छी हैं। बीज विश्वविद्यालय या नज़दीकी कृषि केंद्र से लें, क्योंकि ये जल्द ही किसानों के लिए उपलब्ध होंगे। कीटों से बचाने के लिए नीम का तेल छिड़कें और समय-समय पर हल्की सिंचाई करें। इन छोटे कदमों से आपकी मिर्च लहलहाएगी।

खेत लहलहाए, जेब चमकाए

पालमपुर की ये नई मिर्चें आपके खेत का गहना हैं। हिम पालम मिर्च हाइब्रिड-1, 2, और 3 न सिर्फ रोगों से लड़ती हैं, बल्कि ज़बरदस्त उपज और तीखा स्वाद देकर बाज़ार में धूम मचाएंगी। इनकी खेती से न तो पौधे मुरझाएंगे, न फल सड़ेंगे। जब आपकी मिर्चें मंडी में बिकेंगी और ग्राहक तारीफ करेंगे, तो मेहनत का असली मज़ा आएगा। तो देर न करें, अपने खेत को तैयार करें और इन नई मिर्चों से अपनी कमाई को दोगुना करें।

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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